Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

भास्कर का संपादक निकला 100 करोड़ के फर्जी नक्शे का मास्टरमाइंड, एफआईआर दर्ज

जांच के बाद इंदौर के थाना एमजीरोड़ में दर्ज हुई 420 की एफआईआर, इंदौर यूनिट के बड़े पदों पर बैठे लोग बचाने में लगे

लगातार कई सालों से इंदौर दैनिक भास्कर के डीबी स्टार में कार्यरत मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ का संपादक मनोज बिनवाल इंदौर के 100 करोड़ रुपए के तुलसी नगर प्लाट घोटाले का मास्टर माइंड निकला। यह वही शख्स है जिसकी इस मामले में करीब आठ माह पहले मैनेजमेंट को शिकायत हुई और जांच बैठी। मगर खास बात यह है सारे सबूत होने के बाद भी इंदौर में बैठे इसके आकाओं (कल्पेश याग्निक और हेमंत शर्मा) ने तमाम प्रयास कर इसे बचा लिया। बचाने के लिए मैनेजमेंट को गलत जानकारी दी गई, क्योंकि कई मामलों में तीनों की पार्टनशिप जगजाहिर है।

जांच के बाद इंदौर के थाना एमजीरोड़ में दर्ज हुई 420 की एफआईआर, इंदौर यूनिट के बड़े पदों पर बैठे लोग बचाने में लगे

Advertisement. Scroll to continue reading.

लगातार कई सालों से इंदौर दैनिक भास्कर के डीबी स्टार में कार्यरत मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ का संपादक मनोज बिनवाल इंदौर के 100 करोड़ रुपए के तुलसी नगर प्लाट घोटाले का मास्टर माइंड निकला। यह वही शख्स है जिसकी इस मामले में करीब आठ माह पहले मैनेजमेंट को शिकायत हुई और जांच बैठी। मगर खास बात यह है सारे सबूत होने के बाद भी इंदौर में बैठे इसके आकाओं (कल्पेश याग्निक और हेमंत शर्मा) ने तमाम प्रयास कर इसे बचा लिया। बचाने के लिए मैनेजमेंट को गलत जानकारी दी गई, क्योंकि कई मामलों में तीनों की पार्टनशिप जगजाहिर है।

मनोज बिनवाल का तुलसी नगर प्लाट घोटाले में फर्जीवाड़ा करने पर करीब एक साल पहले ही नाम सामने आया था। अफसरों ने फाइलों पर इसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने तक का लिखा था मगर इंदौर के आकाओं ने एक-एक कर इंदौर-भोपाल के सभी अफसरों को मैनेज कर लिया और फाइल पूरी तरह से दबा दी। इस मामले में मनोज बिनवाल का पार्टनर कॉलोनाईजर शिव अग्रवाल इसी घोटाले में तीन माह से जेल की हवा खा रहा है। लाख सबूत होने के बाद भी बिनवाल अफसरों की कोख में छिपकर बैठ गया था।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस घोटाले से परेशान कुछ लोग पूरी फाइल को आरटीआई में निकलवाकर कोर्ट पहुंचे। जहां कोर्ट में करीब 6 माह चली लंबी जांच के बाद दिए आदेश से मनोज बिनवाल और उसकी पत्नी भावना बिनवाल के खिलाफ धारा 420 व अन्य धाराओं में एमजी रोड़ थाने में शुक्रवार शाम चार बजे एफआईआर दर्ज की गई। नैतिकता की दुहाई देने वाला भास्कर प्रबंधन शुक्रवार शाम से ही अफसरों पर इस मामले में कार्रवाई नहीं करने और दबाने के लिए सक्रिय हो गया। टॉप पर बैठे सभी जिम्मेदारों अब इसे बचाने में लगे हुए हैं। यह इंदौर के इतिहास में पहला मामला है जब अखबार के किसी प्रतिष्ठित पद पर बैठे संपादक के नाम 420 की एफआईआर दर्ज हुई हो।

कई शिकायतें हुए मगर आकाओं ने दबा दी

Advertisement. Scroll to continue reading.

मनोज बिनवाल के इंदौर यूनिट में ज्वाइंन करने के बाद उन्होंने वहां के स्टॉफ को अपनी निजी दुकान-दारी में लगा दिया। इस पर जिसने इसके खिलाफ आवाज उठाई उसे धीरे-धीरे षड्यंत्रों का शिकार बनाकर भगा दिया गया गया। कुछ शिकायत सीधे भास्कर के एमडी सुधीर अग्रवाल तक भी पहुंची और अपनी ईमानदारी छवि के लिए जाने जाने वाले श्री अग्रवाल ने इसकी जांच भी बैठाई मगर इंदौर में बैठे बिनवाल के आकाओं ने इसे दबा दिया। और बिनवाल को ईमानदार साबित करने में जी-जान लगा दी ओर वे अपने मकसद में कामयाब रहे। दूसरी तरफ नगर निगम, संभागायुक्त कार्यालय, कलेक्टोरेट जैसे विभाग के अफसरों को मैनेज करने में रिपोर्टर संजय गुप्ता के नेतृत्त्व में एक टीम तैनात की गई, जिसे बखूबी अपना काम किया। मामला दब गया था मगर कोर्ट के आदेश के बाद सब पर पानी फिर गया।

क्या है मामला

Advertisement. Scroll to continue reading.

मनोज बिनवाल ने इंदौर में 2013 में तुलसी नगर कॉलोनी के फर्जीवाड़े की खबरें छपवाईं। इसके बाद कॉलोनाईजर से 50 लाख रुपए के प्लाट में सौदा तय हुआ। इसके साथ कॉलोनी का एक फर्जी नक्शा कॉलोनाईजर शिव अग्रवाल ने नगर निगम में चलाने के लिए 25 लाख रुपए अतरिक्त में बिनवाल से सौदा किया। जिसमें बिनवाल को अफसरों को सांठ-गांठ कर इसे चलाना था। हुआ भी यही। यहां तक की जो प्लाट कॉलोनाईजर से हड़पा गया था वह भी केवल फर्जी नक्शे में ही था। बिनवाल ने संबंधित फर्जी नक्शा निगम में पहले अपने रसूख की वजह से चलाने का प्रयास किया जिसमें वह पकड़ा गया। निगम की जांच में सब कुछ सामने आ गया। यहां तक की निगम के अफसरों ने इस फर्जीवाड़े पर एफआईआर दर्ज करवाने के लिए भी कॉलोनी सेल को लिख दिया। मामला खुलता देख कॉलोनाईजर से एक मोटी रकम लेकर बिनवाल ने तत्काल अफसरों की खाली जैबें भर दीं। इसके बाद सारे कायदों और कागजों को एक तरफ रख फर्जी नक्शे के आधार पर अपने प्लाट की अनुमति ली और उसी फर्जी नक्शे पर अन्य करीब 200 प्लाट की अनुमति का रास्ता भी खुल गया। यह प्लाट भास्कर इंदौर के कुछ लोगों को भी इस कृत्य में शामिल होने के लिए दिए गए।

अखबारों में भी हो गया खुलासा

Advertisement. Scroll to continue reading.

शुक्रवार को एफआईआर दर्ज होने के नई दुनिया और पत्रिका में बिनवाल के कारनामों का खुलासा हो गया। इसके पहले दबंग दुनिया, इंदौर समाचार सहित कई अखबारों में पहले भी बिनवाल के कारनामें सबूतों के साथ छप चुके हैं मगर अपनी तगड़ी सेटिंग के चलते बिनवाल का बाल भी बांका नहीं हो पाया। अब देखना यह है कि भास्कर की नैतिकता क्या केवल छोटे स्टॉफ तक के लिए है या फिर सभी के लिए समान हैं। दूसरी ओर अब तक बिनवाल के मामले में सुधीरजी की आंखों में धूल झोंकने वालों का क्या होगा? यह देखना भी आगे रुचिकर होगा। मनोज बिनवाल दैनिक भास्कर के अखबार डीबी स्टार के सभी संस्करणों के संपादक है और समूह संपादक कल्पेश याज्ञनिक का संरक्षण इन्हें प्राप्त है। इसके पहले भी कई घपलों में शामिल बिनवाल को कल्पेश ने बचाया है।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

0 Comments

  1. shalendra

    June 15, 2016 at 3:25 am

    दैनिक भास्कर कोटा के न्यूज़ एडिटर हेमंत शर्मा के भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद भी संपादक विजय सिंह चौहान उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते। मात्र सात हजार का वेतन पाने वाले के पास मात्र १५ साल में ही दो महँगी कारें., आधा दर्जन प्लाट , मकान और भी कई महँगी चीजें हैं। माना कि पिछले पांच -सात सालों में सम्पादक की मेहरबानी से ३५ हजार वेतन हो गया। क्या इतने काम समय में करोडो. की प्रॉपर्टी कैसे आई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement