भागने के चक्कर में तिकड़ी : चंदा, दीपक और धूत की गिरफ्तारी क्यों नहीं?

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आईसीआईसीआई महाघोटाला : सरकार का आशीर्वाद!, एफडी के बहाने गरीब किसानों पर बीमा पॉलिसी का बोझ लादा, बार-बार की जा रही शिकायतों पर प्रधानमंत्री नहीं दे रहे ध्यान, पीएमओ नहीं कर रहा कार्रवाई

उन्मेष गुजराथी

मुंबई। बड़े घोटाले में फंसी आईसीआईसीआई बैंक की चीफ एग्जिक्यूटिव चंदा कोचर पर मोदी सरकार मेहरबान है। सरकार ने साफ कर दिया है कि वह चंदा कोचर के आरोपों को लेकर चल रही जांच के पूरी होने तक कोई राय नहीं बनाना चाहती है। इसी कारण से बैंक के बोर्ड में सरकार के नॉमिनी, लोक रंजन ने सोमवार को हुई बोर्ड की मीटिंग में हिस्सा नहीं लिया, लेकिन इससे कई नए सवाल उठने लगे हैं। गौरतलब है कि आईसीआईसीआई बैंक की ओर से वेणुगोपाल धूत के वीडियोकॉन ग्रुप को दिए 3,250 करोड़ रुपए के लोन को लेकर गंभीर घोटाले के आरोप सामने आए हैं।

इन्हीं आरोपों पर चंदा कोचर के पति दीपक कोचर कई एजेंसियों की जांच का सामना कर रहे हैं। ज्ञात हो कि धूत और कोचर ने न्यूपावर रिन्यूएबल्स की शुरुआत की थी। बाद में धूत ने कंपनी में अपनी हिस्सेदारी कोचर को ट्रांसफर कर दी थी। इतना गंभीर घोटाला सामने आने के बाद भी सरकार चंदा कोचर, दीपक कोचर और धूत की गिरफ्तारी को लेकर चुप्पी साधे है।

अब मोदी सरकार की ओर से चंदा कोचर के मामले में जांच पूरी होने तक कोई हस्तक्षेप नहीं किए जाने को लेकर कई तरह के संदेह सामने आए हैं। फाइनेंस मिनिस्ट्री के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि हम इंतजार कर रहे हैं। और यदि जांच एजेंसियां गड़बड़ी का खुलासा करती है, तो हम चुप नहीं रहेंगे, लेकिन सरकार की इस चुप्पी के कई मतलब निकाले जा रहे हैं। माना जा रहा है कि सरकार चंदा कोचर को बचाने के लिए मौन बन गई है। गौरतलब है कि जांच एजेंसियां आईसीआईसीआई बैंक की प्रमुख चंदा कोचर से जुड़े हितों के टकराव के आरोपों की जांच कर रही हैं।

गंभीर घोटालों के आरोप पर सरकार की चुप्पी संदेहजनक

आईसीआईसीआई बैंक से कर्ज दिए जाने के बदले चंदा कोचर के परिवार वालों को वित्तीय फायदे देने के अलावा आईसीआईसीआई बैंक पर अन्य गंभीर आरोप भी हैं। आईसीआईसीआई बैंक ने एफडी (फिक्सड डिपॉजिट) के बहाने गरीब किसानों पर बीमा पॉलिसी का बोझ लाद दिया। किसानों पर अचानक जब बीमा पॉलिसी के लिए हर साल भारी-भरकम रकम किस्त भरने का दबाव बनाया जाने लगा, तो वे बेहद परेशान हो गए।

इस मामले में सरकार से लेकर आरबीआई, आईआरडीए (बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण) तक से शिकायत की गई, लेकिन कहीं से कोई राहत नहीं मिली। ऐसी स्थिति में सरकार ने अब नए बहाने से इस मुद्दे से खुद को अलग कर लिया है, जिससे पता चलता है कि वह बैंक को बचाना चाह रही है।

आईसीआईसीआई बैंक ने एफडी (फिक्स्ड डिपॉजिट) के बहाने सैकड़ों किसानों से लाखों रुपए ऐंठ लिए और उन पर बीमा पॉलिसी का बोझ लाद दिया। अब इस संबंध में प्रधानमंत्री से बार-बार शिकायत किए जाने के बाद भी कोई उचित कार्रवाई नहीं की जा रही है। पीएमओ में बार-बार शिकायत किए जाने के बाद भी इस धोखाधड़ी के आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। पीएमओ को 250 वीडियो भेजे गए, जिनमें तमाम किसानों से हुई धोखाधड़ी से जुड़ी आपबीती थी, लेकिन इसके बावजूद पीएमओ ने इस पर ध्यान नहीं दिया।

– नितिन बालचंदानी, व्हिसिल ब्लोअर


घटनाक्रम

  • 2810 करोड़ रुपए का नहीं किया भुगतान
  • 4000 करोड़ रुपए बैंक ने लोन के तौर पर वीडियोकॉन ग्रुप को दिए
  • 2010-12 के बीच दिया गया था लोन
  • 3,250 करोड़ रुपए आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन ग्रुप की पांच कंपनियों को दिए
  • 660 करोड़ रुपए केमन आइलैंड की एक शेल कंपनी को दिए
  • 2008 में नूपॉवर रीन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड (एनआरपीएल) के नाम से साझा कंपनी बनाई
  • 50 फीसदी हिस्सेदारी एनआरपीएल में धूत की
  • 2009 में धूत ने एनआरपीएल के निदेशक पद से इस्तीफा दिया
  • 2010 में धूत के स्वामित्व वाली कंपनी सुप्रीम एनर्जी प्रा. लि. ने एनआरपीएल को 64 करोड़ कर्ज दिया
  • 9 लाख रुपए में ही दीपक कोचर की कंपनी पिनाकल एनर्जी को ट्रांसफर कर दी

लेखक उन्मेष गुजराथी दबंग दुनिया अखबार के मुंबई संस्करण के स्थानीय संपादक हैं.

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