News1India के managing editor के बेहूदा बयान और लगातार प्रताड़ित किए जाने से एंकर शृष्टि पांडेय ने छोड़ा चैनल… पढ़िए दर्दभरा लेटर… 5 महीने से salary नहीं मिली…
आप सभी को प्रणाम
अपना आखिरी बुलेटिन करके निकली हूं… मन नहीं मान रहा लेकिन ये फ़ैसला ले रही हूं.. ढाई साल का लंबा सफर आज ख़तम हो रहा है…
अपने कैरियर का सबसे अच्छा समय सबसे अच्छे लोगों के साथ बिताया है. जितना भी सीखा और काम करने का मौका दिया गया.. वो मुझे कभी कहीं नहीं मिलेगा… उन सब के लिए तहे दिल से आभारी हूं…
लेकिन कुछ मजबूरियां हैं जिसकी वजह से ये कठिन फैसला मैंने किया है… अपना परिवार छोड़ रही हूं… बहुत कुछ दिया है न्यूज१इंडिया ने…
अनुराग सर ने हमेशा अपने घर परिवार के सदस्य की तरह माना और पूरा सम्मान भी दिया… अच्छा काम सिखाया… काम का भरपूर मौका दिया…
कभी कोई समस्या हुई तो सबसे पहले अनुराग सर ने मदद की… उसका एहसान मैं नहीं भूलूंगी…
लेकिन कुछ बातों से मन बहुत दुखी हुआ… इसलिए ये परिवार छोड़ने का फैसला करना पड़ा…
अनुराग सर बीमार हुए तो आशीत कुणाल सर ने कहा अब सब कुछ वो देख और संभाल रहे है… वो बॉस हैं, सब जानते हैं… अनुराग सर की गैरहाजिरी में हर कोई उन्हीं से बात कर रहा था…
संस्थान में मार्च से समय खराब शुरू हुआ… मार्च से सितंबर तक मैंने ना कभी एचआर सर ना किसी बॉस से सैलरी के बारे में बात की.. मैं पूरी तरीके से हर अच्छे बुरे समय में संस्थान के साथ मजबूती से खड़ी रखी..
ना दिन देखा ना रात, काम में जूझती रही… अपनी ज़िमेदारी समझ कर… लेकिन कुछ समस्या मेरे जीवन में भी है…जब हैंडल नहीं हुआ तो आशीत सर के पास गई सैलरी की बात करने… उन्होंने कहा था किसी को बहुत इमरजेंसी है …तो मुझसे बात करे… मैं गई… बात शुरू ही की थी कि थी कि सर ने पूरी बात सुने बगैर कहा …तुम क्या बोल रही हो… अगर अनुराग जी नहीं होते तो तुम्हारा कब का फैसला कर देता.. अनुराग जी भोले और सीधे आदमी हैं …इसलिए तुम लोग यहां हो… ना समस्या सुनी ना कुछ… ये सुन कर बहुत बड़ा धक्का लगा..
अनुराग सर का क्या फायदा उठा लिया मैंने… एंकर्स में सबसे कम सैलरी मेरी है लेकिन आज तक मैंने कभी किसी से नहीं कहा सैलरी के बारे में कि मेरी तनख़ाह बढ़ाइए… सबसे ज्यादा मेहनत ज़रूर की है … जिस लड़की ने बिना किसी के केबिन में बैठ कर चापलूसी किए…किसी की चाटुकारिता किए महज ईमानदारी से मेहनत से काम किया हो …उसको ये सुनने को मिले कि आपका फैसला कर दिया होता … तो कैसा लगेगा…
पैसों के बिना इंसान रह सकता है, सम्मान खोकर नहीं रह सकता …लेकिन शायद मेहनती और ईमानदार लोगों की अब जरूरत नहीं है …और आशीत सर आपने बिल्कुल सही कहा था… अनुराग सर की वजह से ही थी, बड़े सम्मान के साथ थी, उनके जैसा बॉस मिलना नामुमकिन है…और उनके एहसान कभी नहीं भूलूंगी… उनको ही ईमानदारी की पहचान है…मुझे नहीं लगता मुझे अब इतना काम करने के बाद खुद को साबित करने की जरूरत है … आप मेरा हिसाब करते उसे पहले मैं खुद जा रही हूं …
आप बड़े लोग हैं मैं बहुत छोटी हूं ….लेकिन सम्मान छोटे लोगों में भी होता है..मैंने गलती क्या की, ये आज तक पता नहीं चला… नौकरी नहीं रहेगी, नुकसान मेरा है …लेकिन आपकी कही बातें कभी भूलूंगी नहीं मैं..)
बाकी अनुराग सर , कपिल सर , तरुण अरोरा सर , बृजेश सर आप सबने बहुत सिखाया, बहुत मौका दिया …जो कि खजाने के तौर पर ले जा रही हूं… ऐसे जाना नहीं था …लेकिन आगे बढ़ना भी जरूरी है मजबूरियां भी हैं… और जहां मेहनत के बदले ये सिला मिले वहां अब दिल नहीं लगेगा.. बहुत कोशिश की हर हालात में साथ रहूं और रही भी, लेकिन अब नहीं हो पा रहा है..
बाकी परिवार का हिस्सा हमेशा रहूंगी …
आप सबका बहुत शुक्रिया
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Srishti Pandey
Thanks for everything