सहारा कर्मियों के संघर्ष में हस्तक्षेप करें प्रमुख सचिव श्रम, न्याय दिलाएं : उपजा

Share the news

लखनऊ : उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (उपजा) की लखनऊ इकाई के अध्यक्ष अरविन्द शुक्ला ने प्रदेश के प्रमुख सचिव श्रम से मांग की है कि वह तत्काल सहारा मामले में हस्तक्षेप करें और श्रमिकों को उनका हक दिलायें। सहारा प्रबंधन द्वारा अखबार कर्मियों को पिछले कई माह से वेतन नहीं दिया जा रहा है। वेतन न मिलने से अखबारकर्मियों ने हड़ताल का रुख कर लिया है। लखनऊ के कर्मचारियों ने कार्यबहिष्कार कर दिया है ।  

गौरतलब है कि लखनऊ, देहरादून, वाराणसी, पटना आदि यूनिटों से भी रविवार रात को कार्यबहिष्कार जारी रहा। इसके साथ ही नोएडा राष्ट्रीय सहारा में तीसरे दिन रविवार को भी मीडिया कर्मियों एवं अन्य विभागों के कर्मचारियों की हड़ताल जारी रही। अरविन्द शुक्ला के साथ वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार,भाषा के ब्यूरो प्रमुख प्रमोद गोस्वामी, वरिष्ठ पत्रकार वीर विक्रम बहादुर मिश्र, सर्वेश कुमार सिंह, वीरेन्द्र कुमार सक्सेना, सुनील त्रिवेदी, लखनऊ इकाई के कोषाध्यक्ष मंगल सिंह,उपाध्यक्ष सुशील सहाय, मंत्री अनुराग त्रिपाठी सहित अनेक पत्रकारों ने सरकार से मांग की है कि वह सहारा के श्रमिकों के साथ न्याय करे।

वाराणसी से सूचना है कि वहां के संपादक स्नेह रंजन को कर्मचारियों ने दौड़ा लिया। वह पिटते-पिटते बचे। नोएडा में पूरी तरह हड़ताल जारी है। प्रबंधन ने हड़तालियों से कहा कि सोमवार को पांच लोगों को चेयरमैन सुब्रत रॉय से मिलवा दिया जाएगा। इससे हड़ताली कर्मियों ने ये कहते हुए इनकार कर दिया कि वे चेयरमैन से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये ही सामूहिक रूप से बात करेंगे। इस पर सहमति को देखते हुए सोमवार को संभव है कि चेयरमैन से वीडियो कांफ्रेंसिंक के जरिये कोई समझौता वार्ता हो। हड़तालियों का कहना है कि यदि सुब्रत राय से बात संभव न हो तो कंपनी के एमडी जयब्रत रॉय से भी आश्वासन मिल जाए तो वे काम पर लौटने को तैयार हैं। बताया जाता है कि सुब्रत राय के छोटे भाई जयब्रत राय को संस्थान ने इस समय साइड लाइन कर रखा है। उनका पावर राजेश सिंह को दे दिया गया है, जिनकी बात मानने को कर्मचारी तैयार नहीं हैं।

लखनऊ में देर शाम मिली सूचना के मुताबिक सहारा कर्मी कार्य बहिष्कार पर आमादा रहे। संपादक मनोज तोमर ने उनमें से दो तीन लोगों को बारी बारी से बुलाकर पाठ पढ़ाया लेकिन उनकी एक नहीं चली। उन्होंने यहां तक कहा कि बिना संपादकीय के अखबार छाप दीजिए। बातचीत के दौरान उन्होंने दबाव बनाने के लिए मीडिया कर्मियों की फोन पर  मैनेजिंग डाइरेक्टर ओपी श्रीवास्तव से बात कराई, धमकाया, फुसलाया, मगर कार्य बहिष्कार पर कर्मी अडिग रहे। लोकल रिपोर्टिंग सेक्शन में एकमात्र  कर्मचारी दो एक जूनियर रिपोर्टरों को लेकर काम में जुटे रहे। इससे संस्थान के मीडिया कर्मियों में काफी रोष है।

पटना सहारा में भी रविवार को पुनः बहिष्कार जारी रहा। पटना सहारा के संपादक दयाशंकर राय ने शनिवार को धोखे से एडिशन निकलवा लिया था। बाद में कर्मचारियों ने माजरा समझा और रविवार को फिर बहिष्कार शुरू हो गया। इसी तरह गोरखपुर, वाराणसी, देहरादून से भी रविवार शाम बहिष्कार की सूचनाएं हैं। पता चला है कि शनिवार की शाम वाराणसी सहारा के संपादक स्नेह रंजन पिटते पिटते बचे। काम कराने के प्रयासों के दौरान उनकी बहिष्कार कर रहे कर्मियों से गर्मागर्मी हो गई। कर्मचारियों ने उन्हे दौड़ा लिया। 



भड़ास का ऐसे करें भला- Donate

भड़ास वाट्सएप नंबर- 7678515849



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *