Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

काश मैं मोदी और योगी जी का भक्त होता!

राजेश यादव-

मैं टीवी पर सिर्फ बेब सीरीज देखता हूँ। न्यूज चैनल्स और साजिश टाइप के सीरियल देखने का तो कोई सवाल ही नही उठता। मुझे नही पता कि बिग बॉस का विजेता मॉडल और एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला की क्या खूबी थी? कल से सोशल मीडिया पर शोक सभा चल रही है। पता नही क्यों, मैं इस शोक में अपने को शामिल नही कर पा रहा हूँ। लगता है कोरोना की सेकेंड वेव में अपने जानने वालों और सगे मिलाकर लगभग दो दर्जन लोगों की मौत से मेरी संवेदनशीलता कम हो चुकी है ! फेसबुक पर भी जन्मदिन के नोटिफिकेशन से चेक करने पर कोई एक मई 2021 के बाद कम ही मिलता है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

गोरखपुर में जब ऑक्सीजन की कमी से सैकड़ों बच्चे मर गए थे, तब मुझे वास्तव में बहुत दुख हुआ था। अभी फिरोजाबाद से लेकर कानपुर तक मीडिया के शब्दों में रहस्मयी बुखार से कई बच्चे मर गए हैं। मुझे पता है कि अखबारों को मौतों के आंकड़े कम करके छापने को बोला गया है,फिर भी जब वो लिखते हैं कि सिर्फ फिरोजाबाद में इस कथित रहस्मयी बुखार से 40 बच्चे मर गए,तब मुझे बहुत दुख होता है। अपने और अपने परिचितों के बच्चों की फिक्र होने लगती है।

काश मैं मोदी और योगी जी का भक्त होता तो शायद इन सब मौतों को भुलाकर टीवी न्यूज चैनल और व्हाट्सएप पर 20% बढ़ी जीडीपी और सी वोटर्स सर्वे में बीजेपी को यूपी विधानसभा सभा चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें जीतना सुनकर,पढ़कर और देखकर जश्न मना रहा होता। शेयर बाजार के बढ़े सेंसेक्स से अपना कोई सरोकार इसलिए नही है क्योंकि, अपने खून पसीने की कमाई से जुआ खेलने की अपनी औकात नही है। अपने खेत से कटी फसल जैसे गेँहू ,गन्ना,मक्का ,बाजरा इत्यादि व्यापारियों के गोदाम में पहुंचने से पहले महंगी हो जाती तब मेरे लिए भी जश्न की वजह होती।

Advertisement. Scroll to continue reading.

आज एक सरकारी दाना चुगने वाला मीडिया कबूतर रसोई गैस की गणित समझा रहा था। समझ मे नही आई। बस इतना पता है कि तब तिहाई कम कीमत पर मिलती थी। होटल ,रेस्टोरेंट बिजनेस से भी कोई सम्बन्ध नही है इसलिए नॉन सब्सिडी वाला सिलेंडर कभी खरीदा नही। बहरहाल, विषय से भटक रहा हूँ। बात सिद्धार्थ शुक्ला की मौत से शुरू की थी। सिद्धार्थ शुक्ला कोविड पॉजिटिव हुआ था। कोविड पेशेंट को ब्लड क्लॉट होने के चांस रहते हैं। कोविड ट्रीटमेंट के दौरान दिए गए स्टेरॉयड के साइड इफेक्ट्स भी बाद में पता चलते हैं। सिद्धार्थ ने बिना डॉक्टर की सलाह के जिम जाना आरम्भ कर दिया था। इससे उसका ब्लडप्रेशर काबू में नही हुआ और हार्ट अटैक से दुनिया छोंड़ गया। पोस्ट कोविड इफेक्ट्स की वजह से भी कई लोगों की किडनी फेल हो रही हैं। हार्ट फेल्योर हो रहे हैं। लिवर सिरोसिस हो रही है। इसपर अभी अपने देश मे कोई स्टडी नही हुई है। सिर्फ कयास भर हैं। मैं कोई विशेषज्ञ नही हूँ। फिर भी मुझे लगता है कि प्राणायाम ठीक है। जीवन छणभंगुर है। पानी का बुलबुला है। पढ़ा था, सुना था। अब महसूस कर रहा हूँ।

सरकार किसानों से बात नही करेगी लेकिन तालिबान से बात करेगी। किसानों से बात करने में उद्योगपतियों का नुकसान होगा। तालिबान से बात न करने में उद्योगपतियों का नुकसान होगा। आम जनता के खाते में 15 लाख रु तो नही आये किन्तु, अगस्त में 15 लाख लोगों की नौकरियां छीन ली गईं। फिर से ट्रैक उतर गया हूँ। शायद बात मौतों से शुरू हुई थी ! केरल में हथिनी मरी थी। दुबई में श्रीदेवी मरी थी। मीडिया दुखी थी। पीएम दुखी थे। उनके दुख में सबका दुखा था। मॉब लिंचिंग से मुसलमान मारे जा रहे थे। अब हर वो व्यक्ति मारा जा रहा है जो सरकार का विरोध करे। लड़कियों के साथ रेप हो रहे हैं। लेकिन कोर्ट को गाय बचाने की फिक्र है। माननीय कोर्ट साहब को कोई बता दे कि इंडिया में गाय खतरे में नही है बल्कि गाय और उसके आवारा गोवंश से किसान की फसल खतरे में है, सड़क पर घूमते साड़ों की वजह से लोगों की जान खतरे में है। विमर्श इसी बात पर होना चाहिए। लेकिन नही होगा। नसीरुद्दीन शाह की बात पर होगा। बहस जातीय जनगणना पर होनी चाहिये लेकिन बात कुछ जातियों ने इतना खा लिया पर होगी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

मैं फिर से भटक रहा हूँ। असल मे क्रिकेट मैच और बेब सीरीज Mony Heast दोनो साथ मे देख रहा हूँ। मोबाइल पर टाइप भी कर रहा हूँ। ये सब करने के लिये मुझे नमो नारायण जी की तरह अगले जन्म में अवतार लेना पड़ेगा। दिमाग मे कैमिकल लोचा होने के कारण अक्सर इधर उधर निकल जाता हूँ। मुआफ़ कीजियेगा ! इस लंबी बकवास को पढ़कर लाइक करने वालो का नाम नोट कर रहा हूँ। मेरी सरकार आने पर सबके नाम की थैंक्यू वाली होर्डिंग्स लगवाऊंगा। विश्वास कीजिए मैं उनकी तरह झूठ नही बोलता !


देवेंद्र सुरजन-

Advertisement. Scroll to continue reading.

मैं आज सुबह जबलपर स्टेशन गया था जहां मुझसे 2 प्लेटफार्म टिकिट के 100 रुपये मांगे, मैं तो सुनकर अवाक रह गया!

2014 में रेल्वे प्लेटफार्म टिकिट 5₹ की थी और आज 50₹ की है। भक्त न जाने किस मिट्टी के बने हैं और किस मुंह से कहते हैं कि उन्हें महँगाई का कोई असर नही पड़ता।

Advertisement. Scroll to continue reading.

मनोज कुमार-

आपको पता ही है कि लार्ड कार्नवालिस ने 19 वीं सदी की शुरुआत में जमीन की स्थायी बंदोबस्ती(Permanent Settlement) की थी। अब जमीन कार्नवालिस इंग्लैण्ड से लेकर तो आए नहीं थे। यहीं की जमीन थी कार्नवालिस साहब ने उसी जमीन का कुछ लोगों को मालिक बना दिया, कुछ लोगों को रैयत और बड़ी आबादी को जमीन पर खटने वाले भूमिहीन मजदूर में तब्दील कर दिया।

प्रापर्टी राइट के कोड को समझने में तब साक्षरता यानी लिखा-पढी का ज्ञान आवश्यक था। साक्षरता भी एक टेक्नोलॉजी है और उस समय जमीन से सबसे ज्यादा जुड़े किसान इस तकनीकी के मामले में उतने ही चैलेंज्ड थे जितने चैलेंज्ड आज हम स्पेक्ट्रम आदि के मामले में हैं। बहुत सारे किसान पिछड़ गए, पुश्त-दर-पुश्त खेती करते थे, लेकिन कागज़ पर कोई जमीन उनकी नहीं थी। उनके लिए जमीन की मिल्कियत का मतलब उतना ही एब्सर्ड था जितना हमारे लिए अभी हवा की मिल्कियत का है। शुरुआत में किसी ने बहुत परवाह भी नहीं की होगी क्योंकि जब जमीन कॉमोडिटी में तब्दील हुआ तब दो मुर्गे और एक भैंस के बदले सवा एकड़ जमीन मिल जाया करती थी, वैसे ही जैसे आपको अभी 19 रुपये में डाटा पैक मिल जा रहा है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

तो एक बार सोचिएगा कि कहीं यह इक्कीसवीं सदी का लार्ड कार्नवालिस मोमेंट तो नहीं है? मेरे पास इसका उत्तर नहीं है। ऐतिहासिक पैरेलल ड्रा करने में थोड़ी सी ज्यादती हो सकती है, लेकिन पैरेलल ड्रा करने से चीजें समझ में भी आती हैं|
एक बार सोचिएगा कि अम्बानी जी ने डाटा को ऑक्सीजन क्यों कहा है।

अगर ऑक्सीजन है तो ऑक्सीजन तो सबको मिलना चाहिए न। ऑक्सीजन न तो अम्बानी जी ने पैदा किया है और न ही मनमोहन सिंह जी या मोदी जी ने। कभी स्पेक्ट्रम पर थोड़ा शोध कीजिए। अगर आने वाली दुनिया इतनी अधिक डाटा निर्भर होने वाली है तो स्पेक्ट्रम की हालत जंगल-जमीन जैसी हो चुकी है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

मैंने भी 4-G फोन और जियो का नया नंबर ले लिया है। अब मेरे भी जमींदार अम्बानी जी हैं और मैं उनका रैयत हूँ| रैयत तो मुझको होना था, लेकन मैं तो भारत सरकार का रैयत होना चाहता था| जो भी हो भारत सरकार को चुनने और बनाने में कुछ तो दखल अपना भी है, अम्बानी जी पर अपना क्या जोर?

Advertisement. Scroll to continue reading.
1 Comment

1 Comment

  1. Jeelani khan Alig

    September 4, 2021 at 12:43 pm

    Bilkul sateek

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement