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साहित्य

धमकियों के कारण दलित चिंतक प्रो. कांचा इलैया ने खुद को हफ्ते भर से अपने घर में कैद कर रखा है!

प्रो. कांचा इलैया शेफर्ड के पक्ष में उतरे ढेर सारे साहित्यकार और कई संगठन…. दलित चिंतक प्रो. कांचा इलैया शेफर्ड ने पिछले एक हफ्ते से अपने को हैदराबाद के अपने घर में बंद कर रखा है। कारण है, उनकी किताब ‘पोस्ट-हिन्दू इंडिया’ के एक अध्याय पर आर्य वैश्य समुदाय की आहत भावनाएं। 9 सितम्बर से उन्हें इस आहत समुदाय द्वारा जान की धमकियां मिल रही हैं। तेलुगु देशम पार्टी के एक सांसद टी जी वेंकटेश ने प्रेस कांफ्रेंस करके उन्हें चौराहे पर फांसी देने की बात कही। कुछ दिन पहले उनकी कार पर हमला भी किया गया, जिससे वे बाल-बाल बचकर निकले। तेलंगाना सरकार ने इन तमाम घटनाओं के बावजूद उन्हें अभी तक कोई सरकारी सुरक्षा प्रदान नहीं की है।

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प्रो. कांचा इलैया शेफर्ड के पक्ष में उतरे ढेर सारे साहित्यकार और कई संगठन…. दलित चिंतक प्रो. कांचा इलैया शेफर्ड ने पिछले एक हफ्ते से अपने को हैदराबाद के अपने घर में बंद कर रखा है। कारण है, उनकी किताब ‘पोस्ट-हिन्दू इंडिया’ के एक अध्याय पर आर्य वैश्य समुदाय की आहत भावनाएं। 9 सितम्बर से उन्हें इस आहत समुदाय द्वारा जान की धमकियां मिल रही हैं। तेलुगु देशम पार्टी के एक सांसद टी जी वेंकटेश ने प्रेस कांफ्रेंस करके उन्हें चौराहे पर फांसी देने की बात कही। कुछ दिन पहले उनकी कार पर हमला भी किया गया, जिससे वे बाल-बाल बचकर निकले। तेलंगाना सरकार ने इन तमाम घटनाओं के बावजूद उन्हें अभी तक कोई सरकारी सुरक्षा प्रदान नहीं की है।

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यह पूरा प्रकरण और इसे लेकर तेलंगाना सरकार का रवैया घोर आपत्तिजनक और निंदनीय है। जनवादी लेखक संघ कांचा इलैया की अभिव्यक्ति की आज़ादी के पक्ष में खड़ा है और यह मांग करता है कि सरकारी एजेंसियां कांचा इलैया की सुरक्षा, उनकी लिखने बोलने की आज़ादी की सुरक्षा और धमकियां देने वालों पर उचित कार्रवाई सुनिश्चित करे।
2 अक्टूबर, गांधी जयन्ती के मौक़े पर लेखक और संस्कृतिकर्मी दिल्ली के जंतर मंतर पर कांचा इलैया के समर्थन में इकट्ठा हुए. इसमें जो जो संगठन शामिल रहे, उनके नाम इस प्रकार हैं- दलित लेखक संघ, सेंटर फॉर दलित लिटरेचर एंड आर्ट, समता साहित्य समिति, प्रगतिशील लेखक संघ, जन संस्कृति मंच और जनवादी लेखक संघ। हम सभी लेखकों का आह्वान करते हैं कि अपनी एकजुटता दिखाकर प्रो. कांचा इलैया के पक्ष में अपनी आवाज़ बुलंद करें।

मुरली मनोहर प्रसाद सिंह (महासचिव)
संजीव कुमार (उप-महासचिव)
जनवादी लेखक संघ

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