एक बेहद ईमानदार और सरल स्वभाव का युवा पत्रकार जो 32 साल की उम्र में सबको अलविदा कह गया

नहीं रहा ‘अनमोल’ रतन

-दानिश आज़मी-

चेहरे से टपकता हुआ पसीना, पसीने से तरबतर बदन, शरीर पर एक सस्ती कमीज़ और पैंट, बिखरे बाल और हाथ में एक डीवी टेप। 2009 से 2011 तक लगभग हर रोज़ ठाणे से अँधेरी दफ़्तर टेप लेकर आने वाला रतन कुछ इस तरह से ज़ेहन में याद है। अँधेरी ऑफिस में काम करने वालों के लिए वो रतन से ज़्यादा विक्रांत का कैमरामैन के रूप से जाना जाता था और विक्रांत के हिस्से की डाट भी उसे ही पड़ती थी। कभी टेप लेट लेकर आना तो कभी ग्लिच और कभी बाइट नदारद। गलती होती थी विक्रांत की लेकिन रतन मुस्कराता हुआ, डरता हुआ सब सुन लेता था। एक बेहद ईमानदार और सरल स्वभाव का युवा पत्रकार जो 32 साल की उम्र में सबको अलविदा कह गया।

रतन

रजत अमरनाथ को दुबारा हार्ट अटैक, संजय तिवारी की हालत स्थिर

दो पत्रकार साथियों के स्वास्थ्य को लेकर सूचनाएं आ रही हैं. वरिष्ठ पत्रकार रजत अमरनाथ को दुबारा हार्ट अटैक हुआ. उन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया और उनकी एंजियोग्राफी की गई. आपरेशन सफल रहा. फिलहाल वह बेड रेस्ट पर हैं. रजत अमरनाथ को मई माह के शुरुआत में ही एक बार हार्ट अटैक हुआ था. बाद में मई आखिरी सप्ताह से पहला दुबारा और तगड़ा हार्ट अटैक आया. डाक्टरों ने ब्लाकेज ज्यादा देखकर तुरंत एंजियोग्राफी करने का फैसला लिया और उनके हार्ट में ब्लाकेज हटाकर वहां छल्ला डाला गया. रजत अमरनाथ को खानपान और लाइफस्टाइल में बदलाव की सलाह डाक्टरों ने दी है.

वरिष्ठ पत्रकार अजय नाथ झा का हार्ट अटैक से बेंगलोर में निधन

दुखद खबर है. अजय नाथ झा नहीं रहे. बेंगलोर में उनका हार्ट अटैक से निधन हो गया. कुछ समय पहले ही उनकी एंजियोग्राफी हुई थी. बेंगलोर किसी काम से गए थे. हार्ट अटैक के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें बचाया नहीं जा सका.  अजय ने कई अखबारों और न्यूज चैनलों में वरिष्ठ पद पर काम किया. हाल-फिलहाल लोकसभा टीवी और डीडी न्यूज के कंसल्टेंट रहे.  वे एनडीटीवी में लंबे समय तक रहे हैं. अजय करीब 31 सालों से पत्रकारिता में सक्रिय थे. करियर की शुरुआत हिन्दुस्तान टाइम्स से की थी. आजतक, बीबीसी, दूरदर्शन, एनडीटीवी आदि चैनलों में काम किया. जेएनयू से शिक्षा ग्रहण करने वाले अजय नाथ झा ने लिट्टे प्रमुख प्रभाकरण और चंदन तस्कर वीरप्पन का इंटरव्यू कर काफी नाम कमाया.

जब टीवी टुडे ग्रुप के पत्रकार संजय सिन्हा ने सड़क पर गिरी एक अनजानी लड़की की जान बचा ली

संजय सिन्हा

संजय सिन्हा


Sanjay Sinha : कल मैंने यमराज के एक चंपू को चैलेंज किया। आप सोच रहे होंगे कि मैं सुबह-सुबह ये क्या फेंक रहा हूं। लेकिन मैं फेंक नही रहा, बल्कि सच कह रहा हूं। हुआ ये कि 9 अगस्त की रात मैं दिल्ली से जयपुर गया, अपनी बहन से राखी बंधवाने। वोल्वो बस से सारी रात यात्रा करते हुए मैं सुबहृ-सुबह जयपुर पहुंच गया था और जयपुर में एक रात रह कर कल सुबह की बस से मैं दिल्ली के लिए निकल पड़ा। बस आधे रास्ते यानी मिडवे पर रुकी, चाय पानी के लिए। वहां सबने कुछ न कुछ खाया, फ्रेश हुए और वापस बस में बैठने के लिए पहुंचे ही थे कि एक ल़ड़की खड़े खड़े अचानक रो़ड पर गिरी। ऐसा लगा जैसे पल भर में उसका संसार खत्म हो गया। वो खड़े खड़े ऐसे गिरी थी कि सब के सब भौचक्के रह गए।