Sanjaya Kumar Singh : अरविन्द केजरीवाल और बरखा दत्त ने इस इंटरव्यू में भाजपा की राजनीति से लेकर मैगी तक की चर्चा की है। एलजी की तो ऐसी तैसी कर दी – यह कहते हुए कि ये तो कांग्रेस के नियुक्त किए हुए हैं। अपनी नौकरी बचाने के लिए काम कर रहे हैं और अमित शाह का चपरासी बुलाएगा तो रेंगते हुए जाएंगे। उपराज्यपाल के पद की गरिमा खराब कर रहे हैं आदि। दिल्ली सरकार के सौ दिन पूरे होने पर कनॉट प्लेस में पूरे मंत्रिमंडल ने आम जनता से बात की थी और अब करीब 52 मिनट का यह विस्तृत इंटरव्यू।
इसमें कोई शक नहीं है कि इंटरव्यू देने के लिए चैनल का चुनाव अरविन्द ने अपनी पसंद के अनुसार किया है पर इंटरव्यू में यह जिक्र है कि पहले कोई शर्त नहीं रखी गई थी। कुछ तो है इस आदमी में। कहा कि नरेन्द्र मोदी जान लें कि मैं राहुल गांधी नहीं हूं। पर इसके विस्तार में नहीं गए। पूछने पर कहा कि लोग समझ जाएंगे। अरविन्द ने दिल्ली के उपराज्यपाल पर उपरोक्त अपमानजनक आरोप लगाने के साथ-साथ यह भी कहा कि वे फोन नहीं उठाते, बिजली मंत्री को मिलने का समय चार दिन बाद दिया। डीटीसी कर्मचारियों की हड़ताल के मामले में एस्मा लगाना था पर रात में फाइल घर पहुंच जाने के बाद भी सुबह 10 बजे दस्तखत हुए तब जाकर 12 बजे हड़ताल टूटी और तब तक दिल्ली की जनता को परेशानी हो चुकी थी। उन्होंने कहा कि केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार आम आदमी पार्टी को सत्ता सौंपने के लिए दिल्ली की जनता से बदला ले रही है।
मीडिया के बारे में उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि कैसे गलत खबरें छापी गईं, खंडन नहीं छापा गया और इसी क्रम में यह भी कहा है कि मीडिया में चर्चा रही कि दिल्ली सरकार के 40 आईएएस अफसरों ने छुट्टी मांगी है, कइयों ने तबादले का आवेदन दिया है आदि। अरविन्द ने कहा कि उन्हें ऐसा कोई आवेदन नहीं मिला है और अगर किसी को ट्रांसफर चाहिए तो बताए हम 24 घंटे में मुक्त कर देंगे। हम किसी दुखी आत्मा को दिल्ली में रखना नहीं चाहते हैं। भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा था कि अरविन्द केजरीवाल ग्लोरीफायड मेयर हैं। इस बारे में पूछे जाने पर अरविन्द ने कहा वो जो चाहें कहते रहें। 49 दिन की सरकार के बाद उनके ऐसे ही बयानों ने 67 सीटें दिलाई हैं।
अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में तबादलों का करोड़ों का उद्योग चल रहा था। अब बंद हो गया है और इसलिए सब उनके खिलाफ हो गए हैं। राज्यपाल हर चीज अपने नियंत्रण में चाहते हैं, कार्रवाई नहीं करने देते, रोज एक ‘लव लेटर’ भेज देते हैं। हेडमास्टर हैं क्या। ऐसे सरकार चलेगी क्या। दिक्कत है तो कोर्ट जाएं। पूछा गया कि आपलोग बैठकर विवाद क्यों नहीं निपटा लेते। अरविन्द ने कहा कि विवाद हमारे बीच होता तो निपट जाता। उनसे जो कहा गया है वो कर रहे हैं। वरना नियम है कि विवाद की स्थिति में क्या करना है। वो कुछ नहीं करते, सिर्फ परेशान करते हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर कई आरोपों के साथ एक आरोप यह भी है कि हमने उन्हें चिट्ठी लिखी है। जवाब आया क्या? अरविन्द ने कहा, “जवाब तो वो देते नहीं।” देश के दूसरे मुख्यमंत्रियों से उन्होंने कहा कि उन्हें समझ लेना चाहिए कि आज हमारे साथ ऐसा हो रहा है तो कल उनके साथ भी ऐसा होगा। बरखा दत्त ने कहा कि बाकी तो पूर्ण राज्य हैं। इसपर अरविन्द ने कहा कि इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है कि केंद्र में तानाशाही सोच वाली सरकार आती है तो राज्यपाल से कैसे काम कराती है। उन्होंने यह भी कहा कि इसीलिए कई राज्यों के राज्यपाल बदले गए हैं।
पूरा इंटरव्यू आप इस लिंक https://www.youtube.com/watch?v=4bEZWe1Ij1c पर क्लिक करके देख-सुन सकते हैं।
वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिंह के फेसबुक वॉल से.