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‘अच्छे दिनों’ में जीने वाले युवाओं के दुख-दर्द को सामने ले आए पत्रकारिता के ये दो छात्र, देखें वीडियो

न्यूज 24 चैनल के मीडिया इंस्टीट्यूट में पढ़ने वाले दो छात्रों ने बेरोजगार युवाओं के दर्द को बयान किया है. अमोला ने एंकरिंग संभाली और मयंक ने फील्ड में जाकर बेरोजगार युवाओं के दर्द को रिकार्ड किया. भड़ास इन छात्रों की कोशिश को मंच प्रदान कर रहा है ताकि इनके इस सरोकारी रिपोर्ट को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके. मोदी सरकार ने हर साल दो करोड़ युवाओं को रोजगार देने की बात कही थी लेकिन हो रहा है उल्टा.

<p>न्यूज 24 चैनल के मीडिया इंस्टीट्यूट में पढ़ने वाले दो छात्रों ने बेरोजगार युवाओं के दर्द को बयान किया है. अमोला ने एंकरिंग संभाली और मयंक ने फील्ड में जाकर बेरोजगार युवाओं के दर्द को रिकार्ड किया. भड़ास इन छात्रों की कोशिश को मंच प्रदान कर रहा है ताकि इनके इस सरोकारी रिपोर्ट को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके. मोदी सरकार ने हर साल दो करोड़ युवाओं को रोजगार देने की बात कही थी लेकिन हो रहा है उल्टा.</p><script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({ google_ad_client: "ca-pub-7095147807319647", enable_page_level_ads: true }); </script>

न्यूज 24 चैनल के मीडिया इंस्टीट्यूट में पढ़ने वाले दो छात्रों ने बेरोजगार युवाओं के दर्द को बयान किया है. अमोला ने एंकरिंग संभाली और मयंक ने फील्ड में जाकर बेरोजगार युवाओं के दर्द को रिकार्ड किया. भड़ास इन छात्रों की कोशिश को मंच प्रदान कर रहा है ताकि इनके इस सरोकारी रिपोर्ट को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके. मोदी सरकार ने हर साल दो करोड़ युवाओं को रोजगार देने की बात कही थी लेकिन हो रहा है उल्टा.

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रोजगार के मौके घट रहे हैं. जो रोजगार है, उसे पाने में युवाओं की पूरी जवानी निकल जा रही है. रोजगार पाने की प्रक्रिया में उलझे युवा हताश और परेशान हैं. एनडीटीवी पर रवीश कुमार ने नौकरी सीरिज के जरिए युवाओं के सामने की त्रासद स्थितियों को देश के सामने रखा.

अब पत्रकारिता के इन दो युवा छात्र-छात्राओं ने बेरोजगारी के दर्द और दंश को सामने लाकर रखा है. पत्रकारिता की छात्रा अमोला ने न्यूज 24 चैनल के मीडिया इंस्टीट्यूट वाले स्टूडियो को एंकरिंग के लिए इस्तेमाल किया जबकि पत्रकारिता के छात्र मयंक ने अपने मोबाइल फोन से फील्ड में जाकर युवाओं की दिक्कतों-दर्द को कवर किया.

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कह सकते हैं, अगर कुछ करने का ज़िंद और जूनून हो तो संसाधन आड़े नहीं आते. इन दोनों छात्रों को बधाई… वो कहते हैं न, पूत के पांव पालने में दिखते हैं… उम्मीद करते हैं ये दोनों होनहार आगे चलकर टीवी पत्रकारिता की दशा-दिशा बदल कर इसे सरोकार से लैस कर पाने में समर्थ होंगे… वीडियो देख कर आप इन छात्रों के इस शुरुआती प्रयास को सराहें ताकि ये आगे चलकर ऐसी ही कुछ अन्य बड़ी खबरें कवर कर सकें… देखें वीडियो….

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भड़ास एडिटर यशवंत की एफबी वॉल से.

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