उत्तर प्रदेश के निलंबित आईपीएस अमिताभ ठाकुर प्रदेश ने प्रदेश सरकार पर जंगलराज, मनमानी और अन्याय का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के आवास के सामने वाली सड़क पर धरने पर बैठ गए. अमिताभ ठाकुर ने अपने निलंबन के आठ महीने के बाद भी खुद को नौकरी पर बहाल न किए जाने और बुजुर्ग को थप्पड़ मारने वाले पुलिस अफसर को मात्र आठ दिनों बाद ही बहाल किए जाने को लेकर सरकार की पक्षपाती मंशा पर सवाल खड़ा किया. इसी अन्याय के खिलाफ वह धरने पर बैठे. धरने पर बैठने की घोषणा वह पहले ही कर चुके थे.
धरने पर बैठे आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने डीजीपी जावीद अहमद को भेजे एक पत्र में कहा कि उन्हें जुलाई 2015 में गलत के खिलाफ आवाज़ उठाने के कारण निलंबित कर दिया गया और आज तक निलंबित रखा गया है जबकि 90 दिनों की अवधि बीतने के बाद उनका निलंबन आदेश विधिशून्य हो गया है. अमिताभ के अनुसार, डीके चौधरी को 24 फ़रवरी को बुजुर्ग को थप्पड़ मारने की घटना के बाद निलंबित कर दिया गया लेकिन मात्र आठ दिन के बाद बहाल कर दिया गया. लेकिन उनको अभी तक निलंबित रखना साफ़ दर्शाता है कि उनके साथ भारी भेदभाव किया जा रहा है क्योंकि वह सिस्टम के भ्रष्टाचार व जंगलराज के खिलाफ आवाज उठाते रहते हैं.
निलंबित महानिरीक्षक पुलिस अमिताभ ठाकुर के आज मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सरकारी आवास, पांच कालीदास मार्ग के चौराहे पर धरने पर बैठते ही पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया. दरअसल अमिताभ ठाकुर ने मुख्यमंत्री के सरकारी आवास के सामने धरने पर बैठने की घोषणा की थी लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उनको वहां नहीं जाने दिया. अमिताभ ठाकुर बुजुर्ग की पिटाई करने के मामले में निलंबित डीआइजी डीके चौधरी को एक हफ्ते में बहाल करने के खिलाफ धरना दे रहे हैं. उनकी मांग अपनी बहाली की भी है. अमिताभ ठाकुर बीते आठ महीने से निलंबित चल रहे हैं. अमिताभ की मांग है कि जब डीके चौधरी को एक हफ्ते में बहाल किया गया तो फिर उनको क्यों आठ महीने के बाद भी बहाल नहीं किया जा रहा है. बहाली की मांग कर रहे अमिताभ ठाकुर का अब मुख्यमंत्री से मुलाकात होने तक धरना देने का कार्यक्रम है.