Rahul Pandey : प्यारे प्यारे पत्रकारों, मालिकों के दुलारों… मन तो नहीं है ये खबर बताने का फिर भी मन मारने वाली ये खबर मैं भी मन मारके ही बता रहा हूं। आने वाला वक्त आपका नहीं है। मने ये वक्त भी आपका नहीं है और पटियाला हाउस में पिटने के बाद तो पता चल ही गया होगा, फिर भी ये मामला तनिक मांसल पिटाई से अलग है। तकनीकी दुनिया ने आपको पीटने के लिए पूरी तरह से पेटी कस ली है। पिछले साल से आपकी नौकरी पर लात मारने की तैयारी शुरू हो चुकी है। रोबोट पत्रकार आ गया है और कई न्यूज ऐजेंसियों ने इससे काम लेना शुरू कर दिया है। ये साठ सेकेंड में चकाचक स्टोरी लिख रहा है।
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हम जीत गए, फेसबुक हार गया
Rahul Pandey : हम जीत गए, फेसबुक हार गया। आज सोमवार को ट्राई ने फेसबुक और रिलायंस को उसकी औकात बताते हुए हम लोगों की नेट न्यूट्रैलिटी की पैरोकारी को विजयी बनाया है। अब फेसबुक अपने यहां फ्री बेसिक्स का फर्जीवाड़ा नहीं कर पाएगा। ट्राई ने साफ कहा है कि सर्विस प्रोवाइडर अलग-अलग कंटेंट के लिए डिफरेंट टैरिफ नहीं ले पाएंगे। आज ही इसका नोटिफिकेशन जारी किया गया है जो अभी से ही सारी टेलीकॉम कंपनियों पर लागू है। न माना तो हर दिन पचास हजार रुपये जुर्माना भी देना पड़ेगा और ट्राई उस कंपनी का टैरिफ वापस भी ले लेगा।
आपने वामपंथी नारीवादी होते हुए ऐसे समारोह में शिरकत की, जो फासिस्टों का तो था ही, जिस पर मासूमों के खून के दाग लगे थे?
Rahul Pandey : प्रश्न- आप रायपुर साहित्य महोत्सव में गई थीं?
उत्तर- तुमसे मतलब?
प्रश्न- प्लीज सवाल का जवाब दें, क्या आप वहां गई थीं?
उत्तर- जान ना पहचान, बड़ी बी सलाम? जवाब दे मेरी जूती।