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सुख-दुख

बुजुर्ग और बीमार पत्रकार विनोद दुआ को अग्रिम जमानत मिली

भाजपा के एक नेता द्वारा दर्ज करायी गयी शिकायत पर मानहानि के एक मामले में वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ को दिल्ली की एक अदालत ने अग्रिम जमानत दे दी है । भाजपा नेता ने आरोप लगाया है कि पत्रकार ने यूट्यूब पर अपने शो में मानहानिकारक टिप्पणी कर जनता के बीच अशांति फैलाने का काम किया। अदालत ने मंगलवार को आदेश जारी किया। अदालत ने पुलिस को सुनवाई की अगली तारीख 29 जून तक दुआ के खिलाफ किसी भी प्रकार की कठोर कार्रवाई नहीं करने और पत्रकार को पुलिस की जांच में सहयोग करने को कहा।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनीता गोयल ने दुआ को तब राहत प्रदान की जब जांच अधिकारी ने कहा कि उनको हिरासत में लेकर पूछताछ की जरूरत नहीं है। न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि मैंने उपरोक्त दलीलों पर गौर किया है और आरोपी ने भी जांच में सहयोग करने की बात कही है। जांच अधिकारी ने कहा है कि पूछताछ के लिये उनको हिरासत में लेने की जरूरत नहीं है। मौजूदा महामारी के कारण आरोपी की चिकित्सा स्थिति पर भी विचार किया गया है। आरोपी विनोद दुआ को जांच के दौरान सहयोग करने का निर्देश दिया जाता है। अगली सुनवाई तक उनके खिलाफ किसी भी प्रकार की कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी।

भाजपा के प्रवक्ता नवीन कुमार ने पूर्वी दिल्ली के लक्ष्मीनगर में चार जून को दुआ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी थी। भाजपा नेता ने दावा किया कि मीडिया की जानी मानी शख्सियत दुआ ने शांति भंग करने के इरादे से मानहानिकारक, अपमानजनक टिप्पणी की। पुलिस ने अपराध के लिए प्राथमिकी दर्ज की। इसके तहत अधिकतम तीन साल की सजा हो सकती है।

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वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई के दौरान दुआ की ओर से पेश वकील संदीप देशमुख और वत्सला विज्ञा ने कहा कि पत्रकार के पास संविधान द्वारा प्रदत्त वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मूलभूत अधिकार है। दुआ 66 साल के हैं और मधुमेह, कम प्लेटलेट, लीवर से जुड़ी बीमारी, हीमोग्लोबिन की कम मात्रा आदि गंभीर रोगों से ग्रस्त हैं। इसलिए कोविड-19 के कारण मौजूदा संकट के समय उन्हें ज्यादा जोखिम है। आगे उन्होंने कहा कि दुआ जांच में पुलिस को सहयोग करने के लिए तैयार हैं।

सरकार की तरफ से पेश अतिरिक्त लोक अभियोजक अनिल कुमार ने अग्रिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि मामले में जांच चल रही है और यूट्यूब से संबंधित रिकार्ड अभी तक जमा नहीं हो पाया है। हालांकि, जांच अधिकारी ने कहा कि उनको हिरासत में लेकर पूछताछ की जरूरत नहीं है।

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दुआ ने भी प्राथमिकी रद्द कराने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल की है। उच्च न्यायालय में याचिका में कहा गया है कि 11 मार्च को दुआ ने यूट्यूब पर अपने शो में उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगों के बारे में बताया था। इसकी विषयवस्तु अन्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खबरों की तरह ही थी, जिसमें दंगों से निपटने में पुलिस प्रशासन और केंद्र सरकार की नाकामी के बारे में बताया गया। पुलिस ने कहा कि आईपीसी की धारा 290 (लोगों के बीच अशांति पैदा करना) और 505 (शत्रुता, घॄणा या वैमनस्य की भावनाएं पैदा करने के आशय से बयान देना) तथा 505 (दो) (दो वर्गों के बीच नफरत, रंजिश फैलाने से जुड़े बयान) के तहत एक मामला दर्ज किया गया है।

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