पीएम ने की महाराष्‍ट्र के इस गरीब कि‍सान से मुलाकात जिसका वजन 70 किलो गिर चुका है :)

नई दि‍ल्‍ली : सोमवार को देश की शुरुआत एक खुशनुमा दोपहर से तब हुई, जब चुनाव प्रचार के अपनी अति‍व्‍यस्‍त कार्यक्रम से मौका नि‍कालकर प्रधानमंत्री ने महाराष्‍ट्र के इस गरीब कि‍सान से मुलाकात की। इस कि‍सान की गुरबत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गरीबी में इसका वजन 70 कि‍लो गि‍र चुका है।

पत्रकारों की नौकरियों पर आने वाला है बहुत भारी संकट, भयंकर छंटनी के लिए तैयार रहिए

Rahul Pandey : प्‍यारे प्‍यारे पत्रकारों, मालि‍कों के दुलारों… मन तो नहीं है ये खबर बताने का फि‍र भी मन मारने वाली ये खबर मैं भी मन मारके ही बता रहा हूं। आने वाला वक्‍त आपका नहीं है। मने ये वक्‍त भी आपका नहीं है और पटि‍याला हाउस में पि‍टने के बाद तो पता चल ही गया होगा, फि‍र भी ये मामला तनि‍क मांसल पि‍टाई से अलग है। तकनीकी दुनि‍या ने आपको पीटने के लि‍ए पूरी तरह से पेटी कस ली है। पि‍छले साल से आपकी नौकरी पर लात मारने की तैयारी शुरू हो चुकी है। रोबोट पत्रकार आ गया है और कई न्‍यूज ऐजेंसि‍यों ने इससे काम लेना शुरू कर दि‍या है। ये साठ सेकेंड में चकाचक स्‍टोरी लि‍ख रहा है।

हम जीत गए, फेसबुक हार गया

Rahul Pandey : हम जीत गए, फेसबुक हार गया। आज सोमवार को ट्राई ने फेसबुक और रि‍लायंस को उसकी औकात बताते हुए हम लोगों की नेट न्‍यूट्रैलि‍टी की पैरोकारी को वि‍जयी बनाया है। अब फेसबुक अपने यहां फ्री बेसि‍क्‍स का फर्जीवाड़ा नहीं कर पाएगा। ट्राई ने साफ कहा है कि सर्विस प्रोवाइडर अलग-अलग कंटेंट के लिए डिफरेंट टैरिफ नहीं ले पाएंगे। आज ही इसका नोटिफि‍केशन जारी कि‍या गया है जो अभी से ही सारी टेलीकॉम कंपनि‍यों पर लागू है। न माना तो हर दि‍न पचास हजार रुपये जुर्माना भी देना पड़ेगा और ट्राई उस कंपनी का टैरि‍फ वापस भी ले लेगा।

फेसबुक के फ्रॉड 5 : जो वाकई में फ्री बेसि‍क्‍स है, वो फेसबुक के फ्री बेसि‍क्‍स में शामि‍ल नहीं है

Rahul Pandey : मैं सोच रहा हूं उस वक्‍त और उस वक्‍त के रि‍जल्‍ट्स के बारे में, जब भारत के आम चुनाव कब होने चाहि‍ए, कैसे होने चाहि‍ए और क्‍यों होने चाहि‍ए और उसका रि‍जल्‍ट क्‍या होना चाहि‍ए, फेसबुक इस बारे में हमारे यहां के हर मॉल, नुक्‍कड़ और सड़कों पर बड़ी बड़ी होर्डिंग्‍स लगाएगा। यकीन मानि‍ए, तब भी उसका यही कहना होगा कि वो जो कुछ कह रहा है, सही कह रहा है क्‍योंकि उसके पास भारत में पौने एक अरब यूजर्स हैं। मेरी मांग है कि मुझे कान के नीचे खींचकर एक जोरदार रहपटा लगाया जाए ताकि मैं इस तरह की वीभत्‍स और डरा देने वाली सोच से बाहर आ सकूं। मेरे देश के लोगों के अंग वि‍शेष पर उगे बाल बराबर भी नहीं है ये कंपनी और कि‍सी देश के बारे में ऐसा सोच रही है…एक्‍चुअली हम ही ढक्‍कन हैं और सिर्फ घंटा बजाने लायक हैं, अक्‍सर थामने लायक भी।

फेसबुक के फ्रॉड 4 : तीन सबसे बड़ी लुटेरी कंपनियों एयरटेल, रि‍लायंस और वोडाफोन की फेसबुक से यारी के मायने

Rahul Pandey : अब इसका क्‍या करेंगे? देशभर में जि‍न तीन कंपनि‍यों के खि‍लाफ हम लोगों सहि‍त प्राइवेट कंपनि‍यों और सरकारी वि‍भागों ने सबसे ज्‍यादा शि‍कायत की है, वो एयरटेल, रि‍लायंस और वोडाफोन है। इनकी कहानी तो याद होगी। रि‍लायंस भारत में इस फ्री के फ्रॉड के साथ साझेदारी कर रहा है तो अफ्रीका में एयरटेल पहि‍लेन फेसबुक के साथ फ्रॉड इंटरनेट डॉट ओआरजी लॉन्‍च कर चुका है और यहां भी कि‍सी न कि‍सी तरह से (चाहे सरकार में पैसे खि‍लाकर लांबिंग हो) अपना हि‍स्‍सा बनाएगा। अगर फेसबुक फ्री बेसि‍क्‍स का फ्रॉड काम कर गया तो पड़े करते रहि‍ए इनके खि‍लाफ शि‍कायत, ये घंटा कुछ नहीं करने वाले। अभी भी कौन सा कुछ कर ही दे रहे हैं। कॉल ड्रॉप पर कोर्ट की कइयो फटकार के बावजूद क्‍या कॉल ड्रॉप होनी बंद हो गई?

फेसबुक के फ्रॉड 3 : भारतीयों को उल्‍लू बनाने के लिए एड कैंपेन पर सौ करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च कर चुका है फेसबुक

Rahul Pandey :  फेसबुक कह रहा है कि भारत में उसके बहुत ज्‍यादा यूजर्स हैं, इसलि‍ए फ्री बेसि‍क्‍स का अधि‍कार उसे मि‍लना चाहि‍ए। अंबानी अंकल का हाथ है तो पैसे की कोई कमी नहीं। फ्री बेसि‍क्‍स के लि‍ए फेसबुक ने भारत में जो एड कैंपेन चलाई, उस पर सौ करोड़ रुपये (सोर्स-द वायर) से भी ज्‍यादा खर्च कि‍या जा चुका है और अभी और भी खर्च होंगे। ये सारा का सारा पैसा भारतीयों को सिर्फ उल्‍लू बनाने के लि‍ए खर्च हो रहा है।

फेसबुक के फ्रॉड 2 : दलाली में हिस्सा पाने की लाइन में लगे बीबीसी, इंडि‍या टुडे, नेटवर्क 18, एक्‍यूवेदर, बिंग सहि‍त सौ से अधि‍क मीडि‍या हाउस

Rahul Pandey : आखि‍र क्‍या बात है जो मेनस्‍ट्रीम मीडि‍या फेसबुक के इस कदम का खुलकर वि‍रोध नहीं कर पा रहा है। जो मेरी समझ में आ रहा है, उसमें दो बातें हैं। एक तो मेनस्‍ट्रीम मीडि‍या की समझदानी इंटरनेट को लेकर अभी बहुत ही कमजोर है। कई डि‍जि‍टल कॉन्‍फ्रेंसों में मैने मेनस्‍ट्रीम के लोगों को सुपर बेवकूफी के सवाल पूछते पाया, मसलन फेसबुक के लाइक कैसे बढ़ते हैं या खबर लोग कैसे शेयर करते हैं। दसूरी ये कि मीडि‍या मालि‍क पहले भी चुपचाप दलाली कि‍या करते थे और इस बार भी इस बड़ी दलाली में हि‍स्‍सा पाने का ख्‍़वाब देख रहे हैं। वैसे चिंता की कोई बात नहीं है, फेसबुक ज्‍यादा बड़ा वाला है, वो खुद से जुड़ रहे मीडि‍यावालों को कोई इनकम नहीं देने वाला।

फेसबुक के फ्रॉड 1 : मार्क जुकरबर्ग अब तक भारत के 32 लाख लोगों को धोखा दे चुके हैं!

Rahul Pandey : बराबरी का एक ही मतलब होता है दस नहीं। कान के नीचे खींच के रहपट धरे जाने का काम कर रहे फेसबुक के मालि‍क मार्क ज़करबर्ग से पूछेंगे तो वो सत्‍तर और मतलब बता देंगे कि बराबरी ये भी होती है, वो भी होती है और जो कुछ भी वाया फेसबुक हो, वही होती है। बराबरी के सत्‍तर गैर-बराबर कुतर्क जि‍से वो फ्री बेसि‍क्‍स का नाम देकर हम पर थोपना चाह रहे हैं, उसके लि‍ए वो हर कि‍सी के बराबर से इतना गि‍र गए हैं कि उन्‍हें नीच कहना नीचता को मुंह चि‍ढ़ाना होगा।

वीरेन दा एक व्यक्ति नहीं, संस्था थे

वीरेन दा का निधन पत्रकारिता ही नहीं, समूचे हिंदी साहित्य जगत की एक बड़ी क्षति है। वीरेन दा मेरे लिए तो एक पत्रकार और साहित्यकार से बहुत आगे बढ़कर ऐसे गुरू थे, जो अपने शिष्य को कार्य क्षेत्र की कमियों, खूबियों और बारीकियों से ही अवगत नहीं कराते बल्कि जीवन में आगे बढ़ने की शिक्षा व्यवहारिक धरातल पर देते हैं। मुझे जैसे हजारों लोगों को वीरेन दा ने बहुत कुछ सिखाया है।

मैं 2014 के जून में वीरेनदा को कैंसर के दौरान पहली बार देखकर भीतर से हिल गया था

: वीरेनदा का जाना और एक अमानवीय कविता की मुक्ति : वीरेन डंगवाल यानी हमारी पीढी में सबके लिए वीरेनदा नहीं रहे। आज सुबह वे बरेली में गुज़र गए। शाम तक वहीं अंत्‍येष्टि हो जाएगी। हम उसमें नहीं होंगे। अभी हाल में उनके ऊपर जन संस्‍कृति मंच ने दिल्‍ली के गांधी शांति प्रतिष्‍ठान में एक कार्यक्रम करवाया था। उनकी आखिरी शक्‍ल और उनसे आखिरी मुलाकात उसी दिन की याद है। उस दिन वे बहुत थके हुए लग रहे थे। मिलते ही गाल पर थपकी देते हुए बोले, ”यार, जल्‍दी करना, प्रोग्राम छोटा रखना।” ज़ाहिर है, यह तो आयोजकों के अख्तियार में था। कार्यक्रम लंबा चला। उस दिन वीरेनदा को देखकर कुछ संशय हुआ था। थोड़ा डर भी लगा था। बाद में डॉ. ए.के. अरुण ने बताया कि जब वे आशुतोष कुमार के साथ वीरेनदा को देखने उनके घर गए, तो आशुतोष भी उनका घाव देखकर डर गए थे। दूसरों से कोई कुछ कहता रहा हो या नहीं, लेकिन वीरेनदा को लेकर बीते दो साल से डर सबके मन के भीतर था।

जाने-माने कवि और पत्रकार वीरेन डंगवाल का बरेली में निधन

पिछले कई वर्षों से कैंसर से जूझ रहे हिंदी के जाने माने कवि और पत्रकार वीरेन डंगवाल ने आज सुबह चार बजे बरेली में अंतिम सांस ली. पिछले दिनों उन्हें बरेली प्रवास के दौरान गले की नस से ब्लीडिंग होने के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था. अमर उजाला बरेली के संपादक दिनेश जुयाल ने आज सुबह पांच बजे फेसबुक पर स्टेटस अपडेट कर वीरेन डंगवाल के न रहने के बारे में जानकारी दी. दिनेश जुयाल लिखते हैं: ”वीरेन दा नहीं रहे. सुबह 4 बजे एस आरएमएस में सांसे बंद हो गयीं. पिछले रविवार को ही अपने घर बरेली आये थे और सोमवार से इसी अस्पताल के आईसीयू में थे. अंत्येष्टि आज शाम चार बजे सिटी श्मशान में.”

वीरेन डंगवाल की तबीयत खराब, बरेली में भर्ती, गर्दन की क्षतिग्रस्त नस का आपरेशन हुआ

कैंसर से पीड़ित जाने-माने कवि और पत्रकार वीरेन डंगवाल की बीती रात बरेली में तबीयत काफी खराब हो गई. गले की एक नस जो काफी डैमेज हो गई है, रेडियोथिरेपी-कीमियोथिरेपी के कारण, से अचानक रक्स्राव होने लगा. खून रुकने का नाम नहीं ले रहा था. तब उन्हें बरेली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया. उनका रात में ही आपरेशन हुआ जिसमें काफी हद तक क्षतिग्रस्त नस को ठीक कर खून रोका जा सका.

दिल्ली में हरिभूमि डाट काम के पत्रकार राहुल पांडेय के घर भीषण चोरी, पुलिस बेपरवाह

दिल्ली पुलिस का हाल इन दिनों बेहद बुरा है. केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के बीच रस्साकस्सी का पूरा फायदा दिल्ली पुलिस उठा रही है. इस कारण चोर-उचक्कों और लुटेरों की बन आई है. आए दिन सभ्य लोग पुलिस या पुलिस संरक्षित गुंडों-चोरों-उचक्कों के जरिए परेशान प्रताड़ित किए जा रहे हैं. यहां दो घटनाओं का उल्लेख जरूरी है. हरिभूमि डाट काम के पत्रकार राहुल पांडेय के दिल्ली स्थित घर को चोरों ने साफ कर दिया. राहुल पांडेय पत्रकार के साथ साथ साहित्यकार, रंगकर्मी, चित्रकार और फिल्मकार भी हैं.

‎जन संस्कृति मंच‬ ने हिंदी के अनूठे कवि Virendra Dangwal की उपस्थिति में एक आत्मीय आयोजन किया

‎जन संस्कृति मंच‬ ने हिंदी के अनूठे कवि Virendra Dangwal यानि वीरेनदा की उपस्थिति में एक आत्मीय आयोजन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते Asad Zaidi ने सबसे पहले Mangalesh Dabral को याद किया, जो अब धीरे-धीरे स्वस्थ हो रहे हैं और जिनके बिना यह आयोजन अधूरा लग रहा था। फिर Uday Prakash को याद किया और कहा कि जब हम उदय की तरफ़ से पूरी तरह निराश हो चुके थे, उसने इस भयानक समय में, साहित्य अकादेमी पुरस्कार लौटाकर हम सबको ख़ुश कर दिया।

ओम जी की युवा चपलता उन्‍हें रि‍टायर होने भी नहीं देगी

Rahul Pandey :  मैं कभी जनसत्‍ता में नहीं छपा। बल्‍कि शायद मैं कहीं नहीं छपा। तो अगर कोई ये सोचे कि आेम जी का मेरा परि‍चय कुछ छपने छपाने को लेकर हुआ तो उसे नि‍राशा ही हाथ लगेगी। मुरादाबाद में एक दि‍न मैने ओम जी की वॉल पर कुछ सीक्‍योरि‍टी ब्रीचेस देखे तो बेलौस उन्‍हें मैसेज कर दि‍या। तुरंत उनका जवाब भी आया, चीजें शायद ठीक की गईं या नहीं, याद नहीं, लेकि‍न हमारी डि‍जि‍टल दोस्‍ती तो ठीक ठाक शुरू हो गई।

किसी बिल्ली का इंटरव्यू लेने वाले पहले पत्रकार बने राहुल पांडेय!

Yashwant Singh : दिल्ली के युवा, प्रतिभावान और तेजतर्रार पत्रकार राहुल पांडेय अपने घर पर रोज आने वाली बिल्ली से कुछ यूं दोस्ती गांठ चुके हैं कि वे अब उसके सुख-दुख को लेकर इंटरव्यू करने लगे हैं. जरा देखिए तो ये इस मीनू का इंटरव्यू. मीनू इन बिल्ली महोदया का नाम है. राहुल जी बिल्ली को बिल्ली नहीं कहते, मीनू जी कहकर पुकारते हैं. उसके लिए दूध हरवक्त तैयार रखते हैं. कब मीनू जा आ जाएं और खाने-पीने को लेकर आवाज लगा दें. सो, उनके लिए खाना-पीना सब तैयार रखते हैं. अकेले रहने वाले पत्रकार राहुल अपने लिए भले न कुछ पकाएं, लेकिन मीनू का मेनू तैयार रखते हैं.

(पत्रकार राहुल पांडेय के घर पर नए मेनू के लिए चिंतन करतीं मीनू जी की एक मुद्रा)

रायपुर से लौट आए बेशर्मों ने अपने अक्षम्‍य कृत्‍य को डि‍फेंड करना शुरू कर दिया है….

Rahul Pandey : सत्‍ता के साथ सहवास कर अपना शील भंग कराकर वापस लौटकर आए ताउम्र लटके थोबड़े के साथ घूमने वाले कथित प्रगति‍शीलों को शायद अच्‍छा न लगेगा, पर बताते चलें कि रणवीर सेना के मुखिया ने भी बच्‍चों का संहार करने की वकालत की थी। कहा था बड़े होकर नक्‍सली बनेंगे, इससे अच्‍छा अभी मार दो। आप उन्‍हीं के आकाओं के हाथों बि‍ककर आए हैं। महि‍लाओं, बच्‍चों के खून से सने नोट आपके बड़े बड़े पर्सों की शोभा बढ़ा रहे हैं। पेशावर पर आपका राग यमन हो सकता है कि सच्‍चा हो, पर यकीन मानि‍ए… आप तो शोक व्‍यक्‍त करने के काबि‍ल भी नहीं हैं। आप तो पहले भी मर्यादा पुरुषोत्‍तम नहीं थे, खूनि‍यों के हाथ जमीर बेच कर आने के बाद आप और भी अमर्यादि‍त पुरुषोत्‍तम हो गए हैं। छि: …

आपने वामपंथी नारीवादी होते हुए ऐसे समारोह में शि‍रकत की, जो फासि‍स्‍टों का तो था ही, जि‍स पर मासूमों के खून के दाग लगे थे?

Rahul Pandey : प्रश्‍न- आप रायपुर साहि‍त्‍य महोत्‍सव में गई थीं?
उत्‍तर- तुमसे मतलब?
प्रश्‍न- प्‍लीज सवाल का जवाब दें, क्‍या आप वहां गई थीं?
उत्‍तर- जान ना पहचान, बड़ी बी सलाम? जवाब दे मेरी जूती।