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अब रोज पेपर आउट होंगे, वायरल होंगे, बस अखबार में नहीं छपेंगे तो किसी को पता ही नहीं चलेगा!

योगेश हिंदुस्तानी-

अब कोई पेपर आउट नहीं होगा। पत्रकार को जेल भेजकर यूपी के अफसरों और बलिया जिला प्रशासन ने शिक्षा माफियाओं को खुली छूट दे दी है। अब रोज पेपर आउट होंगे, वायरल होंगे, जब अखबार में छपेंगे ही नहीं तो पता ही नहीं चलेगा….पता नहीं चलेगा तो रद भी नहीं होंगे।

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ऐसे में जिसके पास पैसे होंगे वो पेपर खरीद कर पास हो जाएगा…होनहार छात्र पूरे साल मेहनत करने के बाद भी नकलखोर छात्रों से कम नंबर लेकर हताश निराश होंगे। होनहार छात्र को भनक भी नहीं लगेगी कि उसके साथ क्या हो गया।

बलिया में प्रशासन ने जो कुछ भी किया है, वह बेहद खौफनाक है। पेपर आउट की सूचना पत्रकार ही देता रहा है…बलिया में भी उसी ने दिया। वायरल हो रहे पेपर को अधिकारियों को भेजा… अपने अखबार में पेपर की तस्वीर भी एक दिन पहले ही छाप दी। इसका इनाम पत्रकार को जेल भेजकर दिया गया है?

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पत्रकार की गिरफ्तारी का विरोध होनहार छात्रों, उनके अभिभावकों, कोचिंग संस्थानों और हर उस व्यक्ति को करनी चाहिए जो चाहते हैं कि एग्जाम पैसे के बल पर नहीं, योग्यता के दम पर लड़ा जाना चाहिए। अगर पत्रकार दोषी है तो प्रशासन को प्रेस कांफ्रेंस कर पूरा पक्ष रखना चाहिए। बताना चाहिए कि पत्रकार का क्या क्या दोष है।

आज मामले के चार दिन बाद यह लिखने का मकसद केवल इतना है कि अभी तक लग रहा था बलिया के पत्रकार, वहां के जनप्रतिनिधि, वहां के अधिवक्ता, वहां के आम लोग इतने सक्षम है कि प्रशासन को अपनी गलती का एहसास कराएंगे और सब कुछ ठीक हो जाएगा।

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पूरे देश में केवल बलिया ऐसा जिला है जिसके साथ बागी शब्द जुड़ा है। यहां तो आज भी हर साल एक बार जेल का फाटक टूटता है…आज़ादी के नारे गूँजते हैं…इसकी खबर भी एक एक पेज छपती है। हर साल होने वाले इस आयोजन का कुछ तो मकसद होगा? इस आयोजन से हर साल हम क्या बताना चाहते हैं? जिस जेल का फाटक हर साल तोड़ते हैं उसी जेल में पत्रकार को भेजना ही आयोजन का मकसद है? सोचना बलिया वालों…..

कुछ प्रतिक्रियाएँ-

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आशुतोष चंद्रा

रामधुन गाए जा….रामधुन खाए जा….। कुछ मत करना बलिया वालों 500 का जुगाड़ करो पर्चा खरीदो पर्चा।
पूरे देश में बलिया ही एक जगह है जहां बागी लगा है तो एक दो बागी भी जनमते रहना चाहिए। कोई गली में चौराहा देखकर पत्रकार की मूर्ति लगवा देना ताकि लोगों को देखकर बागी बलिया वाली फीलिंग आती रहे।

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धीरेंद्र सिंह

गद्दारी मीडिया संस्थान कर रहे होंगे। बलिया के पत्रकार लड़ने में सक्षम है, वह निश्चित तौर पर अपने स्तर से लड़ रहे होंगे। बलिया के अधिवक्ता पत्रकारों के साथ होंगे और निश्चित तौर पर कोर्ट में डीएम और एसपी को नंगा करेंगे।

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विजय कुमार देवव्रत

सबको केवल इमानदार पत्रकार चाहिए लेकिन उसके साथ खड़ा होने की जरूरत पड़ेगी तो इसके लिए सब अपने दड़बे में घुस जायेंगे, इसी नाते आज जनता के लिए कोई खड़ा होना नहीं चाहता। सब अपनी सुविधानुसार काम कर रहे हैं ।

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चमन अस्थाना

ईमानदारी के साथ साथ कम पैसे में काम करने वाले लोग भी चाहिए और वह भी बड़ी संख्या अब लेकिन जब पास खड़ा होने की होगी कोई भी काम नहीं आता। अगर किसी कारणवश आपके ऊपर मुकदमा दर्ज होता है तो क्या संपादक और ब्यूरोक्रेसी आपका साथ देगी इसका जवाब अब आप दे दीजिए।

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मिराजद्दीन मिराज

आज बागी बलिया के लोग जालिम सरकारी का हिस्सा है।आप किससे उम्मीद लगाए बैठे है अब वक्त सत्ता के साथ रहने का है जुल्म के खिलाफ बगावत का।

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राजीव विश्वकर्मा

अफसर अपनी गर्दन बचाने के लिए पत्रकार को फसाए। कि आगे कोई भी मीडिया उनके काले कारनामों को उजागर न कर सके। वह अपने कारनामो में कामयाब होते रहे। तीनो पत्रकारों को सलाम। न्याय में देर है अंधेर नही। अमर उजाला की निष्पक्षता आगे भी जारी रहेगी।अफसोस इस बात की है कि बलिया में अपने को नम्बर वन कहने वाला एक मीडिया संस्थान प्रसाशन का तोता हो गया है

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गिरीश कुमार तिवारी

बलिया के सभी पत्रकार संगठन मिलकर सोमवार को डीएम, एसपी का घेराव व प्रर्दशन करने वाले हैं, बलिया बागी हैं तथा बलिया के पत्रकार मजबूती के साथ लड़ेंगे तथा जुल्म के खिलाफ बगावत भी करेंगे। आप सभी का समर्थन हमलोगो को मजबूती दे रहा हैं

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अखिलेश यादव

भाई साहब , जब संस्थान ही खड़ा नहीं हुआ तो, और किसी को क्या पड़ी है, धिक्कार है अमर उजाला

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