रिवर फ्रंट घोटाला : ईडी राडार पर पूर्व सीएम से लेकर आईएएस और इंजीनियर तक!

खनन घोटाले के बाद अब गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में जांच एजेंसियों ने तेजी दिखा दी है. आज प्रवर्तन निदेशालय की टीमें कई राज्यों में छापेमारी कर रहीहैं. ईडी ने गोमती रिवर फ्रंट घोटाला मामले में यूपी, हरियाणा, राजस्थान और राजधानी दिल्ली में छापेमारी की है. इसमें सिंचाई विभाग के कुछ पूर्व अधिकारियों और गैमन …

खनन घोटाले में सीबीआई वर्ष 2017 में कर चुकी है आईएएस चंद्रकला से पूछताछ!

इलाहाबाद हाईकोर्ट की देखरेख में चल रही अवैध खनन की सीबीआई जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने हमीरपुर जिले में हुए अवैध खनन के मामले में आईएएस बी. चंद्रकला समेत 11 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करते हुए शनिवार को उनके ठिकानों पर छापे मारे। छापे की टाइमिंग को लेकर मीडिया और राजनीतिक विश्लेषकों ने …

अस्तांचल की ओर ‘मुलायम’ समाजवाद!

अजय कुमार, लखनऊ उत्तर प्रदेश की राजनीति में पिछले पांच वर्षो में कई बदलाव देखने को मिले। इस दौरान कई दोस्तियों में दरारें पड़ गईं तो कई दुश्मनों को दोस्त बनते भी भी देखा गया। सियासत की चकाचैंध में किसी ने नई पारी शुरू की तो मुलायम सिंह यादव जैसे नेताओं को उसी बेटे अखिलेश …

अखिलेश यादव को तिहाड़ जेल भेजने की तैयारी!

Dayanand Pandey तो क्या उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री अखिलेश यादव हरियाणा के पूर्व मुख्य मंत्री ओमप्रकाश चौटाला की दुर्गति प्राप्त करने वाले हैं? खबर है कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा की गई नियुक्तियों में अनियमितता की सी बी आई द्वारा की जा रही जांच में सी बी आई लोक सेवा आयोग …

दिवाली पर भतीजे से चचा को मिला सियासी अंधेरा!

अजय कुमार, लखनऊ

दीपावली खुशियां बांटने का त्योहार है। हर तरफ खुशियांे का आदान-प्रदान देखा जा सकता है,लेकिन सियासी दुनियां यह सब बातें मायने नहीं रखती हैं। इसी लिये दीपावली के दिन एक भतीजे ने चाचा की जिंदगी में ‘सियासी अंधेरा’ कर दिया। बात समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव की हो रही है। पिछले वर्ष तो भतीजे ने चाचा की दीवाली ‘काली’ की ही थी,इस बार भी ऐसा ही नजारा देखने को जब मिला तो लोग आह भरने को मजबूर हो गये।

यूपी से सपा का साफ रहना पिछड़े वर्ग के हित में है! वजह बता रहे वरिष्ठ पत्रकार सत्येंद्र

Satyendra PS : यूपी से सपा का सफाया जारी रहना पिछड़े वर्ग के हित में है। पिछड़े वर्ग की एकता के लिए जरूरी है कि अहीरों में 30 साल के सपा के शासन ने जो ठकुरैती भर दी है वो निकल जाए, वो अपने को पिछड़ा वर्ग का समझने लगें। मुलायम सिंह ने जब संघर्ष किया तो उसमें बेनी प्रसाद, आजम खां, मोहन सिंह, जनेश्वर मिश्र जैसे लोग उनके कंधे से कंधा मिलाकर चलते थे। धीरे धीरे करके एक एक नेता को ठिकाने लगाया गया। उसके बाद सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर प्रदेश अध्यक्ष, जिलाध्यक्ष और ब्लाक अध्यक्ष तक यादव यादव हो गया। इतना ही नहीं, हेलीकाप्टर, जहाज, कार से लेकर साइकिल तक यादव हो गया।

पुत्रमोह में फंसे मुलायम अंतत: अखिलेश के ही हुए!

अजय कुमार, लखनऊ आगरा में समाजवादी पार्टी का अधिवेशन अखिलेश यादव को नई उर्जा दे गया। वह न केवल समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गये बल्कि उन्हें पिता मुलायम सिंह यादव का आशीर्वाद भी मिल गया जिन्होंने ऐन वक्त पर अलग राजनैतिक दल बनाने का अपना इरादा बदल दिया। सूत्र बताते हैं कि जब …

प्रिंसिपल ने थप्पड़ मारने के बाद अखिलेश यादव को एक सप्ताह तक बनाया था मुर्गा!

आगरा : समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन गुरुवार को आगरा में संपन्न हुआ। अखिलेश को 5 साल के लिए पार्टी का निर्विरोध नेशनल प्रेस‍िडेंट चुना गया। समापन भाषण में उन्होंने बचपन से जुड़ा एक क‍िस्सा भी सुनाया। गलती किसी और की, थप्पड़ पड़ा अखिलेश को। अखिलेश ने कहा कि मेरा बचपन यहीं बीता है। यहीं पास में मिलिट्री स्कूल में पढ़ाई करता था। हमारे प्रिंसिपल कर्नल एसके शर्मा बहुत सख्त थे।

पूर्व आईएएस ने गोरखपुर त्रासदी का ‘अखिलेश यादव’ कनेक्शन बताया

Surya Pratap Singh : गोरखपुर त्रासदी का ‘अखिलेश यादव’ कनेक्शन… अब यह साफ़ हो गया है कि ‘ऑक्सिजन’ की कमी से 48 घंटे में 30 मासूमों की मृत्यु हुई…. यह भी सही है कि दुःख की घड़ी में सरकार के किसी भी प्रतिनिधि को बिना जाँच पूर्ण हुए ‘अधिकारियों’ के बहकाबे पर यह नहीं कहना चाहिए था कि बच्चों की मौत ऑक्सिजन की कमी से नहीं हुई.. इस बयानों ने पीड़ित परिवारों का अवसाद को कम नहीं, अपितु और बढ़ा दिया। साथ ही इस ‘बालसंहार’ के तीन खलनायक- प्राचार्य आर. के. मिश्रा / उनकी पत्नी, डॉ. कफ़ील खान व ऑक्सिजन सप्लाई कर्ता पुष्पा सेल्स के मालिक मनीष भंडारी है, यह भी लगभग स्पष्ट हो चुका है।

अखिलेश यादव से मुलाकात के लिए वरिष्ठ पत्रकार ने फोन किया तो उधर से सोनू भैया बोले- ‘एक हफ्ते बाद आओ!’

Shambhu Nath Shukla : एक बार नेता जी (मुलायमसिंह यादव) कहीं जा रहे थे गेट से उनकी गाड़ी निकली कि दो पत्रकार लपक कर उनकी गाड़ी के सामने आ गए और बोले- नेताजी आपसे बात करनी है. नेता जी गाड़ी से उतरे और कहा- ‘अंदर चलौ, कपिल सिब्बल ते मिलन जात ते, अब नहीं जात, तुमहीं से बात करे लेत हैं’. पत्रकार नेता जी की बात से शरमा गए, बोले- नहीं नेता जी आप जाओ. पर नेता जी ने कहा नहीं अब हम नहीं जात. यह नेता जी की अदा थी जो सबको उनका मुरीद बनाती थी.

अखिलेश यादव की जान को ‘मीडिया’ से हो सकता है खतरा! (देखें वीडियो)

ये आगरा गए अखिलेश यादव की मीडिया से खड़े-खड़े बातचीत का वीडियो है. मीडिया वालों की संख्या और बाइट पाने के लिए उनमें मची धमा चौकड़ी इशारा कर रही है कि अगर समय रहते कुछ नहीं किया गया तो अखिलेश यादव समेत कई वीवीआईपीज की जान को खतरा हो सकता है. मीडिया के वेश में कोई भी आतंकी संगठन या बदमाश या असमाजाकि तत्व या विरोधी पार्टी के लोग घुसपैठ कर जानमाल का नुकसान कर सकते हैं.

आक्रामकता अखिलेश यादव और सपा के लिए नुकसानदायक है!

अजय कुमार, लखनऊ
ऐसा लगता है कि समाजवादी पार्टी मे मुलायम युग खत्म होने के बाद नये नेतृत्व ने राजनैतिक विचारधारा को तिलांजलि देकर आक्रमण को अपना सियासी हथियार बना लिया गया है। हर मुद्दे पर हंगामा खड़ा करना अगर समाजवादी मकसद बन जायेगा तो इससे न तो प्रदेश का भला होगा न ही पार्टी को फायदा पहुंचेगा। आश्चर्य तो इस बात का है कि विधान सभा चुनाव के समय भी सपा नेतृत्व ने इसी तरह की आक्रमकता दिखाई थी और उसको इसका जर्बदस्त खामियाजा भुगतना पड़ा था, सत्ता तो गई ही, हार भी शर्मनाक हुई। मगर सपा नेतृत्व इससे सबक लेने को तैयार ही नहीं है। कभी-कभी तो यही नहीं लगता है कि राहुल गांधी तो नाहक ही बदनाम हैं।

अखिलेश यादव ने भी पिता के नक्शे कदम पर पत्रकारों को ख़रीद कर कुत्ता बना लिया है!

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री अखिलेश यादव आज एक प्रेस कांफ्रेंस में जिस तरह से एक चैनल के एक रिपोर्टर से बदसुलूकी की, तू-तकार किया, तुम्हारा नाम क्या है जैसे बेहूदे सवाल पूछे और अंत में बोले कि तुम्हारा तो ड्रेस ही भगवा है। आदि-आदि। और सारे उपस्थित पत्रकार अपनी रवायत के मुताबिक ही ही करते रहे तो टीवी के परदे पर यह देखना मेरे लिए कोई नई बात नहीं थी। यह तो दलाल पत्रकारों की मामूली तफसील है। ऐसा पहले अखिलेश के पिता मुलायम सिंह यादव भी करते रहे हैं।

पत्रकार के सवाल पर अखिलेश यादव क्यों इतना तमतमा गए?

कल प्रेस कान्फ्रेस के दौरान अखिलेश यादव उस समय भड़क गये जब एक वरिष्ठ पत्रकार ने उनसे सवाल किया, ”आपके चाचा शिवपाल जानना चाहते हैं कि आप अपने वादे के मुताबिक पिता मुलायम सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद कब सौंप रहे हैं।” इस सवाल पर वे इतना तमतमा गये कि संबंधित पत्रकार का नाम पूछ कर उसे भवगा पार्टी वाला कह दिया। अखिलेश यहीं नहीं रुके। तैश में यह तक कह गये, ’जब देश बर्बाद हो जायेगा तो तुम जैसे पत्रकार कहीं नहीं रहोगे।’

क्या अखिलेश यादव बन पाएंगे नेता?

किसी से भी पूछ लीजिए ….नेता जी कौन…जवाब मिलेगा मुलायम सिंह यादव। कम से कम समाजवादी पार्टी के संदर्भ में तो यही बात सौ फीसदी सच है …कल भी थी और कल भी रहेगी लेकिन अखिलेश यादव का क्या?..सिर्फ पूर्व मुख्यमंत्री या फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष, समाजवादी पार्टी …इसके अतिरिक्त और क्या ….आप जरुर ये सोचेंगे कि इसके अतिरिक्त अब और कौन सी बात कही जा सकती है? क्या हम नेता अखिलेश यादव कह सकते हैं?….क्या हम अखिलेश यादव को नेता कह सकते हैं?..शायद नहीं …बल्कि यकीनन नहीं।

अखिलेश यादव लिफाफा प्रेमी पत्रकारों, भ्रष्ट अफसरों और चाटुकार नेताओं की गिरफ्त में थे!

Manoj Kumar Mishra : उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनावों से पूर्व चाटुकारों से घिरे अखिलेश यादव जनता की नब्ज और जमीनी हकीकत समझ ही नहीं पाये। एक के बाद एक रणनीतिक चूक करते हुए वो बार बार ये हवाई दावे करते रहे कि “जनता अपना मन बना चुकी है” और अपने ही भ्रमजाल से बाहर नहीं निकल सके।

एक औघड़ की आह से तबाह होना ही था अखिलेश राज को!

यूपी में रक्तहीन क्रांति पर भड़ास एडिटर यशवंत की त्वरित प्रतिक्रिया- ‘मीडियाकर्मियों का अंतहीन उत्पीड़न करने वाले अखिलेश राज का खात्मा स्वागत योग्य’

Yashwant Singh : यूपी में हुए बदलाव का स्वागत कीजिए. सपा और बसपा नामक दो लुटेरे गिरोहों से त्रस्त जनता ने तीसरे पर दाव लगाया है. यूपी में न आम आदमी पार्टी है और न कम्युनिस्ट हैं. सपा और बसपा ने बारी बारी शासन किया, लगातार. इनके शासन में एक बात कामन रही. जमकर लूट, जमकर झूठ, जमकर जंगलराज और जमकर मुस्लिम तुष्टीकरण. इससे नाराज जनता ने तीसरी और एकमात्र बची पार्टी बीजेपी को जमकर वोट दिया ताकि सपा-बसपा को सबक सिखाया जा सके.

अखिलेश यादव जी, कहां हैं हत्यारे?

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का कार्यकाल लगभग समाप्ति के दौर में है। अगली सरकार के लिए जद्दोजहद अंतिम चरण मे है। अखिलेश यादव पूरे पांच वर्ष तक सूबे की सत्ता पर निष्कंटक राज करते रहे लेकिन इस दौरान उन्होंने एक बार भी डॉ. योगेन्द्र सिंह सचान हत्याकाण्ड को लेकर किए गए वायदों को याद करने की कोशिश नहीं की। बताना जरूरी है कि अखिलेश यादव ने (डॉ. सचान हत्याकाण्ड के दो दिन बाद 24 जून 2011) पत्रकारों के समक्ष डॉ. सचान की मौत को हत्या मानते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी। डॉ. सचान के परिवार से भी वायदा किया था कि, उन्हें न्याय दिलाने के लिए किसी भी हद तक जाना पड़े, वे और उनकी समाजवादी पार्टी पीछे नहीं हटेगी। लगभग छह साल बाद की तस्वीर यह बताने के लिए काफी है कि अखिलेश यादव ने अपना वायदा पूरा नहीं किया। डॉ. सचान का परिवार पूरे पांच वर्ष तक मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से न्याय की आस लगाए बैठा रहा। शायद डॉ. सचान की आत्मा भी मुख्यमंत्री  से यही पूछ रही होगी कि, कहां हैं हत्यारे!!

अखिलेश यादव पितृ हंता मुगल शासकों सरीखे! (देखें वीडियो)

आगरा में भाजपा प्रत्याशी का नामांकन कराने कलेक्ट्रेट आए सांसद राम शंकर कठेरिया ने यूपी के सीएम अखिलेश यादव की तुलना पिता के हत्यारे मुगल शासकों से कर दी. सांसद कठेरिया ने मुगल शासकों को उदाहरण देते हुए हुए बोले कि मुगल काल में शासक लोग सत्ता पाने के लिए अपने पिता तक की हत्या कर देते थे और राजपाठ पर कब्जा कर लेते थे. ठीक इसी तरह सीएम अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायम सिंह को अपमानित करते हुए उनकी राजनीतिक हत्या कर पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद हथिया लिया.

खुला पत्र : अखिलेश यादव जी, अवाम की नज़र में आपकी छवि एक कायर नेता की हो गई है

माननीय मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी के नाम खुला पत्र…..

समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याघ्र,

जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनका भी अपराध…

कनफ्यूज अखिलेश : पल भर में रंग बदलने वाला एक युवा नेता

अजय कुमार, लखनऊ

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एक बार फिर अपने यू-टर्न वाले स्वभाव के कारण चर्चा में आ गये है। पहले तो अखिलेश सरकारी फैसलों को पलटने के लिये बदनाम थे, अब समाजवादी परिवार के भीतर और संगठनात्मक स्तर पर भी वह ऐसा करने लगे हैं। बाहुबली मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में विलय का खुलकर विरोध करने वाले और एक बार विलय को रोक देने में सफल रहे अखिलेश अब जबकि उनके बाप-चचा की मेहरबानी से कौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में विलय हो गया है तो इसके विरोध में एक भी शब्द नहीं बोल पा रहे हैं।

बंटवारे की ओर बढ़ती सपा में बगावत

संजय सक्सेना, लखनऊ

उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के तेवर हल्के होने का नाम नहीं ले रहे हैं। बाप-चचा की तमाम ‘घुड़कियों’ और ‘अपनों’ के खिलाफ कार्रवाई से तिलमिलाए अखिलेश ‘जख्मी शेर’ बनते जा रहे हैं। विकास और स्वच्छता की राजनीति के कायल अखिलेश से जब उनके बुजुर्गो ने यही दोंनो ‘हथियार’ उनसे छीन लिये तो अखिलेश के पास कहने-सुनने को कुछ नहीं बचा। दागी अमनमणि को टिकट दिये जाने पर तो उन्होंने यहां कह दिया,‘मैंने सारे अधिकरी छोड़ दिये हैं।’

उ.प्र. सपा के किले में दरार : टीपू से टीपू सुल्तान बनने के अखिलेश के मंसूबों पर फिर गया पानी

अलग-अलग चाहर दिवारियों से समय-समय पर झर-झर के बाहर आये बयान जिन्हें पाठकों की सुविधा के लिए, सिलसिलेवार नीचे परोसा गया हैं, तो यही संकेत दे रहे हैं कि “टीपू“ से “टीपू सुलतान“ बनने के अखिलेश (घर परिवार में टीपू) के मंसूबों पर पूरी तरह पानी फिर गया है।

अखिलेश यादव की कहानी से याद आये राजीव गांधी!

अनेहस शाश्वत
23 जून, 1980 की सुबह रेडियो पर एक समाचार आया और सन्नाटा छा गया। समाचार यह था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के छोटे पुत्र और उनके सम्भावित उत्तराधिकारी कांग्रेस नेता संजय गांधी का दुर्घटना में निधन हो गया। इस दारुण दुख के आघात से उबरी इन्दिरा गांधी ने सिर्फ इतना कहा कि-‘‘मेरे साथ इससे ज्यादा बुरा और क्या हो सकता है।’’ लेकिन किन्हीं भी परिस्थितियों में न डिगने वाली भारतीय मानसिकता की इन्दिरा गांधी ने तत्काल अपने बड़े पुत्र राजीव गांधी को अपना उत्तराधिकारी चुनकर प्रषिक्षण देना शुरू किया। अभी यह प्रशिक्षण चल ही रहा था कि दूसरी दुर्घटना घटी और 31 अक्टूबर, 1984 को इन्दिरा गांधी की हत्या कर दी गयी। चूंकि सारी गोटें इन्दिरा गांधी बिछा चुकी थीं और उनके सिपहसालार भी जांनते थे कि उनका भविष्य वंशवादी शासन में ही सुरक्षित है। इसलिए तत्काल राजीव गांधी को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिला दी गयी।

जंगलराज और घरेलू झगड़े के आरोपी अखिलेश यादव मीडिया पर निकाल रहे भड़ास

यूपी में अजब गजब राज चल रहा है. सीएम किसी बच्चे की तरह अपनी हर हार का ठीकरा मीडिया पर फोड़ रहा है. प्रदेश में जंगलराज चरम पर है. सरकारी आफिसों में घूसखोरी और भ्रष्टाचार, सपा नेताओं व मंत्रियों की नंगई, सत्ताधारियों के परिजनों की गुंडई, समाजवादी पार्टी के कुनबे में आंतरिक विवाद, महिलाओं का उत्पीड़न और बलात्कार, बाढ़ से परेशान लाखों किसान, पुलिस प्रशासन द्वारा आम जनता की सुनवाई से इनकार… यूपी के बारे में जितना लिखा जाए कम है. लेकिन नौजवान सीएम अखिलेश यादव लंबे चौड़े कई कई पन्ने और कई कई मिनट के विज्ञापन अखबारों-चैनलों में देकर खुद की बढ़िया इमेज गढ़ने-काढ़ने में लगे हैं लेकिन कोई मामला जब उनके सिर के उपर सवार हो जाता है तो वह सारा ठीकरा मीडिया के सिर मढ़ देते हैं…

सपा परिवार में हालात नहीं सुधरे तो मुलायम सम्भाल लेंगे सत्ता की बागडोर

सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह के सामने 2017 का चुनाव जीतना मुख्य लक्ष्य है। मीडिया और राजनैतिक विश्लेषकों के सारे पूर्वानुमान ध्यस्त करने और विरोधियों को पटकनी देने में माहिर मुलायम इस मामले में अगर जरूरत हुयी तो अपने पुत्र को भी दर किनारे बिठा देने से भी नहीं चूकेंगे। उनकी पैनी निगाह चुनाव क्षेत्रवार उन क्षत्रपों पर गड़ी हुयी है, जिनका वर्चस्व उस क्षेत्र विशेष के जातीय वोटों को गोलबंद कर सकने में सक्रीय, महत्त्वपूर्ण और प्रभावशाली भूमिका हो सकती हैं। ऐसे क्षत्रपों की पहचान कर उनको अपने राजनैतिक हित साधने के लिए अपने पीछे लामबंद करने की जुगत बिठाने वे इनदिनों मशगूल हैं। फिर चाहे उसकी पृष्ठभूमि का इतिहास कितना ही मटमैला क्यों न हो।

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नाम एक खुला ख़त : आप दोबारा उत्तर प्रदेश के सीएम न बनें

आदरणीय अखिलेश यादव जी,
मुख्यमंत्री
उप्र सरकार

सबसे पहले तो मैं आपको अपने बारे में बता दूं। मैं उसी उत्तर प्रदेश का एक साधारण सा नागरिक हूं, जिसके आप मुख्यमंत्री हैं। काम से ‘जर्नलिस्ट’ हूं, आपका प्रशंसक हूं और आज भी इस मुगालते में जी रहा हूं कि मेरा पेशा लोगों की आवाज़ उठाना है। मैंने कभी आपसे सीधे मिलने की कोशिश नहीं की, न ही इस तरह का कोई पत्र कभी लिखा। हालांकि कई बार मेरा मन कहता था कि आपको लिखूं, कभी आपकी प्रशंसा करूं या कभी जोर से चीखूं कि यह क्या तमाशा लगा रखा है!

दैनिक जागरण में कितने यादव हैं, सीएम अखिलेश ने सरेआम पूछ लिया (देखें वीडियो)

Mahendra Yadav : मिस्टर दैनिक जागरण ! आप बताते क्यों नहीं कि दैनिक जागरण में कितने यादव हैं? जागरण फोरम में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ये सवाल किया है तो जवाब तो बनता है न! चलिए, ब्राह्मण कितने हैं, ठाकुरों को कितनी जगह मिली है, कायस्थों को कितनी सीटें मिली हैं, बनियों को कितनी मिली है, कितने अल्पसंख्यक हैं, कितने आदिवासी हैं…कितने ओबीसी हैं..यही बता दीजिए..

अखिलेश के साहसिक निर्णय के बाद कुनबे में युद्ध शुरू

भतीजे के दांव से बाप-चचा सब चित, सपा पर भारी अखिलेश की सोच और जातिवाद पर भारी पड़ा विकासवाद

अजय कुमार, लखनऊ

अंत भला तो सब भला। समाजवादी पार्टी में अखिलेश समर्थक यही कह रहे हैं। पहले साल बाहुबली नेता डीपी यादव को और आखिरी समय में बाहुबली अंसारी बंधुओं को ‘नो इंट्री’ का कार्ड दिखाकर अखिलेश यादव ने यह साबित कर दिया है कि अगर वह अड़ जायें तो फिर उन्हें कोई बैकफुट पर नहीं ढकेल सकता है। तीन दिनों तक चले ड्रामें के बाद सपा संसदीय बोर्ड की बैठक में अखिलेश के तेवरों को देखते हुए जब पार्टी ने मुख्तार अंसारी के कौमी एकता दल (कौएद) से किराना करने की घोषणा की तो उन लोगों के चेहरों पर मायूसी दिखाई दी जिन्हें लगता था कि कौएद की मदद से सपा पूरबी उत्तर प्रदेश की कुछ सीटों पर अपनी ताकत में इजाफा कर सकती है।

थू है यूपी की ऐसी चापलूस पत्रकारिता और ऐसे बेशर्म नेताओं पर

बीते दिनों उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव चित्रकूट दौरे पर थे. प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जहाँ वहां के पत्रकारों को जमीन पर नीचे बिठा दिया गया, वहीं खुद सीएम कुर्सी में बैठे पीसी लेते रहे. इस वाकये से छत्तीसगढ़ के पत्रकार योगेश स्तब्ध और ग़मज़दा हैं, एक पत्रकार होने के साथ ही पत्रकारिता का छात्र होने के नाते… पढ़िए उनका विश्लेषण….

‘नया लक्ष्य’ अखिलेश के हाथों लांच कराने वाले संजय ने लखनऊ के पत्रकारों को दिखाया उद्यमिता और सफलता का चरम लक्ष्य

शानदार, शानदार और शानदार… ‘नया लक्ष्य’ और संजय शर्मा के लिए सिर्फ यही कहा जा सकता है. लखनऊ की पत्रकारिता में संजय ने वो मुकाम हासिल कर लिया है जहां तक पहुँचना असंभव नहीं तो मुश्किल बहुत है. संजय की पत्रकारिता उन लोगों के लिए प्रेरणा जरूर बन सकती है जो अपने दम पर कुछ करना चाहते हैं. दस साल पहले जब संजय ने वीकएंड टाइम्स शुरू किया था तब लोगों ने इसे हलके में लिया था मगर इस साप्तहिक ने देश भर में अपनी अच्छी रिपोर्टिंग से एक ख़ास मुकाम बना लिया. मई में संजय ने अपना अखबार 4PM लॉन्च किया और छह महीने में ही इस अखबार ने लोकप्रियता के वो रिकॉर्ड बना लिए जिसके लिए लोग तरसते हैं.

एबीपी न्यूज की एक अधूरी ‘प्रेस कांफ्रेंस’ की कहानी : क्या अखिलेश यादव वाला एपिसोड दिखवा पाएंगे दिबांग?

पिछले दिनों लखनऊ में हिंदुस्तान टाइम्स और एबीपी न्यूज का एक समिट था. इसमें सीएम अखिलेश यादव भी बुलाए गए थे. लगे हाथ प्लान हुआ कि क्यों न एबीपी न्यूज के प्रोग्राम ‘प्रेस कांफ्रेंस’ के लिए अखिलेश यादव का इंटरव्यू हो जाए. दिबांग अपनी पूरी पत्रकार मंडली के साथ समिट वाले स्थल के बगल में ही बनाए गए स्टूडियो में बैठे. अखिलेश यादव भी आ गए. प्रोग्राम शुरू हुआ.

यूपी के हर जनपद में बनेंगे प्रेस क्लब… मुख्यमंत्री अखिलेश ने दिए निर्देश

अलीगढ़। प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा प्रत्येक जनपद में एक प्रेस क्लब भवन का निर्माण कराये जाने के दिये गये निर्देशों का स्वागत करते हुये मान्यता प्राप्त पत्रकार समिति के अध्यक्ष सुबोध सुहृद व महामंत्री आर.पी. शर्मा ने कहा है कि देर आये दुरुस्त आये। अलीगढ़ से उठी प्रेस क्लब निर्माण की मांग को प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा पूरे प्रदेश के हर जनपद में लागू करना बेहद सराहनीय है और उन्होंने यह करके मीडिया के लिये बहुत अच्छा काम किया है।

लूट प्रदेश कह लीजिए या आतंक प्रदेश, चहुंओर मातम का नाम है उत्तर प्रदेश…. (सुनें आडियो टेप)

Yashwant Singh : गजब है उत्तर प्रदेश. भ्रष्टाचार और अराजकता का चरम है इस सूबे में. मीडिया वाले सूबे के युवा मुखिया अखिलेश यादव का चरण दबाने में लगे हैं. ज्यादातर समाजवाद का कोरस गा रहे हैं. कुछ एक जो बोल सकते थे, वे चुप्पी साधे हैं. मीडिया मालिक यूपी सरकार के भारी भरकम विज्ञापन तले दबकर एहसानमंद हैं. इन मालिकों के नौकर किस्म के पत्रकार सरकार से अघोषित रूप से मिले कैश या आवास या दलाली या अन्य सुविधाओं के कारण सरकार के खुलेआम या छिपे प्रशंसक बने हुए हैं. ऐसे में सच्चाई सामने नहीं आ रही.

यूपी सीएम अखिलेश ने महज मौजमस्ती के लिए सरकारी पैसे पर विदेश टूर किया!

सरकारी खर्चों पर किए गये विदेश दौरों के बाद उन दौरों के दौरान सीखी गयी बातों को लेकर रिपोर्ट तैयार करना और उस पर अमल करना एक सामान्य प्रक्रिया है परंतु यूपी सीएम के सरकारी विदेश दौरे इस सामान्य प्रक्रिया से छूट प्राप्त श्रेणी में आते हैं. यह खुलासा लखनऊ निवासी सामाजिक कार्यकर्ता और इंजीनियर संजय शर्मा की एक आरटीआई से हुआ है। दरअसल, संजय की आरटीआई के जवाब में उत्तर प्रदेश के गोपन विभाग के विशेष सचिव एवं जन सूचना अधिकारी कृष्ण गोपाल ओर से जो उत्तर मिला है, उसने अखिलेश के विदेश दौरों की पोल खोल दी है.

आईपीएस पर रेप का फर्जी आरोप लगाने वाली महिला का पति समाजवादी पार्टी का नेता निकला

: सीबीआई जांच की मांग : मेरे और मेरे पति अमिताभ ठाकुर पर गाज़ियाबाद की एक महिला द्वारा लगाए गए पूर्णतः फर्जी बलात्कार के आरोपों में आज हमें महत्वपूर्ण जानकारी हासिल हुई. यह ज्ञात हुआ कि खुद को गरीब असहाय कहने वाली इस महिला के पति ‘वरिष्ठ’ सपा नेता हैं जो मोहल्ले में काम लायक रसूख और पहचान रखते हैं. इस तथ्य के सामने आने के बाद पूरे केस की वस्तुस्थिति देखते हुए मुझे पूर्ण विश्वास हो गया है कि यह षडयंत्र मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति द्वारा उनके खिलाफ चल रही जांच में डराने और फंसाने के लिए कराया गया है.

‘पीके’ डाउनलोड कर देखने पर सीएम अखिलेश यादव के कार्यालय ने दी सफाई

लखनऊ : आमिर खान अभिनीत फिल्म ‘पीके’ को कम्प्यूटर पर ‘डाउनलोड’ करके देखे जाने को लेकर उठे विवाद के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यालय ने आज इस पर सफाई देते हुए अपने कदम को जायज ठहराया है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस मामले में ट्विटर पर आधिकारिक बयान पोस्ट किया है, जिसमें कहा गया है कि अखिलेश ने फिल्में डाउनलोड करके देखने की सेवा देने वाले ‘क्लब एक्स मीडिया सर्वर’ की सदस्यता ले रखी है और उन्होंने लाइसेंस लेकर इस सेवा का उपयोग कर ‘पीके’ फिल्म देखी है। ऐसे में उन पर फिल्म के ‘पाइरेटेड’ स्वरूप को देखने के लगाये जा रहे इल्जाम निराधार हैं।

अखिलेश यादव हैकर! : ‘पीके’ फिल्म डाउनलोड कर देखने पर थाने में दी गई तहरीर

यूपी के सीएम अखिलेश यादव ही जब खुद कानून तोड़ने लगे तो प्रदेश में भला कानून का राज कैसे कायम हो सकता है. यही कारण है कि यूपी में जंलराज की स्थितियां सदा बनी रहती हैं. गरीब-गुरबों का बुरा हाल रहता है. ताजी सूचना अखिलेश यादव से जुड़ी है. उन्होंने फिल्म पीके सिनेमा हॉल में जाकर देखने की बजाय इसे अवैध तरीके से इंटरनेट से डाउनलोड कर देखा. फिल्म ‘पीके’ को इंटरनेट से डाउनलोड करके देखने का मामला ‘पायरेसी’ का होता है. इसको लेकर लखनऊ के सोशल और आरटीआई एक्टिविस्ट संजय शर्मा ने विभिन्न जगहों पर शिकायत की है और अखिलेश यादव के खिलाफ एफआईआर लिखाने के लिए लखनऊ के थाना हजरतगंज में तहरीर दी है.

2017 का विधानसभा चुनाव जातिवादी राजनीति के सहारे नहीं जीता जा सकेगा, अखिलेश यादव को अहसास हो गया

अजय कुमार, लखनऊ

एक वर्ष और बीत गया। समाजवादी सरकार ने करीब पौने तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लिया है। 2014 सपा को काफी गहरे जख्म दे गया। लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार ने धरती पुत्र मुलायम को हिला कर रख दिया। पार्टी पर अस्तित्व का संकट मंडराने लगा है। अगर जल्द अखिलेश सरकार ने अपना खोया हुआ विश्वास हासिल नहीं किया तो 2017 की लड़ाई उसके लिये मुश्किल हो सकती है। अखिलेश के पास समय काफी कम है। भले ही लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के पश्चात समाजवादी सरकार ने अपनी नीति बदली ली है, लेकिन संगठन वाले उन्हें अभी भी पूरी आजादी के साथ काम नहीं करने दे रहे हैं। सीएम अखिलेश यादव अब मोदी की तरह विकास की बात करने लगे हैं लेकिन पार्टी में यह बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है। मुलायम अभी भी पुराने ढर्रे पर ही चल रहे हैं। निश्चित ही 2015 खत्म होते ही तमाम दलों के नेता चुनावी मोड में आ जायेंगे। भाजपा तो वैसे ही 2017 के विधान सभा चुनावों को लेकर काफी अधीर है, बसपा और कांग्रेस भी उम्मीद है कि समय के साफ रफ्तार पकड़ लेगी। फिलहाल तो यही कहा जा सकता है कि कांग्रेस ही नहीं सपा-बसपा भी 2014 में अर्श से फर्श पर आ गये।

यूपी में जंगल राज : आप लोग इस यादव के खिलाफ कुछ लिखते क्यों नहीं?

Yashwant Singh : एक मेरे उद्योगपित मित्र कल मिलने आए. बोले- यार कुछ लिखते क्यों नहीं आप लोग इस यादव के खिलाफ?

मैंने पूछा- किस यादव के खिलाफ? उनका पूरा नाम पता तो होगा?

बंद हुआ सरकारी खर्चे पर अखिलेश यादव के निजी एफबी और ट्विटर का प्रचार

पिछले एक लम्बे समय से उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रकाशित किये जा रहे विज्ञापनों में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निजी ट्विटर एकाउंट twitter.com/yadavakhilesh और फेसबुक एकाउंट facebook.com/yadavakhilesh का लगातार हो रहा प्रचार अब बंद कर दिया गया है. मैंने 06 नवम्बर को सरकारी पैसे पर इस प्रकार से निजी सोशल साईट एकाउंट और उसमे लिखी गयी तमाम राजनैतिक बातों का प्रचार करने के बारे में श्री यादव को शिकायत की थी, जिसमे इन एकाउंट में समाजवादी पार्टी का वेबसाइट samajwadiparty.in  दर्शाये जाने और समाजवादी पार्टी को वोट देने, पार्टी के कार्यक्रम और राजनैतिक भाषण होने की बात कहते हुए इन व्यक्तिगत एकाउंट को सरकारी प्रचार सामग्री से तत्काल हटाये जाने और चापलूस अफसरों पर कार्यवाही करने की मांग की थी.

अपने निजी फेसबुक और ट्विटर एकाउंट का विज्ञापन करने में जनता का पैसा लुटा रहे हैं अखिलेश यादव

सेवा में, श्री अखिलेश यादव,

मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश शासन, लखनऊ

विषय- सरकारी विज्ञापनों में आपके व्यक्तिगत फेसबुक और ट्विटर एकाउंट के प्रचार विषयक

महोदय,

कृपया दिनांक 04/11/2014 को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न समाचारपत्रों में प्रकाशित तीन विज्ञापनों का सन्दर्भ ग्रहण करें जो दिनांक 04/11/2014 को 100 पुलिस भवन तथा 2 उपरिगामी सेतुओं तथा दिनांक 05/11/2014 को समाजवादी पेंशन योजना के उद्घाटन से सम्बंधित हैं.  इन सभी विज्ञापनों में अन्य तथ्यों के अलावा एक ट्विटर एकाउंट twitter.com/yadavakhilesh, एक फेसबुक एकाउंट facebook.com/yadavakhilesh तथा एक यू-ट्यूब एकाउंट youtube.com/user/upgovtofficial भी अंकित है. ये फेसबुक और ट्विटर एकाउंट आपके अर्थात श्री अखिलेश यादव के व्यक्तिगत एकाउंट हैं जिसके भारी संख्या में फौलोवर हैं. इन दोनों एकाउंट में आपका वेबसाइट samajwadiparty.in  अंकित है जो समाजवादी पार्टी का आधिकारिक वेबसाइट है.

अखिलेश, ये हाल है तुम्हारे (जंगल)राज में… पुलिस रिश्वत लेकर देती है डेडबाडी!

Harendra Singh : बीती (23 सितंबर 2014) रात मेरे बेटे हर्षित का करीब 1.45 am पर फोन आया। मैंने फोन उठाया, तो घबराहट में बोला, पापा मैं चारबाग स्टेशन पर हूँ, आप जानते हैं सनबीम में मेरा सहपाठी आशीष था, वह अपने पापा को इलाज के लिए पटना से एम्स दिल्ली ले जा रहा था, पर रास्ते चारबाग से पहले ही अंकल का देहांत हो गया है, और जीआरपी पुलिस के लोग उनकी डेडबाडी नहीं दे रहे हैं, जबकि अंकल का treatment file व reference form मैं दिखा रहा हूं।

पुण्य प्रसून बाजपेयी, सुप्रिय प्रसाद, राहुल कंवल और दीपक शर्मा कल क्यों जा रहे हैं लखनऊ?

मोदी अगर राष्ट्रीय मीडिया को पटाने-ललचाने में लगे हैं तो उधर यूपी में अखिलेश यादव से लेकर आजम खान जैसे लोग नेशनल व रीजनल को पटाने-धमकाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़े हुए हैं. आपको याद होगा मुजफ्फरनगर दंगों के बाद आजतक पर चला एक स्टिंग आपरेशन. दीपक शर्मा और उनकी टीम ने मुजफ्फरनगर के कई अफसरों का स्टिंग किया जिससे पता चला कि इस दंगे को बढ़ाने-भभकाने में यूपी के एक कद्दावर मंत्री का रोल रहा, इसी कारण तुरंत कार्रवाई करने से पुलिस को रोका गया.

यूपी में जंगलराज : मंत्री के बेटे ने कब्जायी तहसील की सरकारी जमीन, वकील गुस्से में

वीवीआईपी कहे जाने वाले अमेठी जिले में तहसील की सरकारी जमीन पर कब्ज़ा किये जाने का एक मामला प्रकाश में आया है. कब्ज़ा कोई और नहीं कर रहा बल्कि सरकार के एक कैबिनेट मंत्री के बेटे द्वारा किया जा रहा है. एक ओर जहाँ सूबे की सपा सरकार सूबे में नई नई योजनाये लाकर उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने की कोशिश में जुटी है वहीं मुख्यमंत्री के करीबी माने जाने वाले एक कैबिनेट मंत्री ही खुद सरकार की इज्जत में बट्टा लगा रहे हैं. कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के बेटे पर बैनामे के कागजात में हेराफेरी करने व स्टाम्प चोरी करने के साथ ही तहसील की खाली पड़ी जमीन पर जबरन कब्ज़ा कर निर्माण करने का आरोप है.

अपनी पार्टी और कुशासन में नहीं बल्कि मीडिया में गल्ती देखते हैं अखिलेश यादव

अखिलेश यादव ने मीडिया पर जमकर भड़ास निकाली. स्वर्गीय हर मोहन सिंह की 94 वी जयंती पर कानपुर पहुंचे मुख्यमंत्री अखिलेश ने हरमोहन सिंह को याद करने से पहले मीडिया के खिलाफ अपनी भड़ास को जमकर बाहर निकाला। इसके बाद अपनी पार्टी का गुणगान करते हुए उन्होंने अपनी ही पीठ थपथपाई।

यूपी में जंगलराज, यूपी में ‘चोरों’ की सरकार : अब आईपीएस भी सुरक्षित नहीं, अमिताभ ठाकुर के घर भीषण चोरी

उत्तर प्रदेश में जंगलराज का आलम ये हो गया है कि अब जनता तो जनता, अफसर तक सुरक्षित नहीं हैं. वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर आज सुबह जब गाजियाबाद से लखनऊ लौटे तो पता चला कि उनके घर में भीषण चोरी हो चुकी है. गोमती नगर स्थित उनके घर में चोरी की ये घटना कोई सामान्य नहीं है. जहां पर अमिताभ ठाकुर का घर है, वहां ढेर सारे पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों का घर है. मतलब वीआईपी इलाका है. इस इलाके में घुसने और चोरी करने की हिम्मत कोई सामान्य चोर कर ही नहीं सकता.

IPS officer Amitabh Thakur