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सुख-दुख

वरिष्ठ पत्रकार विजय संत का देहांत

राकेश कायस्थ-

सुबह-सुबह एक पुराने परिचित के असामयिक निधन की ख़बर से आँख खुली। देश के एक प्रमुख लॉ फर्म में पार्टनर थे। सुपर फिट थे, कोई बीमारी नहीं थी। लेकिन अचानक ह्रदय गति रूकने के कारण निधन हो गया।

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इस मनहूस ख़बर से उबर भी नहीं पाया था कि फेसबुक से पता चला कि आजतक में सहकर्मी रहे विजय संत भी अचानक दुनिया छोड़ गये। एक और अकल्पनीय और डरावनी ख़बर।

विजय संत सचमुच संत थे। सहकर्मी के तौर पर बहुत लंबा साथ नहीं था। बाद में शहर भी बदल गये। लेकिन फेसबुक पर उनकी उपस्थिति कुछ ऐसी थी, जैसे हमेशा आसपास हों।

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मैंने उन्हें हमेशा सामाजिक कार्यों में तत्पर देखा। मैंने जब भी रक्तदान वाला कोई मैसेज शेयर किया, विजय संत को मदद के लिए सबसे आगे पाया। लॉक डाउन और कोविड की दूसरी लहर के दौरान भी वो दिल्ली में लोगों की मदद करते नज़र आये।

एक व्यक्ति जिसके लिए उन्होंने रक्तदान किया था, वह बच नहीं पाया था। उस ख़बर के बाद विजय इस तरह सदमे में थे, जैसे दुनिया छोड़कर जानेवाला कोई अपरिचित नहीं अत्यंत आत्मीय हो। … और आज विजय खुद..

2021 के बाद शोक एक तरह स्थायी भाव हो गया है। संवेदना, सहानुभूति और श्रद्धांजलि शब्द बहुत छोटे हैं। परिवार वालों को संबल मिले बस इतनी ही प्रार्थना कर सकता हूं।

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1 Comment

1 Comment

  1. Vijay Singh

    January 30, 2022 at 7:34 am

    Deep condolences

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