आदरणीय यशवंत जी, सादर अभिवादन !
भड़ास की यात्रा का एक दशक… 22 सितंबर 2018 के आयोजन का आमंत्रण मिला… अत्यंत प्रसन्नता हुई… आपने पिछले आयोजन में भी मुझे आमंत्रित किया था… अपरिहार्य कारणों से नहीं पहुँच पाने की मन में टीस रह गई थी… वह कमी भी इस बार पूरी हो जाएगी… प्रेस क्लब महासमुन्द (छत्तीसगढ़) के अध्यक्ष की महती जिम्मेदारी भी इस समय मुझ पर है…
अखबार, खेती का काम और घर-परिवार की अहम जिम्मेदारी भी अकेले ही सम्हालना होता है… तथापि, आपके इस वृहद और गरिमामय आयोजन के लिए हर काम छोड़कर पहुचने भरसक प्रयास रहेगा.
आपने बहुत पहले आमंत्रण भेजा, मैं हृदय की गहराइयों से आपका शुक्रगुजार हूं…
निश्चय ही इतने बड़े आयोजन में बड़ी धनराशि की आवश्यकता होगी.. आप भलीभांति अवगत हैं कि मैं मूलतः किसान का बेटा हूं… पत्रकारिता से केवल महीने की आवश्कयताएं पूरी होती हैं… इस समय खेतों में फसल लहलहा रही है.. किसान की कोठी कभी खाली नहीं होता… चींटी से हाथी तक सबके लिए किसान कुछ न कुछ उत्पादन करता है…
इस साल खेती से जो उत्पादन होगा उसमें से एक बड़ा हिस्सा प्रेस क्लब के कुछ निर्माण कार्य में, एक लाख रुपये अपने पूर्वजों की स्मृति में देने का वचन दे चुका हूँ… इसलिए आपके इस आयोजन में चाहकर भी कुछ ज्यादा दे पाने की स्थिति में नहीं हूं… फिर भी आयोजन की तिथि को यादगार बनाने के ध्येय से 22.09.18 के हिसाब से रुपये 2209.18 (दो हजार दो सौ नौ रुपये और अट्ठारह पैसे) मात्र का छोटा सा योगदान कर पा रहा हूं…
कृपया स्वीकार कर अनुग्रहित करेंगे… यह राशि आपके बैंक खाते में जमा करा रहा हूं… कार्यक्रम की सफलता की अग्रिम शुभकामनाओं सहित……..
आपका
आनंदराम साहू
वरिष्ठ पत्रकार
महासमुन्द, छत्तीसगढ़
संपर्क : 9669140004
पढ़ें भड़ास के एडिटर यशवंत का जवाब…
आनंद भाई, आपने पहले भी एक बार भड़ास के मुश्किल वक्त में सहयोग किया था, ग्यारह हजार रुपये के आसपास, जब भड़ास के खर्चों के लिए सार्वजनिक तौर पर एक अपील का प्रकाशन किया गया था. भड़ास के दस साल होने में इसी सहभागिता और सामूहिकता का बड़ा योगदान है. सहयोग की राशि कभी कम या ज्यादा नहीं हुआ करती, सहयोग का भाव प्रमुख होता है. आप उदात्त हृदय शख्स हैं जो खुले दिल से सबके सुख-दुख में खड़े रहते हैं, यह बात आपको बड़ा बनाती है.
हमने पूरे दिल से इस सहयोग राशि को स्वीकार किया. कार्यक्रम में आपके शिरकत करने का इंतजार रहेगा.
हां, एक बात और बताना चाहूंगा. जब ये आयोजन पूरी तरह प्लान भी न हुआ था, सिर्फ चर्चा हम लोग कर रहे थे तो कानपुर में रेलवे में कार्यरत एक साथी संतोष सिंह ने मुझे पांच हजार रुपये भेजे, आयोजन में अपने स्तर से योगदान के लिए. तो लोगों का यूं खड़ा हो जाना, समर्थन देने के लिए, यही असली ताकत है भड़ास नामक मंच-माध्यम का, जिसे एक दशक में कमाया गया है.
ये आयोजन हम लोग जन सहयोग से शानदार ढंग से कर लेंगे, इसका सबको भरोसा है. पूरा मीडिया जगत भी देखेगा की बिकाऊ मीडिया के इस दौर में एक ऐसा पोर्टल भी है जो जन भागीदारी के दम पर एक दशक से यात्रा कर रहा है और अपना बिंदास बेबाक बेलौस बेखौफ तेवर बनाए हुए है.
आभार एक फिर आपको आनंद भाई…
यशवंत
yashwant@bhadas4media.com
#bhadas10
(यह आयोजन भड़ास के पाठकों-शुभचिंतकों के आर्थिक सहयोग / चंदे के जरिए संभव हो पाएगा. इसलिए आप भी जरूर पहल करें, कुछ न कुछ आर्थिक योगदान दें. इसके लिए आप भड़ास के संस्थापक यशवंत सिंह से संपर्क कर सकते हैं)
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