Sanjaya Kumar Singh : मीडिया में संघ की घुसपैठ और उसका असर… मीडिया में अपनी घुसपैठ संघ ने बहुत पहले शुरू कर दी थी। जो मीडिया संस्थान चला सकते हैं उन्हें भी प्रोत्साहन और शाखा जाने वाले जो अखबारों में नौकरी करना चाहें उन्हें भी सहारा। कई लोग हैं, जाने-पहचाने चिन्हित। अब तो संघी पत्रकारों की दूसरी पीढ़ी भी सक्रिय है। हालांकि, संघ इसमें अकेला नहीं है पर उसका काम ज्यादा असरदार, योजनाबद्ध, सफाई से होता रहा है और इसके कई उदाहरण हैं। अब तो दिखाई देने लगा है। इतना खुल्लम खुल्ला कि आंखें चौंधिया जाएं। पर युद्ध और प्रेम में सब जायज है। सत्ता हथियाने और उसे बनाए रखने के लिए आप चुनाव न लड़ें “युद्ध” करें और चुनाव लड़ने के लिए सेना और सैनिक कार्रवाई को भुनाएं तो चुनाव लड़ने और युद्ध लड़ने का अंतर मिट जाता है।
ईमानदार पत्रकारिता मतदाताओं को यह सब बताती। इसपर चर्चा करती। पर पत्रकारिता में जब अपने लोग पहले से विधिवित प्लांट कर दिए गए हों तो जो चर्चा सबसे चर्चित है, कौन कराता है आप जानते हैं। देश में चुनाव ही नहीं राजनीति भी बदलेगी। बदल रही है। पत्रकारिता में संघ और संघी हों इसमें बुराई नहीं है बुराई संघी पत्रकारिता में है। चंचल जी की यह पोस्ट यही बताती है। पर संघी पत्रकारिता करने वाले नहीं समझेंगे। झेलने वाले जब वरुण गांधी जैसे भाजपा नेता हो सकते हैं और रीता बहुगुणा को तो चंचलजी याद दिला ही रहे हैं। संघी पत्रकारों को भी अपनी स्थिति भी समझ लेनी चाहिए। वाकई देश बदल रहा है। बात समझ में नहीं आ रही है तो मत समझिए।
गर्व से कहो हम हिन्दू हैं का नुकसान यही है कि भारत जो इंडिया बन रहा था, इनक्रेडिबल इंडिया होने का दावा किया जा रहा था वह अब हिन्दुस्तान बन रहा है और दावा यह कि वह पाकिस्तान से अलग (अच्छा) होगा। कैसे? इसपर बात नहीं करेंगे क्योंकि वह तो स्थापित सत्य है। यही है बदलती पत्रकारिता। और बदलता भारत। पहले सूर्या अकेली पत्रिका थी अब संदीप कुमार की सीडी चलाने वाले कई चैनल हैं।
चंचल जी (फेसबुक पर Chanchal Bhu नाम से) की इस पोस्ट से प्रेरित — “सेक्स बहुत गन्दी चीज है, इसके बावजूद आज हम डेढ़ सौ करोड़ तक पहुँच गये है। बच्चों को सेक्स की शिक्षा देना चाहिए, तर्कपूर्ण सहमति है। लेकिन सेक्स की ताकत देखिये और उसका अंतर्विरोध, जब तक गोपनीय है, ग्राह्य है, परम आनंद की पराकाष्ठा है, उघर गया तो आपको समूल नष्ट कर देगा। जो समाज इस अंतर्द्वंद पर खड़ा है, उसकी भ्रूण हत्या तय है। एक वाक्या सुनिये। बाबू जगजीवन राम बहुत बड़ी शख्सियत थे, उनके बेटे सुरेश राम किसी होटल में अपनी महिला मित्र के साथ नग्न अवस्था में देखे गए। उसका फोटू हुआ, और सारे संपादकों के पास प्रकाशनार्थ भेज भी दिया गया लेकिन किसी ने भी नही छापा। सिवाय एक महिला संपादक के। पत्रिका का नाम था सूर्या और संपादक थीं आज की भाजपा मंत्री मेनका गांधी। आज इतिहास फिर पलटा खाया है। मेनका के सुपुत्र वरुण गांधी उसी तरह लपेटे में आये हैं जैसे सुरेश राम आये थे। फोटो कौन बाँट रहा है, सब को पता है। इतना ही नही आज वरुण पर आरोप लग रहा है कि वरुण इस फोटो के बदले देश की सारी गुप्त बाते आर्म्स डीलर को देते रहे। यानी वरुण देशद्रोही है। पीएमओ के पास इसका खुलासा है । आपातकाल में मेनका गांधी की भूमिका का बदला इस तरह लिया जा रहा है । जो भी लोग अगल बगल से निकल कर गिरोह की तरफ भाग रहे हैं, एक दिन सब का यही हश्र होगा। रीता जी @ आप भी ख़याल रखियेगा , आपके पिता जी ने संघ पर क्या बोला था , आप भूल चुकी होंगी लेकिन उसकी कसक नागपुर में बनी हुई है। वरुण गांधी की वह फोटो हमारे पास भी है, लेकिन सार्वजनिक नही करूँगा।”
लेखक संजय कुमार सिंह वरिष्ठ पत्रकार और सोशल मीडिया एक्टिविस्ट हैं.