Girish Malviya : लीजिए वही हकीकत सामने आयी है जिसकी आशंका थी… ‘रिपब्लिक टीवी’ द्वारा किये गए स्टिंग में भाजपा के विधायक और महाराष्ट्र विधानसभा में मुख्य सचेतक राज पुरोहित ने कबूला है कि करणी सेना को उन्हीं की सरकार ने खुला छोड़ दिया, ताकि वे लोग राजस्थान में चुनाव जीत सकें… वे कहते हैं कि “सरकार उन्हें नुकसान पहुंचाने के मूड में नहीं है। अगर वाहन फूंके जाते हैं तो ये अच्छा है। भाजपा की अपनी मजबूरी है। यहां समर्थन का सवाल नहीं है। यह मजबूरी है। भाजपा के पास इसके अलावा क्या विकल्प है। वह उनके खिलाफ भी तो नहीं जा सकती? बड़े स्तर पर हिंदू लोग उन्हें समर्थन दे रहे हैं।”
आगे श्रीमान राज पुरोहित जी बोलते हैं कि “कई बार कुछ चीजें फैशनेबल बन जाती हैं। छह महीने पहले कौन जानता था करणी सेना को? लेकिन उन्होंने मुद्दा उठाया। 24-25 राजपूत विधायकों में से एक भी उनके साथ नहीं था। मगर जब हिंसा को जज्बातों से जोड़ा गया, तो आप जानते ही हैं कि मैं क्या कहना चाह रहा हूं? यह राजनीति है। जज्बातों के आगे सारे कारण खो गए। मेरे नाम से मत छापना ये बात। यह राजनीति है।”
स्टिंग के आखिरी हिस्से में यह पूछे जाने पर कि यह मसला राजस्थान के चुनाव पर असर डालेगा? पुरोहित इस पर कहते हैं, “बिल्कुल। वे भाजपा के साथ जाएंगे। कारण यह है कि यह धार्मिक गतिविधियों का हिस्सा है। यह दक्षिणपंथी विचारधारा से मेल खाता है और भाजपा की सोच दक्षिणपंथी है।”
क्या अब भी किसी को शक रह गया है कि इस विवाद को राष्ट्रीय स्तर पर किसने खड़ा कर हिंसा ओर दहशतगर्दी को अपना पूरा बैकअप दिया है? शर्म आना चाहिए भाजपा को…
युवा पत्रकार गिरीश मालवीय की एफबी वॉल से.
Abhishek Srivastava : रिपब्लिक चैनल ने दुनिया का पहला मौलिक स्टिंग किया है। जिसे काटा है, उसे मीठा-मीठा दर्द हो रिया है कि चलो, कम से कम जनता को कन्फर्म तो हुआ कि करणी सेना के सब किये धरे के पीछे कमल का फूल है। अब चैन से सोएंगे, राजस्थान तो अपना हुआ! अब देखिएगा, गिरफ्तारी की स्पीड! राजपूतों का पहले उनके सहोदर भंसाली ने काटा, अब बीजेपी काटेगी। सारी वीरता गई ईवीएम में!
Amitaabh Srivastava : दो चैनलों के ओपिनियन पोल के मुताबिक देश की जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उनकी सरकार, पार्टी और उनकी नीतियों पर फ़िदा है। पीएम का इकबाल बुलंद है और करणी सेना का हौसला। अब अगर कुछ हिंसा-विंसा हो भी जाय हिंदू हित के नाम पर तो पिनपिनाइये मत। लोग खुश हैं- आल इज वेल।
वरिष्ठ पत्रकार द्वय अभिषेक श्रीवास्तव और अमिताभ श्रीवास्तव की एफबी वॉल से.