एक पत्रकार को जीवन में पहली बार ‘अछूत’ होने का अहसास क्यों हुआ?

प्रोफेशनल लाइफ के २८ साल में मैंने खूब भाड़ झोंकी है। करीब ढाई दशक तक मीडिया संस्थानों की शोषण की चक्की में खुद को हँसते- हँसते पिसवाया। जिला स्तर से लेकर प्रदेश स्तर और राष्ट्रीय स्तर  पर एक से एक निकृष्ट मालिकों के अधीन काम करने का कटु अनुभव रहा। कुछ संस्थानों की नौकरी को मैंने खुद छोड़ दिया तो कुछ संस्थानों ने मुझे निकाल दिया। प्रोफेशनल लाइफ के पहले पंद्रह साल में मुझे नौकरी जाने का थोड़ा दुःख भी होता था। मन में टीस उठती थी कि कठोर परिश्रम और सत्यनिष्ठा एक झटके में व्यर्थ चली गई, लेकिन पिछले एक दशक से मैं इस मामले मैं बिलकुल संवेदनहीन हो गया हूँ। नौकरी जाना कोई मसला नहीं। 

कुछ चैनल वाले जिले में स्टिंगर को अपने संस्थान का कुत्ता समझते हैं

‘नेशनल वायस’ के बाराबंकी रिपोर्टर ने उत्पीड़न से दुखी होकर इस्तीफा दिया… ‘नेशनल वायस’ चैनल के बाराबंकी के रिपोर्टर ने इस्तीफा दे दिया. इस्तीफा से पहले रिपोर्टर ने चैनल के असाइनमेंट ग्रुप में एक पोस्ट डाल कर अपने उत्पीड़न के बारे में विस्तार से लिखा, जिसे नीचे दिया जा रहा है.

छुट्टी मांगने पर उस हृदयहीन संपादक ने कहा- ‘किसी के मरने जीने से मुझे कोई मतलब नहीं है’

Jaleshwar Upadhyay : निष्ठुर प्रबंधन और बेशर्म संपादकों के कारण एचटी बिल्डिंग के सामने धरनारत कर्मचारी की मौत पर मुझे कोई आश्चर्य नहीं हुआ। मैंने अपनी जिंदगी में ऐसे बेगैरत और हृदयहीन संपादक देखे हैं कि नाम याद कर घिन आती है। नाम नहीं लूंगा, लेकिन जब मेरी पत्नी मृत्युशैया पर थीं तो मैंने अपने संपादक से छुट्टी मांगी।

नीमच का एक पत्रकार बता रहा है आजकल की पत्रकारिता की सच्चाई, जरूर पढ़ें

बात दिल की है. कहानी लंबी है. पढ़ेंगे तो जानेंगे ‘मेरी’ हकीकत क्या है… इन दिनों मीडिया का बोलबाला है. मीडियाकर्मी होना बड़ा चार्मिंग लगता है. लेकिन इस व्यवस्था के भीतर यदि झांक कर देखा जाए तो पता चलेगा, जो पत्रकार जमाने के दुःख दर्द को उठाता है, वो खुद बहुत मुश्किल में फंसा है. पत्रकारों को समाज अब बुरे का प्रतीक मानने लगा है. हम कहीं दिख जाएं तो लोग देखते ही पहला सवाल करते हैं- मुस्तफा भाई, खैरियत तो है… आज यहाँ कैसे? यानि यहाँ ज़रूर कुछ झंझट है, इसलिए आये हैं.

सहाफत अखबार में काम करने गए मोहम्मद इरफान के साथ क्या हुआ, जानिए उनके पत्र से

Media friends, aaj mai aap sabhi newspaper ke friends aur social media ke logo ko apna dard batana chahta hu ki maine print media ke circulation deptt. me taqreeban 15 saal diye jisme The hindu, Janmadhyam aur Inquilab jaise newspaper shamil hai. Maine ek august ko sahafat urdu daily join kiya tha. Aman abbas sb ne mujhe kai baar call karke bulaya tha aur kaha ki mere sahafat ka circulation incharge ban jaiye.

रिपोर्टरों का पैसा खा गया यह चैनल!

सेवा में,
सम्मानित चैनल हेड / सीनियर्स / रिपोर्ट्स / स्टाफ
नेशनल वायस चैनल

आप और हम लोगों ने नेशनल वायस न्यूज़ चैनल को बड़ी मेहनत से आगे बढ़ाया और कम समय में मेहनत के बलबूते पर आगे तक लेकर गए और उस मेहनत की मलाई किसी ओर को समर्पित की गई। हमने दिन रात मेहनत कर लगभग दो साल तक चैनल को अपने खून पसीने से सींचा मगर हमारे सीनियर्स, चैनल के उच्चाधिकारियों ने हमारी मेहनत की मलाई खूब अच्छे से खाया और अपना पेट भरा। साथ ही उनका भी भरा जो उनके चाटुकार थे। मैंने अपनी मेहनत से चैनल को खूब काम करके दिया। खुद भूखा रहा। मगर चैनल को भूखा नहीं रहने दिया। उसका पेट भरता रहा। अपने करियर को देखते हुए घर में झूठा दिलासा देता रहा कि मैं एक अच्छे चैनल में काम कर रहा हूँ। मुझे अच्छा मेहनताना मिलता है। दिल टूट गया जब मेरे पिताजी ने एक दिन कहा कि अपनी कमाई से कुछ घर भी लेकर आया कर। मगर उन्हें कहाँ पता था कि मेरी मेहनत की कमाई तो चैनल के बड़े लोगों में बंट रही है।

सच्चे ब्लैकमेलर पत्रकार ऐसे होते हैं… पढ़ लीजिए और पहचान लीजिए…

सोनभद्र में साधना न्यूज के पत्रकार विष्णु गुप्त के खिलाफ ब्लैकमेलिंग और बलात्कार का मुकदमा दर्ज

यूपी के सोनभद्र जिले के दुद्धी से खबर है कि प्राईवेट अस्पताल में कार्यरत एक महिला ने पत्रकार विष्णु गुप्त के खिलाफ स्थानीय थाना में कई धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है. महिला ने अस्पताल में अनियमितता का भय दिखाकर सत्तर हजार रुपये ब्लैकमेल करने और भयाक्रांत कर मर्जी के खिलाफ शारीरिक सम्बन्ध बनाने का आरोप लगाया. पत्रकार विष्णु के खिलाफ स्थानीय थाना में 376, 385, 228, 504, 506 आदि धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया जा चुका है. पत्रकार विष्णु खुद को साधना न्यूज चैनल समेत कई न्यूज चैनलों और अखबारों का संपादक बताता है. वह अश्लील वीडियो क्लिप भी लोगों को दिखा कर महिला को बदनाम कर रहा है.

UC NEWS में प्रबंधन की गुूंडई : एक महिला कर्मी को बुरी तरह प्रताड़ित कर बाहर निकाला

 चीन की कंपनी अलीबाबा ग्रुप के यूसी न्यूज़ में काम कर रही महिला कर्मचारी को अपने हक के लिए आवाज़ उठाने पर दिखा दिया गया बाहर का रास्ता

भारत-चीन का मुद्दा जग जाहिर है. सीमा पर चल रहे विवाद के बावजूद चीन की कई बड़ी कंपनियों ने भारतीय बाज़ार में अपने पैर फैला रखे है. उन्हीं में से एक है जाने-माने अलीबाबा ग्रुप का यूसी न्यूज़ (UC NEWS) जिसका ऑफिस गुरुग्राम में स्थित है. अपना ऑफिस होने के बाद भी यूसी न्यूज़ ने एक कंसल्टेंसी कंपनी को अपनी वेबसाइट पर आने वाली ख़बरों के कंटेंट ऑडिट, वीडिओ ऑडिट, ट्रांसलेशन आदि का काम सौंप रखा है. दूसरे शब्दों में “एन्हांस बिज़नेस सोल्यूशन” नाम की इस कंसल्टेंसी कंपनी का यूसी न्यूज़ एक क्लाइंट है. यहाँ काम करने वाले सभी ऑडिटर्स वैसे तो काम यूसी न्यूज़ के लिए कर रहे लेकिन उनका पेरोल एन्हांस बिज़नेस सोल्यूशन के नाम पर ही होता है.

बिहार में दैनिक जागरण कर रहा अपने कर्मियों का शोषण, श्रम आयुक्त ने जांच के आदेश दिए

दैनिक जागरण, गया (बिहार) के पत्रकार पंकज कुमार ने श्रम आयुक्त बिहार गोपाल मीणा के यहाँ एक आवेदन दिनांक लगाया था. पिछले महीने 26 जुलाई को दिए गए इस आवेदन में पंकज ने आरोप लगाया था कि गया जिले सहित जागरण के बिहार के सभी चार प्रकाशन केंद्र में श्रम कानून के तहत मीडियाकर्मियों और गैर-मीडियाकर्मियों को कई किस्म का लाभ नहीं दिया जा रहा है. यहां 90 प्रतिशत से अधिक पत्रकार एवं गैर पत्रकारों का प्राविडेंट फंड, स्वास्थ्य बीमा, सर्विस बुक सहित कई सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है. साथ ही माननीय सर्वोच्च्य न्यायालय द्वारा मजीठिया वेज बोर्ड के तहत सेलरी, पद और ग्रेड की जो घोषणा की जानी थी, उसे भी नहीं नहीं किया गया है.

मैं आपको भारत के लोक सेवा प्रसारक ‘दूरदर्शन’ की हकीकत बताता हूं

दूरदर्शन केंद्र जयपुर में कैजुअल स्टाफ के हितों की रक्षार्थ… यूं तो हम सभी जानते हैं कि अधिकतर प्राइवेट कम्पनियों में कार्यरत मजदूरों का शोषण होता ही है परन्तु अगर सरकार के किसी संस्थान, विभाग में ऐसा हो तो बात खटकने की है। स्थिति बदतर तब होती है कि जब आर्थिक व सामाजिक  शोषण के साथ साथ संविधान विरूध्द कार्य शुरू हो जायें। मैं आपको भारत के लोक सेवा प्रसारक “दूरदर्शन” की हकीकत बताता हूं।

दैनिक जागरण ने मेरा पैसा नहीं दिया तो हाईकोर्ट जाऊंगा

पटना के बाढ़ अनुमंडल से दैनिक जागरण के पत्रकार सत्यनारायण चतुर्वेदी लिखते हैं-

मैं सत्यनारायण चतुर्वेदी दैनिक जागरण बिहार संस्करण के स्थापना व प्रकाशनकाल से बाढ़ अनुमण्डल से निष्ठा व ईमानदारी पूर्वक संवाद प्रेषण का कार्य करता रहा हूँ. नये सम्पादक जी के आने के कुछ ही महीने बाद वर्ष 2015 के अक्टूबर माह से अचानक मेरी खबरों के प्रकाशन पर रोक लगा दी गयी जो अब तक जारी है। इस बारे में मैंने रोक हटाने का निवेदन श्रीमान सम्पादक जी से किया, लेकिन कुछ नहीं हुआ।

रांची एक्सप्रेस अखबार में मीडियाकर्मियों का शोषण, स्टाफ चिंतिंत

रांची एक्सप्रेस का नया प्रबंधन अपने स्टाफ के साथ तानाशाही भरा रवैया अपना रहा है. यहां के स्टाफ को दो माह बाद सेलरी दिया जाना आम बात हो गयी है. दो माह बाद भी कुछ स्टाफ को सेलरी दी जाती है, कुछ को नहीं. शिकायत करने पर कोई सुनवाई नहीं होती है. स्टाफ को प्रबंधन द्वारा न तो कोई आईडी दिया गया है, न ही पीएफ की सुविधा. ऐसे में कई स्टाफ लेबर कोर्ट में जाने वाले हैं.

‘चक दे’ में काम कराते हैं लेकिन सेलरी नहीं देते

मेरा नाम रणजीत कौर है और मैंने ‘चक दे’ में 8 जून 2016 को ज्वाइन किया था, बतौर न्यूज़ एंकर इन पंजाबी. स्टार्टिंग में बड़ी बड़ी बातें की गयी थीं. पर था कुछ नहीं. नाईट ड्यूटी थी और सिक्योरिटी के नाम पर कुछ नहीं था. एक छोटी सी बिल्डिंग में इसका ऑफिस है, फरीदाबाद में. वहीं कॉल सेंटर चलते हैं. वहीं न्यूज़ चैनल भी है. इस चैनल का मालिक एनआरआई है.

छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता की आड़ में कैसा खेल, बिना वेतन जिलों में काम कर रहे पत्रकार

चैनल की माइक आईडी की लग रही बोली, वसूली और धमकी का चल रहा खेल, अनशन-शिकायतों का लगा अंबार, सोशल नेटवर्क का बेजोड़ इस्तेमाल, पीएमओ तक हो रही शिकायत

उफ्फ… दैनिक जागरण अलीगढ़ और ईनाडु टीवी हैदराबाद में हुई इन दो मौतों पर पूरी तरह लीपापोती कर दी गई

अलीगढ दैनिक जागरण के मशीन विभाग में कार्यरत एक सदस्य की पिछले दिनों मशीन की चपेट में आकर मृत्यु हो गई. न थाने ने रिपोर्ट लिखा और न ही डीएम ने कुछ कहा. शायद सब के सब जागरण के प्रभाव में हैं. यह वर्कर 2 दिन पहले वहां तैनात किया गया था. उसका भाई वहां पहले से कार्यरत था. पंचनामा जबरन कर लाश को उठवा दिया गया. बताया जाता है कि अलीगढ़ दैनिक जागरण में शाफ्ट टूट कर सिर में लगने से मौत हुई.