Abhishek Prakash : विवेकी राय नहीं रहे। मैं उनके साहित्य पर चर्चा नहीं करूंगा लेकिन एक बात जिसका क्षोभ मुझे हमेशा रहा कि गाज़ीपुर से बाहर की दुनिया में इस ज़िले की पहचान यहाँ रहने वाले अपराधियों और माफियाओं से की जाती रही है तब इनके जैसे ही चंद लोग थे जो समाज में सिर उठाकर चलने का नैतिक साहस देते थे और जो हमे अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने की ताकत देते थे। आज हमने अपना एक महान अभिभावक, समाज ने एक ज़िम्मेदार नागरिक और साहित्य ने अपना एक सच्चा साधक खो दिया। नमन है।
Madhav Krishna : श्री विवेकी राय जी के निधन पर द प्रेसिडियम स्कूल ग़ाज़ीपुर और उपनिषद मिशन परिवार की और से मैं शोक व्यक्त करता हूँ। वे एक आध्यात्मिक व्यक्ति भी थे और उन्होंने अपने इस व्यक्तित्व को वामपंथी साहित्यकारों के बीच भी जीवित रखा जो उनके दौर के लिए बड़ी बात थी। मुझे पता है कि तथाकथित अधकचरे वामपंथ के ज्ञान वाले वामपंथी लोग किस प्रकार एकतरफा आलोचना करते हुए विवेकी राय जी जैसे लोगों को दरकिनार करने का प्रयास करते है। लेकिन विवेकी राय जी को मिला सम्मान उनकी महा प्रतिभा और संकल्प का द्योतक है। उन्होंने ओशो द्वारा कही गयी पतंजलि योग सूत्र की पुस्तक में भूमिका भी लिखी जो उच्च स्तरीय है और उसे पढकर मुझे आश्चर्यमिश्रित हर्ष हुआ था। मैं एक बार ही संजीव भैया के साथ उनसे मिला और वे जपमाला के साथ निकले थे। ईश्वर उन्हें शांति दे।
गाजीपुर के रहने वाले युवा पुलिस अधिकारी अभिषेक प्रकाश और युवा शिक्षाविद माधव कृष्ण की फेसबुक वॉल से.