सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने आज अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री आज़म खान द्वारा बिना किसी नियम, शर्त और प्रक्रिया के राज्य सरकार के अल्प संख्यक विभाग के मौलाना जौहर अली शोध संस्थान रामपुर की बेशकीमती भूमि और भवन को स्वयं की निजी संस्था मौलाना जौहर अली ट्रस्ट को दिए जाने के खिलाफ लोकायुक्त जस्टिस एन के मल्होत्रा के समक्ष परिवाद दायर किया है.
परिवाद में कहा गया है कि आज़म खान ने निजी लोगों को सरकारी भूमि दिए जाने के सम्बन्ध में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सौरभ गांगुली, सुभाष घई और कुशाभाई ठाकरे ट्रस्ट मामलों में प्रतिपादित सिद्धांतों को तार-तार करते हुए बीच शहर में करीब 1500 वर्गगज जमीन और उस पर 9.83 करोड़ में बने सरकारी भवन को अपनी निजी संस्था के नाम मात्र सौ रुपये वार्षिक लीज पर तीस सालों के लिए दिए जाने का फैसला करा लिया गया है जो पद का सीधा दुरुपयोग है.
डॉ ठाकुर ने कहा है कि तत्कालीन प्रमुख सचिव डॉ देवेश चतुर्वेदी ने इसे हितों का टकराव बताते हुए यह सरकारी भूमि और भवन विभागीय मंत्री की निजी संस्था को देने का विरोध किया था जिसके बाद उन्हें विभाग से हटा दिया गया और सरकारी मशीनरी पर दवाब डाल कर यह विधिविरुद्ध फैसला कराया गया. अतः उन्होंने इस मामले की जांच कराते हुए इस आवंटन को निरस्त करने और दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कार्यवाही किये जाने की मांग की है.