उच्चतम न्यायालय ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो की जांच के दायरे में आए व्यक्तियों के ब्यूरो के निदेशक रंजीत सिन्हा के निवास पर आने से संबंधित दस्तावेज के आधार पर मीडिया को समाचार प्रसारित और प्रकाशित करने से रोकने से आज इंकार कर दिया। न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि निदेशक के निवास के आगंतुक रजिस्टर से उठा सवाल बहुत ही ‘संवेदनशील’ है और आशा की जाती है कि मीडिया जिम्मेदारी से काम करेगा।
न्यायालय ने आगंतुक रजिस्टर की सूची का विवरण प्रकाशित करने से मीडिया को रोकने का रंजीत सिन्हा के वकील का अनुरोध ठुकरा दिया। जांच ब्यूरो के निदेशक के वकील का तर्क था कि इससे उनके निजता के अधिकार और प्रतिष्ठा का हनन होता है। न्यायाधीशों ने कहा, ‘हमारा इस पर (प्रेस) कोई नियंत्रण नहीं है।
गैर सरकारी संगठन पब्लिक इंटरेस्ट लिटीगेशन के वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया है कि 2जी स्पेक्ट्रम आबंटन प्रकरण तथा दूसरे मामलों के अनेक अभियुक्त और आरोपी कंपनियों के अधिकारी सिन्हा के आवास पर नियमित रूप से आते थे।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि सिन्हा कुछ आरोपियों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं और इसलिए उन्हें पद से हटाने का अनुरोध किया है। न्यायालय ने कहा कि अदालत के विचाराधीन मामलों में लोगों को उसका फैसला होने तक इंतजार करना चाहिए।
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि सीलबंद लिफाफे में उसके समक्ष पेश किए गए दस्तावेजों का विवरण उनके यहां से लीक नहीं हुआ है। न्यायाधीशों ने कहा, ‘यदि कभी कोई सीमा लांघ जाए तो हम उसे रोक नहीं सकते।’
सिन्हा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने इन दस्तावेज की सत्यता और स्रोत पर सवाल उठाया और कहा कि निदेशक के खिलाफ लगाए गए सारे आरोप गलत हैं और ऐसे बयान ‘पूरी तरह झूठे’ हैं।
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