मनीष सिंह-
पेगासस जासूसी कांड में जज, सवैधानिक अथॉरिटीज, और विपक्षी नेताओं के गिनती के नाम है, पत्रकार बहुमत में है. जाहिर होता है कि सरकार को खतरा पाकिस्तान, चीन, तस्करों, आतंकियों से नही- पत्रकारों से है। बोलने और सवाल पूछने वालों से है। इस रावण का अमृत फेक नरेटिव, फेक न्यूज नाम की नाभि में है। इसलिए पूरा फोकस मीडिया पर एब्सोल्यूट कब्जे पर रहा है।
आज निन्यानबे प्रतिशत मीडिया बिका हुआ, एकतरफा नरेटिव चलाने वाला, और सरकार से पोषित है। चैनल सरकारी विज्ञापनों से मोटा मुनाफा कूट रहे हैं, और उनके मालिकान के गले मे ठेकों और राज्यसभा की सीटों का पट्टा डला हुआ है।
तमाम बड़े मिडीया फोरम, चंपू किस्म के एंकर पालकर कुत्ता बिल्ली बहसों के पीछे मूल मुद्दों को डाइवर्ट कर रहे हैं। खुद के लिए इस हरे कालीन को बिछाने के साथ, सरकार ने राह के कांटो को भी चुन चुन कर निकाला है। एक इशारे पर बड़े बड़े पत्रकार दर बदर हो गए।
पुण्य प्रसून, अभिसार शर्मा, अजीत अंजुम, परंजय ठाकुरता जैसी सितारों की लीग में अब श्याम मीरा सिंह का नाम भी जुड़ गया है। एक बेशर्म व्यक्ति को बेशर्म कहने पर आज तक ने उन्हें बेदखल कर दिया। बेहद युवा पत्रकार के लिए यह तकलीफ की बात भी है, बैज ऑफ ऑनर भी।
टॉप के दर्जन भर चैनल आपकी बात नही उठाते। वे सरकार का नरेटिव आप तक पहुचाते हैं। सचाई जाननी और समझनी है तो यू ट्यूब चैनल सब्सक्राइब कीजिए। मुफ्त में नही, पैसे दीजिये। ज्यादा नही तो थोड़ा दीजिये।
वायर, क्विंट, एच डब्ल्यू, द प्रिंट जैसे स्तरीय समाचार और विश्लेषण के लिए विश्वसनीय है। यहाँ बेहतरीन पत्रकारों का तारामंडल है, जिनमे अधिकांश वे है, जिन्हें आप बरसों से यकीन के साथ देखते आए हैं। पुण्य प्रसून और अजीत अंजुम जैसो ने खुद का यूट्यूब पोर्टल बनाया है। बस ये मानिये की इनका सब्सक्रिप्शन लेना, देश की आजादी के लिए लड़ने वालों की लड़ाई में अपना योगदान देना है।
इन पत्रकारों को निकाला जाएगा, डराया जाएगा। ये डरेंगे नही, लेकिन इनका भी पेट है, परिवार है। आपका जरा सा योगदान इनकी रीढ़ मजबूत करेगा। रवीश के बनने के लिए प्रणव राय की जरूरत होती है। इनको कोई प्रणव नही मिल सका, तो वो भूमिका हमे निबाहने की जरूरत है। इन चिरागों को हवाओ का ख़ौफ़ नही।
लेकिन इन्हें हवा से बचाने की जरूरत है।