IFWJ National Council Member Shabahat Vijeta letter against Talibani Farmaan of Vipin Dhulia
अध्यक्ष
आई.एफ.डब्ल्यू.जे.
और
समस्त कार्यकारिणी
शक्ति संगठन में होती है. टूटन में नहीं. मैं तो हमेशा से संगठन का पक्षधर रहा हूँ. राजनीति क्योंकि मेरा पेशा नहीं है इसलिए राजनीति की वह बारीकियां नहीं जानता हूँ जिनसे पिछले कुछ दिनों से दो-चार हो रहा हूँ. मैं पत्रकार हूँ और अपने पेशे को ईमानदारी से निभाता हूँ. अपनी पत्रकारिता के 23 सालों में पत्रकारिता के संघर्षों को बहुत करीब से देखा और समझा है. मुझे अच्छी तरह से पता है कि ऐसा कोई संगठन नहीं है जो दस-दस बरस तक संवादसूत्री करने वाले के दर्द को समझ सके. कोई ऐसा संगठन नहीं है जो आठ-आठ महीने काम के बावजूद वेतन न पाने वाले पत्रकार को वेतन दिला सके.
पत्रकार रात-दिन इस तरह से बिहैव करते हैं जैसे कि उनसे बड़ा कोई है नहीं जबकि उनकी खुद की नौकरी की एक दिन की भी गारंटी नहीं है. हद तो यह है कि जिस राजनीति की आज चरणवंदना हो रही है उससे जुड़े लोग पत्रकारिता को प्रास्टीटयूट तक कह चुके हैं. पत्रकारिता को वेश्या बताने वाला मंत्री आज भी शान से मंत्री बना है किसी संगठन ने उस मंत्री के खिलाफ आज तक एक शब्द मुंह से नहीं निकाला.
मैं वर्किंग जर्नलिस्ट हूँ. 23 साल से वर्किंग जर्नलिस्ट हूँ. हाल में राष्ट्रीय पार्षद चुना गया हूँ. मुझे जानकारी मिली कि 28-29 फरवरी को दिल्ली में और 2 से 6 मार्च तक बेंगलुरु में आई.एफ.डब्ल्यू.जे. का सम्मलेन है. मैं दिल्ली अधिवेशन में शामिल होने गया. मेरा बेंगलुरु का भी कार्यक्रम तय था. इसके लिए मैंने बाकायदा अपने कार्यालय से छुट्टी ली थी और रिज़र्वेशन कराया था. इस बारे में कोई भी काम किसी से छुपाकर नहीं किया गया था लेकिन आज मिले ई-मेल से जानकारी मिली कि जो पत्रकार दिल्ली गए हैं वह अगर बेंगलुरु आये तो उन्हें पुलिस के सिपुर्द कर दिया जायेगा.
इस ई-मेल को जिस बेहूदगी से ड्राफ्ट किया गया उसे पढ़कर शर्म आती है कि उसे ड्राफ्ट करने वाला किस मुंह से खुद को पत्रकार कहता है. जो लोग पत्रकारों के साथ हो रही बेइंसाफियों के खिलाफ पुलिस के पास नहीं गए. जो तमाम मंत्रियों द्वारा सार्वजानिक तौर पर पत्रकारों का अपमान करने पर भी मुंह सिये रहे. जो जनरल वी.के.सिंह द्वारा पत्रकारों को वेश्या बताने पर भी यह तय नहीं कर पाए कि वह वास्तव में वेश्या हैं या नहीं वह उन पत्रकारों को जेल भिजवा देंगे जो दिल्ली अधिवेशन में शिरकत करने गए थे.
आई.एफ.डब्ल्यू.जे. के सेक्रेटरी हेडक्वार्टर विपिन धूलिया के हस्ताक्षरों से मिली जानकारी से मुझे पता चला कि बेंगलुरु गया तो पुलिस के सिपुर्द कर दिया जाएगा. शर्म करो विपिन धूलिया. पुलिस न हुई घर की खेती हो गई जिसे चाहा जेल भिजवा दिया. पुलिस के पास और कोई काम तो है नहीं जो किसी को भी जेल भिजवा दोगे.
पत्रकारिता के किसी भी वरिष्ठ के अपमान की बात मैं सोच भी नहीं सकता. क्योंकि मैं अच्छी तरह से जानता हूँ कि मैं अपने वरिष्ठों का अपमान करूंगा तो मेरे कनिष्ठ मेरा अपमान करेंगे. जिस तरह से मैं वरिष्ठों का सम्मान करता हूँ उसी तरह से आई.एफ.डब्ल्यू.जे. का भी सम्मान करता हूँ. इस बैनर पर अधिवेशन करने वाले का नाम क्या है इससे मुझे कोई मतलब नहीं है. मैं संगठन का लम्बे समय से सदस्य हूँ. अब राष्ट्रीय पार्षद चुना गया हूँ. चुने गए व्यक्ति को हटाने के लिए पर्याप्त कारण होने चाहिए. कोई अधिवेशन हो जाने के बाद अगर उसे कोई फर्जी बताता है तो हकीकत में वह खुद फर्जी होता है. सबको पता था कि 28-29 को अधिवेशन हो रहा है ऐसे में अगर इस अधिवेशन से ऐतराज़ था तो यह बात बतानी चाहिए थी. अगर नहीं बतायी थी तो फिर न बताने वाले की गलती है. जब बताने वाला गलत है तो फिर उसके पास फैसले का अधिकार रह ही नहीं जाता.
दिल्ली अधिवेशन से पहले कई दिन से ई-मेल वार छिड़ी थी. तब कहाँ थे यह विपिन धूलिया. क्या इन्हें कोई जानकारी नहीं थी. अगर इन्हें जानकारी नहीं थी तब तो इन्हें खुद तय करना चाहिए कि यह इतने अहम पद पर रहें या नहीं रहें.
धूलिया जी, मैं पत्रकार हूँ. आई.एफ.डब्ल्यू.जे. का स्वाभाविक सदस्य हूँ. चुना गया पार्षद हूँ. मैं कलम का सिपाही हूँ. वरिष्ठों का सम्मान करना जानता हूँ. मुझे श्री के.विक्रम राव का निमंत्रण मिलेगा तो उसे स्वीकारूंगा, श्री हेमंत तिवारी पत्रकारों के भले के लिए कहीं सम्मलेन करेंगे तो वहां भी जाऊंगा. मेरे पास श्री राव और श्री तिवारी दोनों का निमंत्रण था लेकिन आपके पत्र की बेहूदा भाषा ने मुझे यह सोचने पर विवश किया है कि जिस अधिवेशन में 21 राज्यों के डेढ़ सौ पत्रकारों को जेल भेजने की तैयारी की जा रही है उसे आई.एफ.डब्ल्यू.जे. का अधिवेशन कहा जाए या नहीं. पत्रकारों का कुछ भला तो कर नहीं सके चले हैं उनके सम्मान से खेलने. सम्मान देने का काम सिर्फ खुदा का है. वही चाहे तो कोई अपमानित हो सकता है. मुझे नहीं लगता कि खुदा मेरे खिलाफ है. इससे मुझे डर नहीं लगता. बेंगलुरु अधिवेशन करिए. आपकी छोटी सोच की वजह से उसमें शामिल नहीं हो पा रहा हूँ. लेकिन प्लीज़ अब कभी मत कहियेगा कि आपकी सोच जनरल वी.के.सिंह से अलग है.
शबाहत हुसैन विजेता
राष्ट्रीय पार्षद
आई.एफ.डब्ल्यू.जे.
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नोएडा
March 1, 2016 at 9:30 am
जीते जी जहाँ तक जानकरी है कि 28 को सम्मलेन केवल कौसम्भी में हुआ तब ना कि , दिल्ली में और 29 को रासलीला मथुरा/व्रन्दावन में हुई ऐजा टूरिज्म पार्टी, इसका मतलब आप उक्त कार्यक्रम में गए ही नही । फिर क्यू लोगो को गुमराह किया जा रहा । पत्रकारो को। 🙂