Rahul Pandey : प्यारे प्यारे पत्रकारों, मालिकों के दुलारों… मन तो नहीं है ये खबर बताने का फिर भी मन मारने वाली ये खबर मैं भी मन मारके ही बता रहा हूं। आने वाला वक्त आपका नहीं है। मने ये वक्त भी आपका नहीं है और पटियाला हाउस में पिटने के बाद तो पता चल ही गया होगा, फिर भी ये मामला तनिक मांसल पिटाई से अलग है। तकनीकी दुनिया ने आपको पीटने के लिए पूरी तरह से पेटी कस ली है। पिछले साल से आपकी नौकरी पर लात मारने की तैयारी शुरू हो चुकी है। रोबोट पत्रकार आ गया है और कई न्यूज ऐजेंसियों ने इससे काम लेना शुरू कर दिया है। ये साठ सेकेंड में चकाचक स्टोरी लिख रहा है।
रोबोट पत्रकार का पहला हमला मौसम, खेल, व्यापार, क्राइम आदि की खबरों पर हो रहा है। गांठ बांध लें कि मैं ये नहीं कह रहा कि होने वाला है। ये होना शुरू हो चुका है। बेसिकली ये डाटा से चलने वाला एक सॉफ्टवेयर है जिसमें मीडिया हाउस की एडिटोरियल नीतियों के हिसाब से कीवर्ड फिक्स किए जाते हैं। नीति और डाटा मिलाकर ये पत्रकार स्टोरी तैयार करता है। स्टोरी भी ऐसी कि पढ़ने वाला पकड़ ही नहीं सकता कि ये किसी रोबोट ने लिखी है। इसे बनाने वाली कंपनी का दावा है कि 2017 तक वो इसे एडिटोरियल और फीचर लिखने लायक भी बना लेंगे।
बात इतनी सी होती तो कोई बात होती, लेकिन इत्ती सी ही नहीं है। रोबोट जर्नलिस्ट के साथ एक और स्मार्ट सॉफ्टवेयर कनेक्ट किया गया है जो पाठक के लॉगिन करने के महीन वक्त में उसकी सारी रुचियां, झुकाव, गिराव, उठाव कैच कर लेता है और जबतक पाठक के सामने स्टोरी पेज खुलता है, उतनी ही देर में ये स्टोरी को पाठक के अनुरूप कर देता है। जैसे मैं मोदी विरोधी हूं तो भले ही स्क्रिप्ट मोदी के सपोर्ट में हो, मेरे खोलने पर एंगल मोदी के विरोध का ही दिखेगा। नौकरी पर पहले ही संकट था। काफी पत्रकार पहले भी नौकरी करते नहीं बल्कि बचाते फिरते थे… अब क्या करेंगे बंधुवर..
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