Rahul Pandey : मैं सोच रहा हूं उस वक्त और उस वक्त के रिजल्ट्स के बारे में, जब भारत के आम चुनाव कब होने चाहिए, कैसे होने चाहिए और क्यों होने चाहिए और उसका रिजल्ट क्या होना चाहिए, फेसबुक इस बारे में हमारे यहां के हर मॉल, नुक्कड़ और सड़कों पर बड़ी बड़ी होर्डिंग्स लगाएगा। यकीन मानिए, तब भी उसका यही कहना होगा कि वो जो कुछ कह रहा है, सही कह रहा है क्योंकि उसके पास भारत में पौने एक अरब यूजर्स हैं। मेरी मांग है कि मुझे कान के नीचे खींचकर एक जोरदार रहपटा लगाया जाए ताकि मैं इस तरह की वीभत्स और डरा देने वाली सोच से बाहर आ सकूं। मेरे देश के लोगों के अंग विशेष पर उगे बाल बराबर भी नहीं है ये कंपनी और किसी देश के बारे में ऐसा सोच रही है…एक्चुअली हम ही ढक्कन हैं और सिर्फ घंटा बजाने लायक हैं, अक्सर थामने लायक भी।