खबर पूर्वी यूपी के जिला गाजीपुर से है. गंगा पर बने और यूपी-बिहार को जोड़ने वाले जिस कमजोर पुल को नेशनल हाइवे अथारिटी आफ इंडिया (एनएचएआई) ने 30 टन तक के वाहनों के लिए ही उपयुक्त माना था, उस पर 37 टन के ट्रकों के चलने का पास जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने जारी कर दिया. इसके चलते पुल फिर से बैठ गया.
बताया जाता है कि पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के निर्माण में बालू सप्लाई का बहाना लेकर पास जारी किए गए थे. वह भी नियम को ताक पर रखकर. केवल 30 टन तक वाले वाहनों के आने-जाने की एनएचएआई की अनुमति का अनुपालन करते हुए पूर्ववर्ती जिलाधिकारी ने ऐसा ही आदेश जारी कर दिया था. इसके चलते भारी वाहनों का आवागमन रोक दिया गया था. छोटे वाहन आराम से आ जा रहे थे.
अब पूर्ववर्ती डीएम के आदेश को दरकिनार कर 37 टन तक के वाहन आने-जाने का पास डीएम और एसपी ने खुद जारी कर दिया. इसके चलते पुल पुनः ध्वस्त हो गया.
चर्चा है कि गाजीपुर में इन दिनों डीएम और एसपी की जोड़ी बेहद तत्परता से दोनों हाथों से ‘कल्याणकारी कार्य’ करने में जुटी हुई है. इसका नतीजा जिले में विभिन्न स्तरों पर देखने को मिल रहा है.
गाजीपुर के प्रबुद्ध जनों ने योगी सरकार से मांग की है कि एनएचएआई और पूर्व जिलाधिकारी के आदेशों के बावजूद पुल पर 30 टन से ज्यादा भार वाले वाहनों के आने-जाने की अनुमति दिए जाने की गहनता से जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई की जाए.
इस संबंध में दैनिक जागरण के गाजीपुर संस्करण में खबर भी प्रकाशित हुई है जिसे नीचे देख पढ़ सकते हैं-