मनीष दुबे-
उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस वीडियो में वे एक पत्रकार के सवाल पर भड़कते हैं और फिर उसे उसी के सवाल मुताबिक जवाब भी देते हैं. इस वीडियो को विभिन्न मीडिया आउटलेट्स ने अपने मन माफिक कटेंट दिया है. लेकिन अब मामले में नया ट्विस्ट ये है कि अखिलेश से ‘टोंटीचोर’ का सवाल पूछने वाले पत्रकार नूर काजी मानहानी का मुकदमा करने की बात कह रहे हैं.
कल हुआ क्या था?
सपा मुखिया इन दिनों मध्य प्रदेश में सपा उम्मीदवारों के सपोर्ट में प्रचार कर रहे हैं। इसी दौरान एक पत्रकार (नूर काजी) ने अपने सवाल में अखिलेश से कहा, ‘आपको सीएम योगी ‘टोंटी चोर’ कहते हैं? सवाल के जवाब में अखिलेश ने कहा, ‘नहीं..गलत बात है. ऐ पत्रकार तुम झूठ बोल रहे हो. तुम भाजपा के एजेंट हो. रे-बेन का चश्मा लगाए तुम पत्रकार नहीं हो सकते बेटा’ इत्यादि बातें कहीं. ये घटना कल गुरुवार 9 नवंबर 2023 को तबकी है जब अखिलेश मध्य प्रदेश के पन्ना से सपा उम्मीदवार महेंद्र के समर्थन में जनसभा करने अजयगढ़ पहुँचे थे।
अखिलेश पर मीडिया कवरेज देखिये
पत्रकार और अखिलेश की इस भेंट को लेकर नवभारत टाइम्स की खबर का शार्षक है, ‘अखिलेश यादव टोंटी चोरी से जुड़ा सवाल सुनकर पत्रकार पर भड़क गये.’ ऑपइंडिया अपनी हेडिंग में लिखता है, ‘टोंटी चोर वाला सवाल सुन पत्रकार पर भड़के अखिलेश यादव।’ आज तक ने, ‘टोंटी चोर….सवाल सुनते ही पत्रकार पर भड़क गये अखिलेश, भूल गये भाषा की मर्यादा.’ टीवी टूडे समूह के डिजिटल वेंचर MP Tak ने लिखा, ‘आप पर टोंटी चोरी के आरोप लगे? अखिलेश यादव- तुम बीजेपी के एजेंट हो.’ लगभग इसी तरह की खबरें बहुतायत में लगाई गई हैं. इसके लिए आपको गूगल सर्च करना पड़ेगा.
कौन है पत्रकार नूर काजी?
एक मीडिया आउटलेट से बात करते हुए नूर काजी नाम के पत्रकार ने कहा कि, ‘उसने बतौर पत्रकार सवाल किया था, लेकिन अखिलेश भड़क गये और उसे महंगा चश्मा लगाने वाला पार्टी एजेंट बताया है. वह उनपर मानहानि का मुकदमा करेगा. आगे उसने कहा, वह दबंग भोपाल का तहसील रिपोर्टर है और वन्दे भारत का विधानसभा रिपोर्टर है, खबरें बराबर लगाता है. नूर को सुनने के लिए Link पर जाएं.
https://x.com/gyanu999/status/1722666224369405973?s=46
अखिलेश द्वारा पत्रकार के सवाल-जवाब पर कुछ पत्रकारों ने अपनी बात रखी है. वरिष्ठ पत्रकार पंकज पाराशर एक्स पर लिखते हैं, ‘पत्रकार होने का मतलब यह नहीं कि सवाल पूछने की मर्यादा ना रहे। अगर @यादवअखिलेश सवाल पूछने के लिए उपलब्ध हैं तो गरिमा का ख़्याल रखना चाहिए। अगर गंदा सवाल पूछेंगे तो जवाब भी गंदा ही सुनना पड़ेगा।
पत्रकार राजेश शाहू लिखते हैं, ‘पत्रकारों को कम से कम इतना तो पता होना चाहिए कि वह सवाल क्या कर रहे हैं, अखिलेश से इस वक्त एमपी में चुनाव, यूपी में अपराध, बेरोजगारी से जुड़े सवाल पूछे जाने चाहिए लेकिन पूछ क्या रहे हैं…आपको योगी टोटीचोर क्यों कहते हैं? फिर कहते हैं कि हम पत्रकार हैं, हमें नेताजी ने जलील किया। भाई साहब…सवाल तो ठीक पूछो।’