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सुख-दुख

पूर्व आईपीएस और पूर्व कुलपति विभूति नारायण राय के खिलाफ केस चलेगा, क्लोजर रिपोर्ट खारिज

Sanjeev Chandan : कितना कठिन होता है एक पुलिस अफसर से लड़ना, आईपीएस से. वह भी तब जब उसने कथित प्रगतिशीलता का चोला पहन रखा हो. आज 7 सालों के अथक प्रयास के बाद हम वर्धा कोर्ट से एक फैसला लाने में सफल हुए जिसका असर हिन्दी साहित्य, विश्वविद्यालय और उसके मठाधीशों पर दूरगामी होने जा रहा है, खासकर दारोगा कुलपति, पुलिसिया साहित्यकार विभूति नारायण राय पर. आज 7 सालों बाद हम ( Rajeev Suman और मैं ) उनके खिलाफ एक मुकदमे में पुलिस द्वारा क्लोजर रिपोर्ट फ़ाइल किये जाने को खारिज करा सके.

अदालत ने मामले में पुनः जांच का आदेश दे दिया. और इस तरह आज से पूर्व आईपीएस और पूर्व कुलपति विभूति नारायण राय 420 सहित अन्य धाराओं के अभियुक्त हुए. उनके साथ अन्य अभियुक्त हैं हिन्दी विश्वविद्यालय के डिप्टी रजिस्ट्रार कादर नवाज खान और परीक्षा प्रभारी तथा वर्तमान कुलपति के दामाद कौशल किशोर त्रिपाठी. एक अन्य अभियुक्त हिन्दी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार कैलाश खामरे अब इस दुनिया में नहीं रहे.

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कठिन था 7 सालों का संघर्ष
हालांकि गिरफ्तारी की डगर अभी थोड़ी मुश्किल है, कारण वही अभियुक्त का पुलिसिया अफसर होना, उनके परिवार में भी अफसर होना. तब वर्धा का पुलिस कप्तान विभूति राय का स्वजातीय भी था और पेशे का जूनियर भी, उनका पैर छूता था. जब राजीव सुमन ने थाने में आवेदन किया तो उसने एफआईआर होने नहीं दिया. हमने कोर्ट से एफआईआर करवाया और राय ने जमानत का अप्लिकेशन डाला तो उसी पुलिस कप्तान ने न सिर्फ जमानत का अप्लिकेशन वापस लिवाया बल्कि जल्द ही इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट डलवा दिया.

VN Rai

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जब कोर्ट में फ़ाइल गुम हो गयी
खेल यहीं तक नहीं था. क्लोजर रिपोर्ट फ़ाइल करवाने में भी खेल किया गया. हाईकोर्ट में पुलिस ने एफिडेविट देकर कहा कि उसने इस मामले में तथ्य न पाते हुए सीजेम कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट सबमिट कर दिया है तो हम कोर्ट पहुंचे रिपोर्ट निकलवाने ताकि उसे चैलेन्ज कर सके. पता चला कोर्ट से फाइल गायब. हम अप्लाई करते, फ़ाइल मिलती ही नहीं. आरटीआई करते फ़ाइल मिलती ही नहीं. तबतक हम दिल्ली रहने लगे थे. इस तरह दो साल लगे फ़ाइल खोजने में, वह भी खुद से देखा तो दिखा कि तारीख और साल के हेरफेर से फ़ाइल दबा दी गयी थी. तब जाकर हमने उस रिपोर्ट को चैलेन्ज किया. इसके बाद अदालतों में जो होता है-तीन साल लग गये फैसला आने में.

मामला क्या था?
दरअसल यह मामला फर्जी मायग्रेशन का है. विश्वविद्यालय में हम मायग्रेशन, फर्जी डिग्रियों के मुद्दे उठाते रहे हैं. विभूति ने हमें ही फर्जी मायग्रेशन की जाल में फंसाया. मायग्रेशन देते हुए चीट किया और मुझपर मुकदमा दर्ज करा दिया. हमारी पीएचडी रद्द करवा दी. राजीव सुमन ने जब उनपर मुकदमा किया तो उसपर भी वही मुकदमा दर्ज करा कर उन्हें रस्टीकेट कर दिया. इस तरह इस मामले में तीन ऍफ़आईआर हो गये. यही नहीं विभूति हमारी गिरफ्तारी के लिए लगातार पुलिस भेजते रहे दिल्ली या हमारे घर. हम दिल्ली में कार्यक्रम काराते तो वहां भी. उधर अपने मामले में पुलिस कप्तान की मदद से क्लोजर रिपोर्ट फ़ाइल करवाकर वे निश्चिन्त थे. हालांकि हमने आगे चलकर अपनी गिरफ्तारी पर स्टे ले लिया हाई कोर्ट से.

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क्या अभियुक्त विभूति अपने साथी अभियुक्तों के साथ गिरफ्तार होंगे या बेल लेंगे?
अब लड़ाई और ओपन हुआ है. विभूति पुलिस वाले हैं. कोर्ट ने पुलिस को पर्टिकुलर आदेश दिया है जांच के लिए -देखते हैं पुलिस वाला गुंडा प्रभावी होता है या बाबा साहेब अम्बेडकर का कानून-हमारी कोशिश होगी प्रॉपर चार्जशीट की ताकि उसके बाद गिरफ्तारी या जमानत की बाध्यता हो. कोशिश होगी जांच के दौरान कादर नवाज खान और के के त्रिपाठी के निलंबन की, क्योंकि एक मुकदमे के आधार पर ही कुछ लड़कियों को विश्वविद्यालय ने तत्काल निलम्बित किया है. हमारे मामले में निलम्बन इसलिए जरूरी है कि जांच प्रभावित नहीं हो. आज तक उस विश्विद्यालय में मायग्रेशन मामले की जांच के लिए न तो संबंधित कंप्यूटर सीज हुआ है और न अन्य कागजात. वैसे मायग्रेशन के और मामले हैं वहां सब पर मामला बने-देखते हैं जनहित याचिका का कोई रास्ता है क्या?

संघर्षरत साथियों के लिए प्रेरणा
यह फैसला विश्वविद्यालयों में संघर्षरत साथियों के लिए एक उदहारण है, वे संघर्ष करें तो शायद इन विश्वविद्यालयों के षड्यंत्रों, मनमानेपन के खिलाफ निर्णायक जीत हासिल हो. चेतावनी हिन्दी संस्थानों के मठाधीशों के लिए भी जो हम जैसे युवाओं की जिंदगियां खराब करते हैं और फिर भी मंचों से नैतिक भाषण उड़ेलते रहते हैं.

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सोशल एक्टिविस्ट संजीव चंदन की एफबी वॉल से.

https://www.youtube.com/watch?v=55NezS4H4_4

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2 Comments

2 Comments

  1. B UPADHYAY

    July 19, 2018 at 2:19 am

    AAP Express ??

    @AAPExpress
    20h20 hours ago
    दिल्ली के वर्तमान मुख्य सचिव अंशु प्रकाश तथा तीन पूर्व CS पर भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप। दिल्ली के डॉ अविनाश कुमार ने प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, सीबीआई, सीवीसी को भेजी पूरी जानकारी।
    वर्तमान एवं पूर्व सीएस पर भ्रष्ट अफसरों को सीवीसी की कार्रवाई से बचाने के लिए फाइल दबाए रखने का आरोप pic.twitter.com/YXvh4caUGd

  2. Prem Paul

    July 19, 2018 at 11:00 am

    I have made many complaints to pmopg ugc bar Council that opjs University churu is selling the degrees to fake students and not only making the nation s pillars weak but also earning one crore rs per day by selling degrees and an fir had been loaded in April but all vain because the actual culprits joginder dalal is still selling degrees.

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