16 साल में पहली बार हुआ 119.5 करोड़ का घाटा… लाखों निवेशकों को भुगतना पड़ेगा नुकसान… ‘बडे़’ कर्ज डुबोने वालों से रिकवरी करने में असमर्थ…
मुंबई। देश के प्रमुख घोटालेबाज बैंकों में आईसीआईसीआई बैंक का घोटाला प्रथम स्थान पर है। करोड़ों रुपए के घोटाले की प्रमुख सूत्रधार और बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर आज भी खुलेआम घूम रही है। फिर भी भाजपा सरकार और विपक्षी दलों की साठगांठ की वजह से यह मामला आज भी दबा हुआ है। इससे बैंक को होने वाले घाटे का असर बैंक के लाखों निवेशकों पर पड़ेगा।
वित्त वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही में आईसीआईसीआई बैंक को 119.5 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। तो वहीं इसकी तुलना में वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में आईसीआईसीआई बैंक का मुनाफा 2,049 करोड़ रुपए हुआ था। वित्त वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही में आईसीआईसीआई बैंक की ब्याज आय 9.2 फीसदी बढ़कर 6,102 करोड़ रुपए पर पहुंच गई है। जब की वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में आईसीआईसीआई बैंक की ब्याज आय 5,590 करोड़ रुपए रही थी। आईसीआईसीआई बैंक को 16 साल में पहली बार घाटा हुआ है। डूबते कर्ज का असर कंपनी की तिमाही नतीजों पर देखने को मिला। वित्त वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में आईसीआईसीआई बैंक को 119.5 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में बैंक का मुनाफा 2,049 करोड़ रुपए था।
इस तरह दिन प्रति दिन बैंक का घाटा बढ़ता जा रहा है। इसके कारण वीडियोकॉन लोन मामले में घिरी आईसीआईसीआई बैंक की स्थिति और गंभीर होती जा रही है। इसके बावजूद करोड़ों रुपये घोटाले की सूत्रधार चंदा कोचर को इस घोटाले के बाद मई में पद से हटाया गया। हालांकि कोचर ने वीडियोकॉन घोटाले से पहले भी कई करोड़ों के घोटाले किये जाने की आशंका सूत्रों द्वारा जताई जा रही है।
‘मैनेज्ड’ करने में एक्सपर्ट चंदा
कांग्रेस और वर्तमान की भाजपा सरकार में चंदा की अच्छी पकड़ है। इसके साथ ही ‘मैनेज्ड’ करने की कला में माहिर चंदा ने सबको मैनेज किया है। इसलिए आज तक उसकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। आखिर चंदा कोचर बैंक घोटाले की आरोपी है। उसका नार्को टेस्ट किया जाए तो कई हाई प्रोफाइल बिजनेसमैन, बैंक अधिकारी और नेताओं की काली करतूत सामने आ सकती है। इसलिए मामले को दबाया जा रहा है।
सबूत मिटाने की साजिश
आयकर विभाग मुंबई के सिंधिया हाउस स्थित कार्यालय में मई महीने में शाम के समय अचानक आग लग गई। इस आग में किसी तरह की हताहत नहीं हुई, लेकिन नीरव मोदी, ललित मोदी, चंदा कोचर और माल्या सहित कई कर्ज डूबानेवाले लोगों की जांच से संबंधित फाइल जल गई। यह आग देश के इन लुटेरों को बचाने के लिए साजिश के तहत लगाई गई थी। इसकी जांच सीबीआई द्वारा कराए जाने की मांग की जा रही है।
दक्षिण मुंबई के सिंधिया हाउस में आयकर विभाग का कार्यालय है। यह कार्यालय पूरी तरह से फायर प्रूफ है। इस कार्यालय में नीरव मोदी, ललित मोदी, विजय माल्या,चंदा कोचर सहित सैकड़ों लोगों की जांच से संबंधित फाइल रखी थी। इमारत फायरप्रूफ होने के कारण आग लगने का खतरा बहुत कम रहता है। इसके बावजूद आग लगी, इस पर संदेह जताया जाने लगा है। यह सबूत मिटाने की साजिश भी हो सकती है।
सीबीआई से जांच कराने की मांग
देश के इन लुटेरों ने वर्ल्ड बैंक से लोन भी लिए हैं। लोन लेने के बाद अपने बिजनेस में नुकसान दिखाते हुए लोन वापस नहीं किए हैं। इसके अलावा भी देश के अन्य कई बैंकों से लोन लिए हुए हैं। इन बैंकों से लोन लेने के बाद आयकर रिटर्न भी फर्जी तरीके से भरा गया है। इसमें बताया गया है कि उनके व्यवसाय में नुकसान किस तरह हुआ है। इन्हें फर्जीवाड़ा से बचाने के लिए आग लगाई गई थी। इसकी जांच सीबीआई द्वारा कराए जाने की मांग उठने लगी है। इस मामले में चंदा कोचर से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।
लेखक उन्मेष गुजराथी दबंग दुनिया अखबार के मुंबई एडिशन के संपादक हैं.
https://www.youtube.com/watch?v=HyV9FscD1Dw
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नवीन
July 30, 2018 at 11:35 am
लेखक को बिल्कुल सहती ज्ञान की कमी है अनपढ लोग पत्रकारिता में भर गए हैं जो मन मे किया गोबर कर दिया ।icici में कोई घोटाला हुआ ही नही है ये conflit of inrest का मामला है बैंक के पैसे अभी डूबे नही हैं