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सुख-दुख

स्कूल के लिए निकली थीं, फिर घर नहीं लौटीं, भाग गईं…

भागी हुई लड़कियां… स्कूल के लिए निकली थीं. फिर घर नहीं लौटीं. भाग गईं. ये किसी प्रेमी व्रेमी के चक्कर में नहीं गईं. ये अपने मन से भागीं. आजादी से सांस लेने के वास्ते भागी थीं. अपने मन से जीने के वास्ते भागीं. बाप बेवजह सख्ती करता. पढ़ने नहीं देता. बाहर नहीं निकलने देता. मन मुताबिक जीने नहीं देता. सो, तीनों एक रोज भाग गईं. ये गोवा गईं. झांसी गईं. फिर लौटकर आगरा आ गईं. लेकिन घर न गईं. एक होटल में इकट्ठे रुक गईं. जीवन पर मंथन करने लगीं. नौकरी तलाशने लगीं. एक की स्कूल में और दूसरे की मॉल में जॉब की बात तय हो गई. 

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भागी हुई लड़कियां… स्कूल के लिए निकली थीं. फिर घर नहीं लौटीं. भाग गईं. ये किसी प्रेमी व्रेमी के चक्कर में नहीं गईं. ये अपने मन से भागीं. आजादी से सांस लेने के वास्ते भागी थीं. अपने मन से जीने के वास्ते भागीं.

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बाप बेवजह सख्ती करता. पढ़ने नहीं देता. बाहर नहीं निकलने देता. मन मुताबिक जीने नहीं देता. सो, तीनों एक रोज भाग गईं. ये गोवा गईं. झांसी गईं. फिर लौटकर आगरा आ गईं. लेकिन घर न गईं.

एक होटल में इकट्ठे रुक गईं. जीवन पर मंथन करने लगीं. नौकरी तलाशने लगीं. एक की स्कूल में और दूसरे की मॉल में जॉब की बात तय हो गई.

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रुपये खर्च हो गए तो घर से लेकर भागीं चेन-झुमके बेच काम चलाने लगीं. इसी दरम्यान एक रोज एक लड़की को बड़ी जोर से मां की याद आई. वह घर कॉल कर बैठी. पुलिस ने लोकेशन ट्रेस कर तीनों को धर लिया. पर ये लड़कियां फिर भी घर नहीं गईं. ये भागी हुई रहना-जीना चाहती हैं.

लड़कि‍यों ने पुलिस के सामने रोते हुए कहा- ”पापा फि‍र वही काम करेंगे, हम लोगों को पढ़ने नहीं देंगे, इसलिए हमें घर नहीं जाना”. घर से भागी हुई लड़कियां फिलहाल नारी निकेतन में हैं. मामला आगरा के थाना अछनेरा का है. इन लड़कियां को देख-सुन आलोक धन्वा की एक सुप्रसिद्ध कविता याद आ गई… भागी हुई लड़कियां

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11 जनवरी को आगरा के थाना अछनेरा की तीन लड़किया घर से निकलीं और उसके बाद घर नहीं लौटीं. छात्राओं के लापता होने के बाद परिजनों ने छात्रा की एक सहेली के ऊपर शक जताया. उनका कहना था कि यह लड़की मोबाइल रखती है और इसने ही उन्हें बहका कर कहीं भेजा होगा.

पुलिस द्वारा सहेली से पूछताछ करने पर भी सहेली से कोई सुराग नहीं मिला. बुधवार दोपहर में एक छात्रा ने अपने घर पर फोन कर अपने सकुशल होने की जानकारी अपनी मां को दी. जब बेटी ने अपनी मां को फोन किया तो पुलिस हरकत में आई और मोबाइल की लोकेशन ट्रेस करने के बाद लड़कियों को बरामद कर लिया.

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लड़कियों ने बताया कि उनके पापा पढ़ने से रोकते हैं. साथ ही कहीं जाने भी नहीं देते हैं. परेशान होकर घर से 5 हजार रुपए, गले की चेन और झुमके पहनकर 11 जनवरी को भाग गईं. बाहर निकलकर काम की तलाश में पहले झांसी गईं. काम न मिलने पर वहां से गोवा पहुंचीं. जब कहीं कोई काम नहीं मिला तो लौटकर आगरा के एक होटल में आकर रुक गईं.

यहां एक लड़की ने एक स्कूल में 1700 रुपए और दूसरी लड़की ने एक मॉल में 2500 रुपए पर नौकरी तय कर लिया था. पैसे खत्म होने पर अपनी अंगूठी और चूड़ियां बेचकर काम चला रही थीं. लड़कियां अपने परिवार वालों के साथ रहने को तैयार नहीं हैं इसलिए पुलिस ने उन्हें नारी निकेतन भेज दिया. लड़कियों ने अपने साथ कहीं कुछ गलत न होने की बात कही है.

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लड़कियों का कहना है कि वो औरों की तरह आजादी चाहती हैं लेकिन परिवार वाले यह मौका नहीं देते. इसलिए उनके साथ नहीं रहना चाहते. एसओ अछनेरा अजय के मुताबिक 11 जनवरी से लड़किया लापता थीं. गुमशुदगी दर्ज होने पर पुलिस उन्हें तलाश रही थी.

लड़कियों की लोकेशन ट्रेस कर पुलिस ने बुधवार की रात छापा मारकर इन्हें आगरा ईदगाह के एक होटल से बरामद किया. लड़कियां अपनी आईडी पर होटल में रह रही थीं. लड़कियों ने पूछताछ में घर की सख्ती के कारण खुद घर से जाने की बात बताई है. लड़कियों को नारी निकेतन में रखा गया है जहां से इन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा.

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आगरा से फरहान खान की रिपोर्ट.

कविता पढ़ें… भागी हुई लड़कियां….

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आलोक धन्वा की सुप्रसिद्ध कविता पढ़िए… ”भागी हुई लड़कियां”

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