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कुछ चैनल वाले जिले में स्टिंगर को अपने संस्थान का कुत्ता समझते हैं

‘नेशनल वायस’ के बाराबंकी रिपोर्टर ने उत्पीड़न से दुखी होकर इस्तीफा दिया… ‘नेशनल वायस’ चैनल के बाराबंकी के रिपोर्टर ने इस्तीफा दे दिया. इस्तीफा से पहले रिपोर्टर ने चैनल के असाइनमेंट ग्रुप में एक पोस्ट डाल कर अपने उत्पीड़न के बारे में विस्तार से लिखा, जिसे नीचे दिया जा रहा है.

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‘नेशनल वायस’ के बाराबंकी रिपोर्टर ने उत्पीड़न से दुखी होकर इस्तीफा दिया… ‘नेशनल वायस’ चैनल के बाराबंकी के रिपोर्टर ने इस्तीफा दे दिया. इस्तीफा से पहले रिपोर्टर ने चैनल के असाइनमेंट ग्रुप में एक पोस्ट डाल कर अपने उत्पीड़न के बारे में विस्तार से लिखा, जिसे नीचे दिया जा रहा है.

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आदणीय नेशनल वायस मैनेजमेंट टीम

लखनऊ

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विषय : बगैर पगार चैनल के लिए दिनरात भागदौड़ करना और जबरदस्त तनाव के साथ स्टोरी के लिए स्थानीय नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों से दुश्मनी लेना.. खुद अपने खर्च पर न्यूज़ तैयार कर चैनल को उपलब्ध कराना…. बदले में चैनल में कार्ययत कुछ लोगों द्वारा अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हुए लगातार प्रेशर बनाना और चैनल से हटवा देने की धमकी देना… जब अपनी स्टोरी के पेमेंट के लिए बात की जाती है तो पाँच सौ कारण गिनाकर पेमेंट न भेजना… क्या साहब, चैनल में स्टोरी पेमेंट के लिए 500 कारण से गुजरना पड़ता है.. इन्हें पास करना करना जरूरी है… मुबारक हो मेरा ये पेमेंट… मैं खुद बाराबंकी जिले से नेशनल वायस चैनल से इस्तीफा दे रहा हूँ!

आदणीय महोदय!

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मुझे बड़ी खुशी हुयी जब पता चला- ”चैनल को दोबारा चलाने के लिए संस्थान में अच्छे लोग अब आ गए है. जिले से नेशनल वाइस चैनल के शुरुवाती दौर से मेहनत से काम करने वाले रिपोर्टर हटाए नही जाएंगे, वही लोग काम करेंगे और अब उन्हें समय समय पर उनकी स्टोरीज का पेमेंट भी मिलेगा.” यह सब सुनकर मेरे अंदर फिर से उत्साह जगा और फिर से कहीं ज्यादा एनर्जी के साथ हम काम पर लग गए. मुझे विश्वास था हम अच्छे से अच्छा काम करेंगे और हमें हमारी मेहनत का पेमेंट भी मिलेगा. लेकिन चैनल के शुरुवाती दौर में और न​ इधर तीन महीने से कोई पेमेंट चैनल की तरफ से मुझे दिया गया. पेमेंट की बात करता हूँ तो पांच सौ कारण गिनाये जाते हैं न देने के. ​

दीपावली पर उम्मीद थी, वो भी इन्तजार करते करते निकल गयी. चलो पैसे नहीं आये, कोई बात नहीं. हम उसे भूल जाते हैं. लेकिन चैनल में बैठे कुछ लोगों के द्वारा अभद्र व्यवहार, टिप्पणी और बार बार चैनल से हटवा देने का ताने देना अब बर्दाश्त से बाहर होता जा रहा है. फोन पर उल्टी सीधी बातें बोलना. क्यों ये खबर क्यों नहीं आयी? लेट क्यों हो गयी/ डे प्लान की स्टोरी क्यों नहीं आयी? डे प्लान क्यों नहीं भेजा? डे प्लान का डिटेल्स क्यों नहीं भेजा? क्या क्या करोगे,  ये भी लिखो? इस स्टोरी पर अपनी माइक आईडी क्यों नहीं लगी? अरे साहब आपकी इज्जत करते हैं इसलिए हम बिना पेमेंट के पिछले काफी समय से काम तो करते चले आ रहे हैं!

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पत्रकारिता के गुरुजनों ने कभी बेईमानी और चाटुकारिता नहीं सिखाई. और, न ही मान सम्मान से समझौता करने की सलाह दी. इसलिए चापलूसी हमें कभी पंसद नहीं आयी. जिनके साथ हमने काम किया और आज भी करता हूँ उन्होंने कभी दुर्व्यवहार और बदतमीजी से बात नहीं की. शायद ऐसे लोगों को हमारे गुरुजनों से सीखना चाहिए जो जिले के स्टिंगर को अपने परिवार के सदस्य की तरह आज भी मानते हैं! ईमानदारी से काम करने वालों के लिए काम की कमी नहीं है. जिले में हम धन उगाही नहीं करते. मीडिया में ​अपनी और अपने संस्थान की ईमानदारी के लिए हम बहुत कुछ अपने निजी संसाधनों से मैनेज करते हैं जिसके बाद ​हम आपको जिले से स्टोरी ​देते हैं.

आपको लगता है जिले में पैसों की बौछार होती है और जिले का रिपोर्टर बहुत मालामाल रहता है. ये सोच आप बदल दीजिये. आपको तो मोटी पगार महीना ख़त्म होते मिल जाती है. लेकिन हम लोग सालों इंतजार में समय खर्च कर देते है. सोचते हैं चलो, कभी न कभी तो चैनल से पेमेंट आ ही जाएगा. मेरा भी परिवार है. मेरे भी खर्चे हैं. अगर इतने लम्बे समय में दो से तीन बार हमारे खाते में अगर तीन से चार हजार रूपये चैनल की तरफ से आ भी गए तो उतने रूपये में हमारा खराब कैमरा भी तो नहीं बनेगा. आपतो संस्थान से छुट्टी लेकर परिवार के साथ बाहर घूमने भी चले जाते हो. मुझसे उम्मीद करते हो कि 24 घंटे जिला छोड़कर न जाएं और हर खबर भेजते रहें. हमे लगता है जो लोग फ्री में काम करवाना चाहते हैं उन्होंने जिले से कुछ ख़ास पत्रकारिता सीखी है और हमसे भी वही उम्मीद करते हैं!

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इसमें चैनल मालिक और प्रबंधक की कोई गलती नहीं है. गलती उनकी है जो लोग झोलाछाप पत्रकार बनकर संस्थान में हेकड़ी दिखाने लगे हैं. अगर आपको कुछ सीखना है तो कुछ बड़े ब्रांड न्यूज़ चैनल में काम करने वाले लोगों से सीखना चाहिए. जिनका प्रदेश और देश की पत्रकारिता में बहुत नाम है. उनके साथ काम करते हुए मुझे आजतक एहसास नहीं हुआ. कभी तनाव न कभी प्रेशर! आप तो ये भी कहते हो मेरे चैनल में काम करना है तो दूसरे चैनल का काम हम न करें. लेकिन ये बातें हमारे इन बड़े ब्रांड में काम करने वाले साहब नहीं कहते हैं जिनके साथ काम करते हुए एक लंबा समय गुजार दिया.

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आपने कभी अपने चैनल से मेरी मान्यता प्राप्त करवाने के बारे में नहीं सोचा होगा लेकिन हमारे इस बड़े चैनल ने हमें बहुत पहले से सरकारी मान्यता प्राप्त पत्रकार का दर्जा दिलवा रखा है! टीआरपी और सबसे आगे दिखाने के लिए आपने कभी जिले के रिपोर्टर के बारे में नहीं सोचा होगा कि वो अपनी जान जोखिम में डालकर और टेंशन लेकर आपके चैनल के लिए खबर कवरेज करने निकला है. उस दौरान भी आप फोन के ऊपर फोन लगाते रहते हो जबकि वो तेज तफ्तार से बाइक पर चल रहा होता है! जब पेमेंट की बात होती हैं तो 500 कारण गिनाए जाते हैं. एक भी कमी निकलने पर पेमेंट देने से मना कर दिया जाता है. कुछ चैनल वाले जिले में स्टिंगर को अपने संस्थान का कुत्ता समझते हैं. वो चाहते हैं कि उनके इशारे पर वो अपनी दुम हिलाये. उनके इशारे पर वो भोंके. उनके कहते ही तत्काल उन्हें खबर उपलब्ध करवा दे.

ऐसे लोगों से मेरा अनुरोध है आपने एक माइक आईडी उसे पकड़ा दी और कह दिया जाओ, तुम जिले के शेर हो, उसकी ये कर देना उसकी वो कर देना, उसकी फाड़ देना, हमे सबसे पहले एक्सक्लेसिव फुटेज देना, वो भी अपने चैनल की माइक आईडी पर… अरे साहब, आपने एक माइक आईडी पकड़ा दी लेकिन न उसे संस्थान से कैमरा दिया और न ही उसे कैमरामैन मुहैया कराया. इतना ही नहीं, उसके पास शायद कम्प्यूटर और अच्छा फोन है या नहीं, ये भी आपने साहब जानने की कोशिश नहीं की. उसने कैसे मैनेज किया होगा, पता नहीं किया. उसे न आने जाने का साधन दिया न खर्चा. आपने महीना पूरा होने पर उसके द्वारा भेजी गयी स्टोरी का पैसा तक नहीं दिया.

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इसके बावजूद आप लोग चाहते हो वो हर स्टोरी पर आपके चैनल की माइक आईडी लगाए, डे प्लान देकर अच्छी पीटीसी वाक् थ्रू करके फटाफट खबर भेजता रहे. साहब, वो इंसान है, मशीन नहीं है. मै भी इंसान हूँ. मशीन नहीं. तनाव मुक्त और ईमानदारी के साथ इज्जत से पत्रकारिता करने वाला इंसान हूँ! मुझे जिन गुरुजनों ने मीडिया की एबीसीडी सिखाई, उन्होंने कभी मान सम्मान से समझौता करना नहीं सिखाया. जिस संस्थान के लोग पांच सौ कारण गिनाकर जिले के रिपोर्टरो का पेमेंट काट लें, उन्हें ये पैसा मुबारक हो… हां, पत्रकारिता में अपने उसी संस्थान के साथ बेहद खुश हूँ जहां मान सम्मान के साथ साथ महीने की शुरुवात होते ही खाते में पैसा आ जाता है.. पैसे न मिले तो ठीक… मान सम्मान से कोई समझौता नहीं… नेशनल वाइस न्यूज़ परिवार को बहुत बहुत बधाई… सभी को मेरा प्रणाम!

जय हिन्द

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0 Comments

  1. vivek kumar

    October 30, 2017 at 12:23 pm

    कहने को इंडिया वॉयस न्यूज चैनल रिलॉंन्च हो गया लेकिन जिन लोगों ने इंडिया वॉयस छोड़ा उनकी सैलरी संस्था ने अभी तक नहीं दी..इंडिया वॉयस ने मेरी 2 महीने की सैलरी अभी तक नहीं दी कई बार ऑफिस में फोन किया कई बार जाकर सैलरी को बोला लेकिन आजकर कह-कहकर संस्था रोज टालता आ रहा है…मेरी हालत ये हो चुकील कि मेरे पास दिवाली में घर जाने तक का पैसा नहीं है..दूसरों की मेहनच की कमाई खाकर ये लोग अपने घरों के दिए जला रहे हैं..मेरी आप लोगों से विनती है प्लीज मेरा नाम मत डालिएगा और प्लीज इसे जरूर शेयर कीजिएगा

  2. safal kumar

    October 30, 2017 at 12:25 pm

    हिंदी न्यूज़ चैनल की लिस्ट में नम्बर 6 news nation और रीजनल चैनल की लिस्ट में नम्बर 1 news state up/uk ने अभी हाल ही में हेड आफिस में एक ब्यूरो मीट का आयोजन किया जिसमें कम्पनी ने अच्छा प्रदर्शन करने वाले ब्यूरो हेड को सम्मानित किया अच्छी बात है मगर कम्पनी यूपी और उत्तराखंड के अपने उन स्ट्रिंगरो को भूल गयी जिनकी वजह से चैनल नीत नये आयाम छू रहा है मैं अपील करता हु कम्पनी के कर्मचारियों से नही बल्कि मालिको से की कम से कम उन्हें भी सम्मान दो जो चौबीसों घण्टे अपना दुख दर्द भुलकर आपके लिये खबरे ढूंढते है

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