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सुख-दुख

यूपी में अखिलेश यादव का जंगलराज, मंत्री और उसके बेटे के खिलाफ एफआईआर न होने से नाराज पत्रकार ने बीच चौराहे किया आत्मदाह

उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी की सरकार ने अत्याचार और अनाचार की सभी हदें पार करते हुए जो जंगलराज पिछले चार साल से चला रखा है, वह खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. अब तक के सबसे असफल और सबसे असहाय मुख्यमंत्री के रूप में कुख्यात अखिलेश यादव अपने उन मंत्रियों और उन सपाई गुर्गों पर कार्रवाई करने में असमर्थ पा रहे हैं जो खुलेआम कानून की धज्जियां उड़ा कर मीडिया वालों पर अत्याचार कर रहे हैं.

उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी की सरकार ने अत्याचार और अनाचार की सभी हदें पार करते हुए जो जंगलराज पिछले चार साल से चला रखा है, वह खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. अब तक के सबसे असफल और सबसे असहाय मुख्यमंत्री के रूप में कुख्यात अखिलेश यादव अपने उन मंत्रियों और उन सपाई गुर्गों पर कार्रवाई करने में असमर्थ पा रहे हैं जो खुलेआम कानून की धज्जियां उड़ा कर मीडिया वालों पर अत्याचार कर रहे हैं.

मामला उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले का है. यहां ब्लाक प्रमुख चुनाव में एक पत्रकार पर हुए हमले में शामिल मंत्री के बेटे और अन्य आरोपियों पर एफआईआर नहीं होने से नाराज जर्नलिस्ट वर्षकार सिंह कलहंस ने आत्मदाह का प्रयास किया. समय रहते पुलिस ने उन्हें बचा कर जिला अस्पताल में भर्ती करा दिया. इस दौरान चौराहे पर अफरा-तफरी का मामला बना रहा. ब्लाक प्रमुख चुनाव के दौरान विकासखंड गैंसड़ी में महिला बीडीसी से किए जा रहे दुर्व्यवहार की कवरेज कर रहे पत्रकार राकेश सिंह पर मंत्री के बेटे ने हमला कर दिया और यह सब कैमरे में कैद भी हुआ.

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पत्रकार राकेश ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री शिव प्रताप यादव के बेटे राकेश यादव पर हमला का आरोप लगाया और एफआईआर के लिए तहरीर दी लेकिन समाजवादी जंगलराज में सपाई मंत्री के बेटे के खिलाफ न तो एफआईआर होना था और न हुआ. एफआईआर के लिए तीन दिन तक क्रमिक अनशन के बावजूद कोई भी अधिकारी उनसे मिलने नहीं पहुंचा. रविवार को पत्रकार वर्षकार कलहंस ने विरोध में मिट्टी का तेल डालकर आत्मदाह का प्रयास किया. पत्रकार राकेश सिंह पर हुए जानलेवा हमले में शामिल मंत्री और उसके बेटे पर कार्रवाई न होने पर लोग लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. पत्रकारों ने मीडिया कवरेज के दौरान हमले की तस्वीरों को बैनर पर छपवा कर चौराहे पर लगवा दिया था.

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इसके बाद पुलिस ने बैनर उतरवा दिया, जिससे वे नाराज थे. पीड़ित पत्रकार राकेश ने भी कार्रवाई नहीं किए जाने पर 24 फरवरी को आत्मदाह की चेतावनी प्रशासन को दी है ज्ञात हो कि इसके पहले शाहजहांपुर में मंत्री के इशारे पर कोतवाल ने एक पत्रकार जगेंद्र सिंह को जिंदा जला दिया था लेकिन मंत्री के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई और अखिलेश यादव ने लीपापोती कराकर पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डलवा दिया. लोगों में चर्चा है कि अखिलेश यादव जितना कमजोर और असहाय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश में दूसरा कोई नहीं हुआ. इनके मंत्री खुलेआम नंगई गुंडई और मारपीट करते हैं, इसके प्रमाण भी होते हैं, लेकिन इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होती. उत्तर प्रदेश में आम जनता की छोड़िए, मीडिया वालों पर हमला करने वाले मंत्री और उनके गुर्गों तक पर अखिलेश यादव कोई कार्रवाई कर करा पाने में नाकाम रहते हैं. लोग कहने लगे हैं कि लगता ही नहीं अखिलेश यादव युवा मुख्यमंत्री हैं. इससे अच्छे तो वो बुड्ढे नेता थे जो हमेशा अपना खून ठंढा किए रहते थे और हर मुद्दे पर आंख मूदे रहते थे लेकिन मीडिया का मामला आने पर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने से गुरेज नहीं करते थे, चाहें आरोपी भले ही उनके कितने करीबी क्यों न हों.

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