Arunesh C Dave-
5G के लॉन्च होने से दुनिया में आमूलचूल परिवर्तन आने वाला है. सबसे ज्यादा प्रभाव हम किस तरह कम्युनिकेट करते हैं, किस तरह चीजों को खरीदते हैं और किस तरह मशीनों का इस्तेमाल करते हैं इन पर पड़ेगा.
5जी के जरिए हमारे उपकरण आपस में संवाद कर सकेंगे, निर्णय ले सकेंगे और इसमें ह्यूमन इंटरवेंशन कम से कम होता चला जाएगा.
जैसे कि एक हाईवे में चल रही कारें को यह पता होगा कि उनके आसपास कितनी कारें किस गति से गुजर रही हैं और वह उनके कितने नजदीक से गुजरेंगी. इस सूचना के आधार पर कोई भी कार अपनी गति, अपनी लेन, रियल टाइम में खुद तय करेगी. इसके साथ ही कार के पास एक विशाल इंफॉर्मेशन बैंक होगा जिसमें उस हाईवे से पहले गुजर चुकी कारों के अनुभव शामिल होंगे. इसके जरिए उस कार को स्पीड ब्रेकर, गड्ढों और ट्रैफिक निर्देशों का पहले से पता होगा.
जाहिर है ऐसे में उस कार को ड्राइवर की आवश्यकता नहीं होगी. इस वक्त टेस्ला अपनी 50 लाख कारों में ऑटोनॉमस ड्राइविंग की सुविधा दे रहा है. हर गुजरते पल के साथ नए अनुभव जुड़ते जाएंगे और यह सेवा बेहतर से बेहतर होती जाएगी. इसे मशीन लर्निंग कहा जाता है.
ऐसा हमारे द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे हर एक उपकरण में होगा. इसके साथ ही वर्चुअल रियलिटी हमें घर बैठे ही विश्व के किसी भी कोने में घूमने का एहसास करा सकेगी. इसके जरिए हम बिना किसी भी स्टोर में गए उसके उत्पाद अनुभव कर खरीद सकेंगे. बिना किसी इंसान के इंसानों से अनेकों गुना बेहतर खेती रोबोट करेंगे आदि आदि इत्यादि.
हर क्रांति की तरह इसमें कुछ विजेता होंगे कुछ लूजर. उच्च तकनीकी शिक्षा पाए मिडिल क्लास से आने वाले युवा इसमें विजेता होंगे और ड्राइवर, कारखाना श्रमिक, कुक, हाउस हेल्प, जैसे समान्य शिक्षित कुशल और अकुशल कर्मचारी इसमें लूजर होंगे. सर्विस सेक्टर के लोग विनर रहेंगे और होलसेल रिटेल सेक्टर के लोग लूजर.
भारत में इस क्रांति की जमीन तैयार की जा चुकी है. अन आर्गेनाईज्ड सेक्टर की नोटबंदी जीएसटी और आनलाईन व्यापार के जरिये पहले ही कमर तोड़ी जा चुकी है और नीतीगत फ्रेमवर्क के जरिये मेगा कंपनियों के लिए रास्ता बनाया जा चुका है. देखने वाली बात बस यह है कि लैंडिंग साफ्ट होगी या हार्ड.