याद है मुझे जब पहली बार ‘शोर’ फिल्म का गाना ‘एक प्यार का नगमा’ सुना था तो बरबस ही आँखों में आँसू आ गए थे। उसके बाद यह मेरे पसंदीदा गानों की सूची में आज भी मेरे मोबाइल में है। बुधवार की सुबह मथुरा से अपने न्यूज चैनल के माध्यम से पता चला कि कोसीकलां में एक दम्पति ने ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली। कई अन्य ख़बरों की तरह ये भी आई गयी हो गयी। लेकिन जब थोड़ी देर बाद तस्वीर सामने आयी, तो उस ४ साल की बच्ची को देखकर बड़ा दुःख हुआ जो बच गयी थी, कितनी प्यारी है… बस यही शब्द निकले मेरे जेहन से, और कुछ देर बाद सामान्य हो गया।
एक झटका तब लगा जब मथुरा में जिस दम्पति ने आत्महत्या की उसके बारे में पता चला कि वो मशहूर गीतकार संतोष आनंद के जीवन की वो लड़ी थी जो अब जीवन के इस आखिर पड़ाव में आकर टूट गयीं। एक प्यार का नगमा है… जिंदगी की ना टूटे लड़ी… जैसे कई मशहूर गीत जिन्होंने लिखे, और ये जो गीत आज भी दिलों में छाए हुए हैं, वो तनहा हो गए, बुरी तरह तनहा। फिल्म ‘प्रेमरोग’ का गीत की वो पंक्तियाँ ‘कल भी सूरज निकलेगा कल भी पंछी गाएंगे सब तुझको दिखाई देंगे पर हम ना नजर आएंगे’ लिखते समय उन्होंने कभी सोचा न होगा की यही पंक्तियाँ उम्र के आखिरी पड़ाव में उनका इकलौता पुत्र उनकी झोली में डालकर दुनिया से अलविदा कह देगा।
लेकिन अभी कुछ ऐसा और देखा जिससे दिल में चुभन हुई। मथुरा के पोस्टमार्टम गृह पर संतोष आनंद और उनकी पत्नी की तन्हा बैठे हुए तस्वीर… और जो भी वहां मौजूद था उससे यही कह रहे थे कि कोई डीएम से कह दो जल्दी करा दें। याद रहे मथुरा की सांसद वही हेमामालिनी जी हैं जिन्होंने उनके लिखे ‘क्रांति’ के एक गीत पर अपने कदम थिरकाये थे, जहाँ तक मुझे मालूम है उनकी तरफ से अभी तक कोई सांत्वना नहीं आई है। कहाँ गए थे कृष्ण की नगरी के वो साहित्य प्रेमी जो उस हंसमुख गीतकार को सहारा देने आगे ना आ पाये। सभी प्रमुख समाचार चैनलों पर खबर चली लेकिन क्या बॉलीवुड से किसी ने जिंदगी की उस टूटती लड़ी को जोड़ने की कोशिश की।
‘वाह वाह क्या बात है’ के मंच पर उन्हें मैंने सुना था। आज मेरी उँगलियों ने यूट्यूब पर संतोष आनंद टाइप किया तो वही एपिसोड फिर से आँखों को नम कर गया। नीचे लिंक डाल रहा हूँ। समय निकाल कर सुनियेगा जरूर। कैसे इस हंसमुख गीतकार की जिंदगी की कहानी एकदम थम सी गयी।
http://www.youtube.com/watch?v=zzle3bpnAng
मथुरा से मोहित गौड़ की रिपोर्ट.
pradeep sharma
October 29, 2014 at 3:44 pm
dost, matlabi duniya ka isse satik aur pidadayak darshan kya ho sakta he.
from-pradeep sharma.mp.