80 प्रतिशत पत्रकारों को सेलरी से मतलब, सरोकार से नहीं

देश को जगाने वाले खुद अंधेरे में, कौन बोले उनके लिए…  जो देश को जगा रहे हैं उनकी भी कोई सुधि लेने वाला है सभी को उनसे बस समाचार चाहिए चोखा। मतलब सही और रोचक। देश की पूरी ईमानदारी पत्रकार से ही चाहिए। जो पत्रकार लिखता पढ़ता है वह सच्चा भी होता है। 80 प्रतिशत ऐसे पत्रकार है देश में। उन्हें बस अपनी सैलरी से ही मतलब है। समाचार वहीं लिखने का प्रयास करते है जिसमें सच्चाई होती है। हर मीडिया कंपनी में ऐसे लोग है तभी आप सच्चाई को समझ और जान पा रहे है।

इन पांच गांवों के लिए ताजमहल अभिशाप, नहीं होती हैं शादियां (देखें वीडियो)

इनके लिए ताजमहल है अभिशाप, कहते हैं इसे कुवारों का गांव… बेपनाह मोहब्बत की निशानी ताज 400 सालों से पर्यटकों को दीवाना बना रहा है। यहां आने वाले पर्यटक इसे प्यार की सबसे बड़ी सौगात मानते हैं। पर यही ताजमहल करीब दो हजार युवक-युवतियों के लिए अकेलेपन का सबब बन गया है। ताजमहल के पूर्वी गेट के पास स्थित गांव अहमद बुखारी, नगला पैमा, गढ़ी बंगस, नगला तल्फी के युवक-युवतियां को कुदरत से शिकायत है कि उन्हें ताजमहल के पास के गांव में क्यों पैदा किया। यहां कुवारों की फौज तैयार हो चुकी है। ताज इस गांव के लिए अभिशाप बन गया है।

मजीठिया मांगने पर ‘हिंदुस्तान’ अखबार ने दो और पत्रकारों को किया प्रताड़ित

लगता है खुद को देश के कानून और न्याय व्यवस्था से ऊपर समझ रहा है हिंदुस्तान अखबार प्रबंधन। शुक्रवार को एक साथ उत्तर प्रदेश और झारखण्ड से तीन कर्मचारियों को प्रताड़ना भरा लेटर भेज दिए गए। इन कर्मचारियों की गलती सिर्फ इतनी थी की बिड़ला खानदान की नवाबजादी शोभना भरतिया के स्वामित्व वाले हिन्दुस्तान मैनेजमेंट से उन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन और अपना बकाया मांग लिया था।

अखिलेश यादव के जंगलराज की कहानी बयां करती अमर उजाला में छपी यह तस्वीर देखेंगे तो आप भी दहल जाएंगे

Mohammad Haider : A shameful situation…. Does this picture not cast a blow our nerves? And our hearts? It’s a very tragic situation. The Medical and Health facilities in the State have almost collapsed. Medical Aid is available only to the high and mighty…. Friends, you may, as educated and able person try and rid your fellow citizens, who are the lesser mortals, by ensuring the initiation of a corrective action…. Every step counts. The process may be initiated by taking a stock of the situation… The PHCs, the CHCs, the District Hospitals are ill equipped, with a fraction of actual workforce, vis-a-vis sanctioned strength… The Nursing homes run sans any approval, exploiting and harassing people…. Its high time. We need to ACT.. Its already TOO LATE.

ट्रिक्सी यानी कुतिया नहीं, बल्कि मेरी बेटी, बहन, दोस्तन, मां और दादी…

मेरी बेटी से बहन, दोस्त, मां और दादी तक का सफर किया ट्रिक्सी ने : ट्रिक्सी की मौत ने मुझे मौत का अहसास करा दिया : मुझसे लिपट कर बतियाती थी दैवीय तत्वों से परिपूर्ण वह बच्ची

-कुमार सौवीर-

लखनऊ : मुझे जीवन में सर्वाधिक प्यार अगर किसी ने दिया है, तो वह है ट्रिक्सी। मेरी दुलारी, रूई का फाहा, बेहद स्नेिहल, समर्पित, अतिशय समझदार, सहनशील और कम से कम मेरे साथ तो बहुत बातूनी। अभी पता चला है कि ट्रिक्सी अब ब्रह्माण्ड व्यापी बन चुकी है। उसने प्राण त्याग दिये हैं।  ट्रिक्सी यानी मेरी बेटी, बहन, दोस्तन, मां और दादी। ट्रिक्सी को लोगबाग एक कुतिया के तौर पर ही देखते हैं, लेकिन मेरे साथ उसके आध्यात्मिक रिश्ते रहे हैं। शुरू से ही।

पांच महीने बिना सेलरी काम कराया और बेइज्जत करके निकाल दिया

माननीय संपादक जी
भड़ास4मीडिया

सर

मेरा नाम श्याम दांगी  है और मैं मुंबई में पत्रकारिता से जुड़ा हूँ। सर नौकरी के दौरान मैं कुछ कठिनाईयों का सामना कर रहा हूँ जिसके लिए आपके मार्गदर्शन की आवश्यकता है। मैं पिछले पांच महीने से मुंबई से प्रकशित होने वाले  दैनिक अखबार दक्षिण मुंबई में बतौर सब एडिटर कार्यरत था। लेकिन मुझे इस दौरान कभी सैलरी नहीं मिली।

देखो महाप्रभुओं! देख लो, इस बुजुर्ग पत्रकार की दुर्दशा

इलाहाबाद। देखिये, इस तस्वीर को जरा गौर से देखिये। दहाड़ें मारकर रोते, माथा पीटते सामने दिख रहे हैं बुजुर्ग पत्रकार रामदेव मिश्र। उसके थोड़ी ही दूर सहमे और हतप्रभ दशा में खड़े थे उनके दो पोते और एक नातिन। रामदेव ने अपना इकलौता बेटा और बहू तो इन तीन मासूम बच्चों ने अपने माता पिता को हमेशा-हमेशा के लिए एक सड़क हादसे में खो दिया। बुजुर्ग पत्रकार रामदेव मिश्र और मासूम उम्र के रामदेव के दो पोते और एक पोती। इस परिवार के आगे अंधेरा ही अंधेरा।

पिता की तेरहवीं में छुट्टी लेकर गए फोटो जर्नलिस्ट की चार दिन की तनख्वाह काट ली

राजस्थान पत्रिका समूह में उत्पीड़न और प्रताड़ना की ढेर सारी कहानियां सामने आती रही हैं. एक ताजे घटनाक्रम के मुताबिक पत्रिका ग्वालियर के फोटो जर्नलिस्ट शशि भूषण पाण्डेय अपने पिता की तरेहवीं में हिस्सा लेने के लिए अवकाश पर गए थे. जब वे लौटकर आए तो पता चला उनका अवकाश मंजूर नहीं किया गया है और उनके वेतन से चार दिन की सेलरी काट ली गई है. इससे आहत पांडेय ने प्रबंधन को पत्र लिखकर न्याय करने की गुहार की है.

‘इंडिया न्यूज राजस्थान’ चैनल बंद, न्यू इयर पर सैकड़ों कर्मियों के लिए बैड न्यूज

विनोद शर्मा और उनके बेटे कार्तिक शर्मा को अपने मीडियाकर्मियों को दुख देने और प्रताड़ित करने में आनंद आता है. शायद कारण वही हो कि मीडिया वालों ने मीडिया ट्रायल के जरिए मनु शर्मा को जेसिका लाल मर्डर केस में सजा दिलवाने में सफलता पाई इसलिए बदला लेने के लिए बाप बेटे ने न्यूज चैनल से लेकर अखबार मैग्जीन सब खोल डाला और हर साल इस मीडिया हाउस से सैकड़ों लोगों को निकालते रखते रहते हैं. ताजी सूचना है कि इंडिया न्यूज राजस्थान चैनल को प्रबंधन ने बंद कर दिया है.

सर्वदा कविता के सुखद आनंद में जीने वाले पंकज सिंह को उनकी ही एक कविता में विनम्र श्रद्धांजलि!

Vinod Bhardwaj : पंकज सिंह से मेरा पुराना परिचय था. 1968 से उन्हें जानता था. आरम्भ लघु पत्रिका की वजह से. 1980 में जब मैं पहली बार पेरिस गया था, तो उन दिनों वे वहीँ थे. काफी उनके साथ घूमा. रज़ा से मिलने उनके साथ ही गया था. लखनऊ में रमेश दीक्षित के घर पर एक बार खुसरो का ‘छाप तिलक’ उनसे सुनकर मन्त्र मुग्ध हो गया था. बहुत सुन्दर गाया था उन्होंने. अजीब बात है कि फेसबुक पर हम मित्र नहीं थे पर वे मेरी कई चीज़ें शेयर कर लेते थे अपनी वाल पर, अधिकार की तरह. पिछली कई मुलाकातों में उन्होंने मुझसे सेप्पुकु पढ़ने की बात की. तय हुआ हम जल्दी ही मिलेंगे. पर आज यह बुरी खबर मिली. मेरी विनम्र श्रद्धांजलि.

क्या प्रसार भारती और आकाशवाणी महानिदेशालय माननीय सर्वोच्च न्यायालय व संसद से भी बड़ी हो गई है!

आकाशवाणी के दोहरे मापदंड एवं हठधर्मिता के चलते लंबे समय से काम रहे आकस्मिक उद्घोषकों का नियमितिकरण नहीं किया जा रहा है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट भी संविधान पीठ भी दस वर्षों या अधिक समय से कार्यरत संविदा कर्मियों की सेवाओं का नियमितिकरण एक मुश्त उपाय के तहत करने के निर्देश दे चुकी है। आकाशवाणी में आकस्मिक कलाकार/ कर्मचारी सन 1980 से अर्थात प्रसार भारती के लागू होने के वर्षों पहले से स्वीकृत एवं रिक्त पड़े पदों के स्थान पर आकस्मिक उद्घोषक/ कम्पीयर के रूप में काम कर रहे हैं।

अमर उजाला की डिजिटल टीम के पास मुद्दों का टोटा, देखिए क्या क्या छाप रहे हैं

Ayush Shukla : लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ. धन्य हो तुम्हारा हिंदी अखबार. धन्य हो इस अखबार की डिजिटल टीम के रिपोर्टर. धन्य हो डिजिटल के संपादक जी और धन्य हो इस ग्रुप के ओवरआल मालिक जी. आप लोग भी इसे देखिए और सोचिए कि अमर उजाला की टीम के पास क्या मुद्दों का टोटा पड़ गया है जो पैंट में पेशाब कर देने जैसी चीजों को खबर बनाने पर तुले हुए हैं.

धंधेबाज और चरित्रहीन जी न्यूज (एमपी-सीजी) वालों ने एक इमानदार रिपोर्टर को यूं बेइज्जत कर निकाला

घटना छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर सरगुजा की है. यहां मनीष सोनी नामक पत्रकार कई वर्षों से जी न्यूज एमपी-सीजी से जुड़े हुए हैं. आज उन्होंने अचानक देखा कि चैनल स्क्रीन पर उनका नाम लिखकर यह चलाया जा रहा है कि मनीष सोनी को चैनल से निकाल दिया गया है, उनसे कोई किसी प्रकार का संबंध अपने जोखिम पर रखे. ऐसी ही कुछ लाइनें बदल बदल कर लगातार चल रही थी. मनीष सोनी को यकीन न हुआ कि आखिर उनके साथ ऐसा क्यों किया जा रहा है. उन्होंने न तो दलाली की है, न बेइमानी की है, न चोरी की है, न अपराधी हैं, तो चैनल वाले ये सलूक क्यों कर रहे हैं.

राज्यसभा टीवी के इंटरव्यू में एक महिला प्रतिभागी पर अपना नाम वापस लेने का दबाव डाला गया!

इसी साल सितंबर महीने में राज्यसभी टीवी में हुए Consultant Anchor के वॉक इन इंटरव्यू के लिए मैं पहुंचा राज्यसभी टीवी के दफ्तर। कई दूसरे प्रतिभागी भी वहां पहुंचे। सभी मीडिया जगत के ही साथी थे। एक-एक कर हमारे सीवी को छांटा गया। फिर जो सभी पैमानों पर उनके विज्ञापन पर खरे उतरे, उन्हें रुकने को कहा गया। बाकी सबको धन्यवाद कह दिया गया। मेरी भी सीवी सिलेक्ट हो गई। मैं काफी समय से मेनस्ट्रीम मीडिया में नौकरी करता आया हूं और अभी भी करता हूं।

‘समाचार प्लस’ चैनल ने मुझ स्ट्रिंगर का छह महीने का पैसा मार लिया!

समाचार प्लस चैनल की रीयल्टी. पत्रकारों का शोषण करने वाला चैनल. न्यूनतम वेतन से भी कम देने वाला चैनल. छ माह की तनख्वाह खा जाने वाला चैनल. असभ्य और बदमिजाज एडिटर वाला चैनल. अपनी बात से बार बार पलटने वाले सम्पादक. स्ट्रिगरों का हक मारने वाले. खबर के लिए चौबीस घण्टे फोन करने वाले. वेतन के लिए फोन नहीं उठाने वाले. रोज शाम राजस्थान की जनता को ज्ञान बॉटने वाले सम्पादक महोदय. एक स्ट्रिगर के सवालों का जवाब नहीं दे पाते. राजस्थान के दर्जनों पत्रकारों के मेहनत के पैसे खा जाने वाले. पत्रकारो को आईडी कार्ड नहीं देने वाले. ऐसा चैनल जिसमे एकाउण्ट और एचआर डिपार्टमेन्ट नहीं हो. गेजुएट, पोस्ट गेजुएट और बीजेएमसी पास युवाओं को मजदूर से कम वेतन देने वाले, वह भी चार माह की देरी से. ये सब करता है समाचार प्लस चैनल.

नवभारत बस्तर के कर्मचारियों को दो महीने में एक दफे वेतन मिलता है!

नवभारत यूं तो एक प्रतिष्ठित अखबार समूह है, लेकिन छत्तीसगढ़ के बस्तर कार्यालय में कार्यरत कर्मचारियों की दुर्दशा यह है कि यहां उन्हें दो महीनों में एक दफे वेतन मिलता है। आपको बता दें कि बस्तर संभाग मुख्यालय जगदलपुर दफ्तर से संचालित है। दूसरी ओर वेतन में भी भारी विसंगति ​की जानकारी मिली है। कुछ लोगों का कहना है कि अन्य अखबार समूहों के बनिस्बत यहां काफी कम वेतन मिलता है। और तो और, पिछले महीने का वेतन इस महीने की 25 तारीख को दी जाती है। ऐसे में अपने परिवार का पोषण करने वाले विशुद्ध पत्रकार किस तरह से अपने दायित्वों को निभाते होंगे, इसे लेकर सहजता से अंदाजा लगाया जा सकता है।

‘आज’ अखबार का मालिक शार्दूल विक्रम गुप्त बोला- ”मैं चाहूं तो किसी रिक्शे वाले को भी संपादक बना सकता हूं”

वाराणसी। ‘आज’ अखबार से आर. राजीवन निकाल दिए गए। वरिष्ठ पत्रकार। सुनिए इनकी दास्तान। ये कहते हैं- फर्जी मुकदमा या हत्या शायद यही मेरे पत्रकारिता कर्म की संचित पूंजी हो, जो शायद आने वाले दिनों में मुझे उपहार स्वरूप मिले तो मुझे आश्चर्य नहीं होगा. यकीन मानिए पूरे होशो-हवास में सच कह रहा हूं। हिन्दी का सबसे पुराना अखबार जो 5 साल बाद अपना शताब्दी वर्ष मनाने जा रहा है, उसी ‘आज’ अखबार में मैने 25 साल तक सेवा की, लिखता-पढ़ता रहा। निष्ठा-ईमानदारी के साथ अपने काम को अंजाम देता रहा। लेकिन एक दिन अचानक मुझे बिना किसी कारण-बिना किसी नोटिस के बाहर का रास्ता दिखा दिया।

‘आज’ अखबार से निकाले गए वरिष्ठ पत्रकार आर. राजीवन ने जब अपनी दास्तान सुनाई तो मीडिया के अंदर की हालत पर रोना आया…        फोटो : भाष्कर गुहा नियोगी

अपनी लगातार खराब होती टीआरपी से परेशान इंडिया टीवी ने स्ट्रिंगरों को तंग करना शुरू किया

इंडिया टीवी की टीआरपी पिछले लगभग एक वर्ष से गिरती ही जा रही है. तमाम कोशिशों के बावजूद भी चैनल है की चढ़ाई चढ़ ही नहीं पा रहा है. ख़बरों के मामले में भी चैनल के पास लगातार सूखा ही पड़ता जा रहा है, जिसकी वजह से चैनल ने अपनी झुंझलाहट निकालते हुए स्ट्रिंगरों का पैसा मारना शुरू कर दिया है. लगातार स्ट्रिंगरों के बिल काटे जा रहे हैं. मेहनताने के नाम पर उन्हें सिर्फ अठन्नी चवन्नी थमाई जा रही है. अब इस चैनल के बुरे दिन आये हैं या कुछ और मामला है, मगर इंडिया टीवी में सब ठीक नहीं चल रहा है, यह तय है.

छुट्टी से लौटे रिपोर्टर को संपादक ने काम से रोका, दोनो में मारपीट होते होते बची, माहौल तनावपूर्ण

भोपाल : मजीठिया वेतनमान की मांग को लेकर दैनिक जागरण के सीईओ संजय गुप्ता के खिलाफ नई दुनिया, भोपाल के कर्मचारियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर होने के बाद जागरण अखबार प्रबंधन बौखला गया है। छुट्टी से लौटे रिपोर्टर को काम से रोकने पर गत दिनो यहां नई दुनिया के संपादक से मारपीट होते होते रह गई। इसके बाद दफ्तर का माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया है।   

The tale of a dalit journalist

Nagaraju Koppula overcame impossible hurdles to become an English language journalist. Shocked to hear of his death at 35, PARANJOY GUHA THAKURTA recalls his determination.

He was truly exceptional in more ways than one. Born into an extremely poor and socially backward family in a village in Khammam district in Andhra Pradesh (now Telengana), he was able to overcome the circumstances of his upbringing to work in an English – yes English! – daily newspaper in Hyderabad before cancer consumed him a few weeks before his 35th birthday.

हेपेटाइटिस सी से पीड़ित ब्लागर अविनाश वाचस्पति को उनके बेटे ने पागल बताकर अस्पताल में कैद कराया

अविनाश वाचस्पति : मैं पागल हूं क्‍या… मेरी इकलौती पोती राव्‍या के पिता यूं तो मेरा बड़ा बेटा अंशुल वाचस्‍पति है पर उसने मुझे पागल मान लिया है… 9 अप्रैल 2015 को बतरा अस्‍पताल में एड‍मिट किए जाने पर डाक्‍टर शरद अग्रवाल और नरसिंग स्‍टाफ की सलाह पर मुझसे मिलकर समझाने की बजाय रस्सियों से मेरे हाथ पैरों इत्‍यादि को बांधने की अनुमति पर अपने हस्‍ताक्षर कर दिए। और, मैं रात भर अपने बेटे का इंतजार करके तड़पता रहा। वह घर में आराम से चैन की नींद लेता रहा। माबाइल पर गेम खेलता रहा। टीवी पर सुनता रहा राजनैतिक घटनाक्रम।

शामली में गैंगरेप से डरे मां-पिता ने बेटी के पैर में जंजीर डाल दिया!

एक स्टोरी लिख रहा था ‘बेटी के पैर में जंजीर’..आप भी सोच रहें होंगे कि आखिर एक बेटी के पैर में भला किसने और क्यों जंजीर डाल दी। सुनकर किसी का भी कलेजा मुंह को आ जाएगा। घटना यूपी के शामली की है लेकिन पूरे देश को प्रतिबिंबित करती है। खुद माता पिता ने ही बेटी की अस्मत बचाने के लिए उसके एक पैर में जजीर बांध दी। वाकई माता पिता ने वो किया जिसे कानून इजाजत नहीं देता है लेकिन सोचिए लाचार माता पिता और क्या करते। महज 16 साल की उनकी बेटी मानसिक तौर से कमजोर है और कुछ दिन पहले उसे अज्ञात अपराधी घर के पास से बहकाकर ले गए और उसके साथ गैंगरेप की वारदात को अंजाम दे दिया।

मेरठ के ‘प्रभात’ अखबार के मीडियाकर्मी सिटी इंचार्ज केपी त्रिपाठी से परेशान

मेरठ के सुभारती समूह द्वारा हिंदी दैनिक अखबार ‘प्रभात’ का प्रकाशन किया जाता है. आरोप है कि अखबार के सिटी इंचार्ज के रवैये से कई पत्रकार अखबार छोड़कर चले गए. इन दिनों छायाकार समीर सिटी इंचार्ज केपी त्रिपाठी के रवैये से सकते में हैं. 31 मार्च को दैनिक प्रभात समाचार पत्र में सुबह के समय सिटी इंचार्ज केपी त्रिपाठी कई पत्रकार एवं छायाकारों के साथ बैठक कर रहे थे. इस बीच छायाकार समीर की कार्यप्रणाली को लेकर सिटी इंचार्ज ने गलत शब्द बोले. सिटी इंचार्ज ने फोटोग्राफर समीर को सभी लोगों के सामने ही बैठक से बाहर निकाल दिया. इससे फोटोग्राफर के सम्मान को काफी ठेस पहुंची.

दिल्ली की यौन शोषित छात्रा न्याय के लिए जंतर-मंतर पर धरना देगी, पढ़ें प्रेस स्टेटमेंट

 (रेपिस्ट, धोखेबाज और चीटर मनोज कुमार की तस्वीर दिखाती पीड़ित मेडिकल छात्रा)

I am a student of ICMR DELHI. Mr Manoj Kumar, THE ACCUSSED also pursuing PhD in dept of Lab Medicine AIIMS came in my contact during academic interactions and induced me and repetitively raped on the false promise of marriage. He used to call me to his hostel room at AIIMS under the guise of guiding me for studying and forced upon me physically several times as a result of which I got pregnant. Due to his influence and clout in the academic circles I had no option then to serve his physical needs as per his dictates forcibly.

यशवंत सिंह, इरा झा और विनायक विजेता ने अपनी-अपनी खराब सेहत के बारे में जानकारी दी

Yashwant Singh : हाई बीपी के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। ecg से लेकर कई किस्म के चेकअप हुए। डॉक्टर ने पांच दिन तक अल्कोहल, नमक, अचार से दूर रहने और दी गयी दवाएं नियम से खाते रहने को कहा है। रोज एक निश्चित टाइम पर बीपी नापते हुए छठें रोज फिर मिलने का आदेश किया है। उसने ह्रदय और दिमाग में मचे आड़ोलन को किसी किस्म का अटैक या हैमरेज होने या इनकी आहट की आशंका होने को खारिज किया है। लेकिन अलर्ट की चेतावनी जारी कर दी है। नार्मल से एलर्ट मोड में जीवन को रख दिया है।

यूपी के डीजी कमलेन्द्र प्रसाद के खिलाफ गवाही देंगे आईजी अमिताभ ठाकुर

आईजी नागरिक सुरक्षा अमिताभ ठाकुर अपने ही डीजी कमलेन्द्र प्रसाद के खिलाफ मशहूर गीतकार संतोष आनंद के बेटे संकल्प आनंद आत्महत्या मामले में पुलिस के सामने गवाही देंगे. उन्होंने आज प्रमुख सचिव गृह और डीजीपी को पत्र लिख कर इस बात से अवगत कराया है. पत्र में उन्होंने यह कहा है कि श्री प्रसाद के साथ पिछले लगभग डेढ़ माह में काम करते हुए उन्होंने उनकी कार्यप्रणाली में वे सभी बातें देखीं जो संकल्प आनंद ने अपने सुसाइड नोट में कहा था.

राजस्थान पत्रिका में मजीठिया वेज बोर्ड के साइड इफेक्ट : डीए सालाना कर दिया, सेलरी स्लिप देना बंद

कोठारी साहब जी, मन तो करता है पूरे परिवार को लेकर केसरगढ़ के सामने आकर आत्‍महत्‍या कर लूं

जब से मजीठिया वेज बोर्ड ने कर्मचारियों की तनख्‍वाह बढ़ाने का कहा व सुप्रीम कोर्ट ने उस पर मोहर लगा दी तब से मीडिया में कार्य रहे कर्मचा‍रियों की मुश्किलें बढ रही हैं. इसी कड़ी में राजस्‍थान पत्रिका की बात बताता हूं। पहले हर तीन माह में डीए के प्‍वाइंट जोड़ता था लेकिन लगभग दो तीन वर्षों से इसे सालाना कर दिया गया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए तनख्‍वा बढ़ी तो जहां 100 प्रतिशत की बढ़ोतरी होनी थी तो मजीठिया लगने के बाद कर्मचारियों की तनख्‍वाह में मात्र 1000 रुपए का ही फर्क आया। किसी किसी के 200 से 300 रुपये की बढ़ोतरी।

मौत ने दूसरी बार कृष्ण मुरारी किशन को मौका नहीं दिया

Vinayak Vijeta : किशन जी का हंसता हुआ वो नूरानी चेहरा… जुल्फें बिखरी पर खिंची तस्वीरों का रंग सुनहरा… 1981 में किशन जी से सासाराम में हुई थी पहली मुलाकात.. एक बार मौत को मात दे दी थी हमारे बड़े भाई किशन जी ने… बिहार ही नहीं देश के दस सर्वश्रेष्ठ फोटोग्राफरों में शुमार कृष्ण मुरारी किशन जी से हमारी पहली मुलाकात 14 जनवरी 1981 में तब हुई थी जब वो कोलकाता से प्रकाशित और तब के सबसे चर्चित साप्ताहिक ‘रविवार’ के लिए कार्य किया करते थे। उस वक्त किशन जी की कला की इतनी धधक थी कि उन्हें इस पत्रिका द्वारा बिहार के बाहर भी फोटोग्राफी के लिए बुलाया जाता था। किशन जी से जब पहली बार सासाराम में हमारी मुलाकात हुई तो उस वक्त मैं सातवीं कक्षा में पढ़ा करता था।

स्व. कृष्ण मुरारी किशन

‘हिंदुस्तान’ के सताए एक ईमानदार और जुझारू पत्रकार अशोक श्रीवास्तव की हार्ट अटैक से मौत

(कुमार सौवीर)


Kumar Sauvir : पत्रकारिता पर चर्चा शुरू हुई तो अशोक श्रीवास्‍तव ने बुरा-सा मुंह बना लिया। मानो किसी ने नीम को करेले के साथ किसी जहर से पीस कर गले में उड़ेल दिया हो। बोला:- नहीं सर, अब बिलकुल नहीं। बहुत हो गया। अशोक श्रीवास्‍तव, यानी 12 साल पहले की जान-पहचान। मैं पहली-पहली बार जौनपुर आया था। राजस्‍थान के जोधपुर के दैनिक भास्‍कर की नौकरी छोड़कर शशांक शेखर त्रिपाठी जी ने मुझे वाराणसी बुला लिया। दैनिक हिन्‍दुस्‍तान में। पहली पोस्टिंग दी जौनपुर।

भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह का एक पुराना इंटरव्यू

मीडियासाथी डॉट कॉम नामक एक पोर्टल के कर्ताधर्ता महेन्द्र प्रताप सिंह ने 10 मार्च 2011 को भड़ास के संपादक यशवंत सिंह का एक इंटरव्यू अपने पोर्टल पर प्रकाशित किया था. अब यह पोर्टल पाकिस्तानी हैकरों द्वारा हैक किया जा चुका है. पोर्टल पर प्रकाशित इंटरव्यू को हू-ब-हू नीचे दिया जा रहा है ताकि यह ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे और यशवंत के भले-बुरे विचारों से सभी अवगत-परिचित हो सकें.

यशवंत सिंह

 

फेसबुक, हिंदी भाषा और पंकज सिंह का दुख

Pankaj Singh : भाषा के बारे में लापरवाह सा नज़रिया फ़ेसबुक के बहुत सारे मित्रों में आम है। उनमें यश:प्रार्थी कवि-लेखकों से लेकर बढ़ती उम्र के स्वनामधन्य भी शामिल हैं। हर सुबह मेरे लिए ‘मित्रों’ की भाषिक भूलें दुख और सन्ताप का कारण बनती हैं। इन ‘मित्रों’ के प्रति मेरे मन में अपनत्व और शुभकामना है, इसलिए कई लोगों से मैं भूल सुधार का आग्रह करता रहता हूँ। शायद इसलिए भी कि उनकी प्रतिष्ठा-अप्रतिष्ठा को मैं अपनी छवि से जोड़कर देखने का आदी हूँ।

मजीठिया वेज बोर्ड : डीएनए, मुंबई में लागू होते ही कर्मी डिमोट हो गए और सेलरी घट गई!

खबर है कि डीएनए अंग्रेजी अखबार मुंबई में मजीठिया वेज बोर्ड का इंप्लीमेंटेशन वर्ष 2010 के डिजीगनेशन के हिसाब से किया गया है. उस वक्त जो जिस पद पर था, उस पद के हिसाब से मिल रही सेलरी के आधार पर मजीठिया वेज बोर्ड के मुताबिक नई सेलरी फिक्स की गई है. इस कारण ज्यादातर लोग एक तो डिमोट हो गए और वर्तमान में मिल रही सेलरी से कम सेलरी पाने लगे हैं. अदभुत है यह पत्रकारों का वेज बोर्ड भी.

उसके बाद संजय गुप्ता बेईमानी पर उतर आया….

गुजरात के अहमदाबाद से अप्रैल 2013 में शुरू हुआ हिंदी न्यूज़ चैनल ‘जानो दुनिया’ आखिरकार बंद हो गया। करीब 250 लोगों की जिंदगी लगभग बर्बाद कर गया। इस चैनल के मालिक और गुजरात सरकार में आईएएस रह चुके संजय गुप्ता एशो आराम की जिंदगी बिता रहे हैं। चैनल बहुत ही शोर शराबे के साथ शुरू हुआ लेकिन जैसे-जैसे दिन गुजरते गए, संजय गुप्ता के इरादे सबके सामने आने लगे। शुरुआत के दो तीन महीने तक तो सबको हर महीने वेतन दिया गया। उसके बाद संजय गुप्ता बेईमानी पर उतर आया।

शिवम भट्ट से मेरी वो पहली और आखिरी मुलाकात

मैं शिवम भट्ट को नहीं जानता था, पहली और आखिरी मुलाकात हिसार के बरवाला में हुई थी, जब रामपाल दास के सतलोक आश्रम का विवाद चल रहा था। सभी पत्रकारों को आश्रम से तकरीबन एक किलोमीटर दूर बैरिकेट्स लगाकर रोक दिया गया था। जिस कारण सभी न्यूज चैनल के पत्रकार उसी बैरिकेट्स से अपना लाइव दे रहे थे। उनमें से मैं भी एक था।

पेंशन : एचटी वाले को 1400 रुपये, डीडीए के माली को 1800!

Vivek Shukla : अभिषेक भाई, पत्रकारों की हालत को बताने के लिए खराब से बढ़कर भी कोई शब्द हो तो उसका इस्तेमाल किया जा सकता है। कुछ दिन पहले अपने हिन्दुस्तान टाइम्स के एक पुराने साथी मिले। बताने लगे कि उन्हें हर माह 1400 रुपये पेंशन मिलती हैं। उससे पहले मुझे डीडीए के दफ्तर में एक माली मिले,जो वहां पर अपने साथियों से मिलने आए थे, बातों-बातों में बताने लगे कि उन्हें 1800 हजार रुपये पेंशन मिलती हैं।

भड़ास पर खबर छपने के बाद कल्पतरु एक्सप्रेस ने राज कमल को फिर से नौकरी पर रखा

कल्पतरु एक्सप्रेस में छंटनी और यहां कार्यरत पत्रकार राज कमल के दुखों को लेकर भड़ास पर खबर छपने के बाद कल्पतरु प्रबंधन ने राज कमल को फिर से नौकरी पर रख लिया है. प्रबंधन के इस कदम की सराहना की जा रही है. हालांकि बाकी निकाले गए पत्रकार अब कल्पतरु समूह की असलियत सामने लाने के लिए लगातार रिसर्च वर्क कर रहे हैं और जल्द ही ढेर सारे डाक्यूमेंट्स के साथ कल्पतरु समूह के गड़बड़झाले का खुलासा मीडिया जगत के सामने करेंगे.

समाचार प्लस के सीईओ उमेश कुमार ने एक दुखी परिवार को हर माह पांच हजार रुपये देने का वादा किया

समाचार प्लस के सीईओ उमेश कुमार ने एक लाचार, बेसहारा और आर्थिक तंगी से जूझ रहे परिवार की मदद के लिए हर महीने पांच हजार रुपये देने का वादा किया है. उन्होंने शुरुआत पांच हजार रुपये देकर कर दी है. इस परिवार के खाते में उन्होंने पांच हजार रुपए डाल दिए. उन्होंने प्रतिमाह इस परिवार को पांच हजार रुपए देने की बात कही है. असहाय महिला राजी देवी का कहना है कि उमेश जी का शुक्रिया अदा करने के लिए उनके पास शब्द नहीं है. इस आर्थिक मदद से अब उनके परिवार को दो वक्त की रोटी मिल पाएगी.  उमेश इससे पूर्व विकलांग जगदीश की भी मदद कर चुके हैं. इस परिवार की भी उमेश जी पांच हजार रुपए प्रतिमाह मदद कर रहे हैं.

यह एक लड़की का कटा पांव नहीं बल्कि एक मीडिया संस्थान का वीभत्स चेहरा है

Surendra Grover : यह सिर्फ एक लड़की का कटा हुआ पांव ही नहीं बल्कि एक मीडिया संस्थान का वीभत्स चेहरा भी है.. न्यूज़ चैनल जिया न्यूज में काम करने वाली स्नेहा वाघेला के पांव दफ्तर के काम से रेल द्वारा एक जगह से दूसरी जगह जाते हुए कट गए.. चैनल मालिकों ने इसके बाद इस लड़की से कन्नी काट ली और कह दिया कि अब उस चैनल से कोई सम्बन्ध न रखे..

शूट के दौरान जिया न्यूज की पत्रकार स्नेहल पटरियों पर गिरीं, दोनों पैर कटे, चैनल की तरफ से कोई मदद नहीं

कल एक फेसबुक मित्र से हाय हैलो हुयी. पहले वो रियल4न्यूज मे काम करती थीं. उसके बाद कल हालचाल पूछा तो पता चला कि जिया न्यूज में है. मैंने पूछा किस स्टोरी पर क़ाम चल रहा है तो बोलीं- फिलहाल रेस्ट पर हूं. मैंने कहा- कब तक. बोलीं- पता नही. मजाक में मैंने कहा- आफिसियल हालीडे. वो बोलीं- नो. मैंने कहा- शादी या प्रेग्नेन्सी. बोलीं- नहीं. फिर दिलचस्पी ली. एक और कयास लगाया की शूट के दौरान घायल? उसने कहा- हां.

बनारस के वरिष्ठ पत्रकार गोपाल ठाकुर खुले आसमान के नीचे मौत का कर रहे हैं इंतजार…

क्या पता कब मारेगी
कहां से मारेगी
कि जिदंगी से डरता हूं
मौत का क्या, वो तो
बस एक रोज मारेगी

कभी धर्मयुग जैसे प्रतिष्ठित पत्रिका से जुड़े रहे बुर्जुग पत्रकार गोपाल ठाकुर को जिदंगी रोज मार रही है, फिर भी जिंदा हैं… सिर पर छत फिलहाल नहीं है…. जो अपने थे, वक्त के बदलते रौ में वो अपने नहीं रहे… बेबसी, बेकारी हालात के शिकार गोपाल जी का नया ठिकाना फिलहाल रविन्द्रपुरी स्थित बाबा कीनाराम आश्रम का चबूतरा है, जहां लेट कर आसमान को निहारते हाथों को ऐसे ही हिलाकर शायद अपने गुजरे वक्त का हिसाब-किताब करते मिले… लेकिन इतने बुरे वक्त में भी उनके चेहरे पर शिकन नहीं दिखी…

यूट्यूब पर ‘संतोष आनंद’ टाइप किया तो वही एपिसोड फिर से आँखों को नम कर गया

याद है मुझे जब पहली बार ‘शोर’ फिल्म का गाना ‘एक प्यार का नगमा’ सुना था तो बरबस ही आँखों में आँसू आ गए थे। उसके बाद यह मेरे पसंदीदा गानों की सूची में आज भी मेरे मोबाइल में है। बुधवार की सुबह मथुरा से अपने न्यूज चैनल के माध्यम से पता चला कि कोसीकलां में एक दम्पति ने ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली। कई अन्य ख़बरों की तरह ये भी आई गयी हो गयी। लेकिन जब थोड़ी देर बाद तस्वीर सामने आयी, तो उस ४ साल की बच्ची को देखकर बड़ा दुःख हुआ जो बच गयी थी, कितनी प्यारी है… बस यही शब्द निकले मेरे जेहन से, और कुछ देर बाद सामान्य हो गया।

ये पत्रकार हैं या चाटुकार (देखें तस्वीरें)

ये दो तस्वीरें हिमाचल प्रदेश के जिला उना जिले की है. यहां के पत्रकारों की चाटुकारिता का नमूना हैं ये तस्वीरें. चाटुकारिता में ये पत्रकार इतने घिर गए कि इन लोगों को अपने पेशे की गरिमा का तनिक खयाल ही नहीं रहा. आखिर कैसे इनसे उम्मीद की जाएगी कि ये निष्पक्ष पत्रकारिता का धर्म निभाएंगे. सत्ता के चरणों में लोटने को आतुर इन पत्रकारों की करनी पर कलम के सच्चे सिपाहियों का सिर शर्म से झुक गया है.

पत्रकार सत्येंद्र का छह घंटे तक चला मुख कैंसर का आपरेशन, आर्थिक मदद की अपील

दिल्ली के रोहिणी-5 स्थित राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर में पत्रकार सत्येंद्र प्रताप सिंह का कल मुख कैंसर का आपरेशन हुआ. आपरेशन करीब छह घंटे तक चला. डाक्टरों का कहना है कि आपरेशन सफल रहा. सत्येंद्र को अभी आईसीयू में रखा गया है और अगले कुछ दिनों तक आईसीयू में ही रहने की संभावना है. सत्येंद्र दिल्ली में हिंदी बिजनेस डेली बिजनेस स्टैंर्डड में मुख्य उपसंपादक के रूप में कार्यरत हैं.

मुख कैंसर के थर्ड स्टेज से जूझ रहे हैं बिजनेस स्टैंडर्ड हिंदी के पत्रकार सत्येंद्र प्रताप सिंह, परसों होगा आपरेशन

सत्येंद्र प्रताप सिंह


मीडिया के अपने कई साथी चुपचाप अपनी मुश्किलों-बीमारियों को झेलते रहते हैं. वे इतने संकोची भी होते हैं कि उनकी दिक्कतों के बारे में उनके करीबी साथियों को भी पता नहीं चल पाता. बिजनेस स्टैंडर्ड, दिल्ली के मुख्य उप संपादक सत्येंद्र प्रताप सिंह का परसों यानि बृहस्पतिवार को मुख कैंसर का आपरेशन राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर रोहिणी 5, दिल्ली में आपरेशन होगा. सत्येंद्र के परिचति Sandeep Kumar फेसबुक पर एक संक्षिप्त अपील लिखते हैं, कुछ लोगों को टैग करके, ताकि सत्येंद्र जी की मुश्किल में लोग उनके साथ खड़े हो सकें. अपील इस प्रकार है-