आज कल सेक्स पावर बढ़ाने वाली दवाइयों का धन्दा बहुत तेजी से फल फूल रहा है। सेक्स पावर बढ़ाने के नाम पर दवाइयाँ खरीदने वाले लोग इसके साइड इफैक्ट के बारे में नहीं जानते। मेडिकल स्टोर से इस तरह की दवाइयाँ खरीदने वाले लोग डोक्टरी सलाह के बिना ही इनका सेवन कर रहे हैं। इस तरह की मेडिसन बिना किसी स्टैंडर्ड और रेसर्च के बाज़ार में बेची जा रही है।
कई पर तो बनाने वाली कंपनी के नाम के साथ पते के लिए केवल पोस्ट बॉक्स नंबर ही लिखा होता है। लोग केवल उस दवा के पैकिंग पर लगे आकर्षक फोटो देख कर ही उसकी ताकत का अंदाजा लगाते हैं। ऐसे में फायदा कम और नुकसान ज्यादा है।
अखबार, स्थानीय पत्र पत्रिकाओं व रेलवे लाइन के किनारे दीवारों, लोकल ट्रेन के डिब्बों आदि पर नामर्दी, गुप्त रोगों व जोश के इलाज के प्रचार से प्रभावित होकर लोग सेक्स पावर बढ़ाने वाली दवाइयों को खरीद रहे हैं। जबकि ऐसे विज्ञापन सेंट्रल ड्रग एंड स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गेनाइजेशन से अनुमोदित होने चाहिए।
भागमभाग वाले इस दौर में बड़ी तादाद में लोग सेक्स से जुड़ी तथाकथित बीमारियों से परेशान हैं। ये बीमारियाँ जितनी जिस्मानी नहीं, उससे ज्यादा दिमागी होती हैं। इसी का फायदा नीम–हकीम, दवा दुकानदार व तथाकथित सेक्स विशेषज्ञ उठा रहे हैं। सरकार को ऐसे दवा विक्रेताओं के प्रति सख्ती से पेश आना चाहिए व लोगों के लिए जन जागरण कार्यक्रम चलाया जाना चाहिए।
अशोक भाटिया
वसंत नगरी
वसई पूर्व
(जिला– पालघर)
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