नहीं रहा ‘अनमोल’ रतन
-दानिश आज़मी-
चेहरे से टपकता हुआ पसीना, पसीने से तरबतर बदन, शरीर पर एक सस्ती कमीज़ और पैंट, बिखरे बाल और हाथ में एक डीवी टेप। 2009 से 2011 तक लगभग हर रोज़ ठाणे से अँधेरी दफ़्तर टेप लेकर आने वाला रतन कुछ इस तरह से ज़ेहन में याद है। अँधेरी ऑफिस में काम करने वालों के लिए वो रतन से ज़्यादा विक्रांत का कैमरामैन के रूप से जाना जाता था और विक्रांत के हिस्से की डाट भी उसे ही पड़ती थी। कभी टेप लेट लेकर आना तो कभी ग्लिच और कभी बाइट नदारद। गलती होती थी विक्रांत की लेकिन रतन मुस्कराता हुआ, डरता हुआ सब सुन लेता था। एक बेहद ईमानदार और सरल स्वभाव का युवा पत्रकार जो 32 साल की उम्र में सबको अलविदा कह गया।
रतन
अलविदा कहने का भी अंदाज़ निराला रहा.. विक्रांत के साथ काम करने के अलावा उसने हाल ही में न्यूज़ नेशन के लिए काम करना शुरू किया था। सुबह जब एक ही परिवार के 15 लोगों के मौत की खबर आई तो विक्रांत ने मुझे बताया की रतन हॉस्पिटल के विसुअल्स लेने गया है। 15 मिनट में भेज देगा। रतन हॉस्पिटल गया, शॉट्स बनाये, 08.15 से 08.18 तक न्यूज़ नेशन के लिए इसी खबर पर फोनो दिया।
फोनो देना उसके लिए एक बड़ी उपलब्धि थी। उसने अपने कुछ पत्रकार दोस्तों को बताया कि उसने फोनो दिया। परिवार को ख़ुशी में पहले ही बोल दिया था की वो न्यूज़ नेशन देखे। 08.21 पर रतन ने विक्रांत को फोन कर कहा की उसे सीने में दर्द हो रहा है। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन कहते है ना, ज़िन्दगी और मौत का कॉन्ट्रैक्ट होता है। आज रतन का यह करार पूरा होना था और पूरी कोशिश के बावजूद लगभग 9 बजे उसने आखिरी सांस ली। परिवार की हालत को शब्दों में बयान करना मुश्किल है।
रतन के घर में उसके माँ पिता और दो भाई है। रतन के छोटा भाई का मानसिक संतुलन ठीक नहीं है और सबसे छोटा भाई विकलांग पिता की छोटी सी दुकान में मदद करता है। पिता चलने में असमर्थ है और बल्ब के रिपयेरिंग से कुछ पैसे कमाते है। रतन की मौत परिवार के लिए सिर्फ अनमोल रतन की मौत भर नहीं है बल्कि उस साधन की भी मौत है जिससे घर की आजीवीका चलती थी। आज रतन के आखिरी क्रियाकरम में शरीक हुआ तो मन भाव विभोर हो गया। रतन के असमय और अकस्माक मृत्यु ने दिल में अजीब सी कम्पन पैदा कर दी है। ईश्वर रतन के परिवार इस मुश्किल घडी का सामना करने की ताकत दे, यही प्रार्थना है।
मुंबई से दानिश आज़मी की रिपोर्ट. संपर्क: [email protected]