लखनऊ : यूपी के मुख्य सचिव आलोक रंजन ने अपने दो साल के कार्यकाल में विकास के नये कीर्तिमान स्थापित किये। जब उन्होंने कार्यभार संभाला तो नौकरशाहों की लापरवाही के चलते विकास कार्य बहुत प्रभावित हो रहे थे। ऐसे में उन्होंने खुद कमान संभाली और जिले के दौरे शुरू किये। गांव-गांव जाकर विकास कार्यों की हालत उन्होंने खुद देखा। यही कारण था कि दो साल के भीतर विकास कार्यों में खासी तेजी आयी। श्री रंजन ने आईआईएम अहमदाबाद जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से एमबीए की डिग्री लेने के बाद 1978 में उन्होंने आईएएस की परीक्षा उत्तीर्ण की। उन्होंने बेहद लोकप्रिय दो किताबें भी लिखीं। श्री रंजन अपने विनम्र स्वभाव के लिए बेहद लोकप्रिय हैं। श्री रंजन की कार्य कुशलता का ही परिणाम था कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उनके रिटायर होने के बाद उन्हें तीन महीने का सेवा विस्तार दिया। श्री रंजन ने अपनी जिन्दगी के कई पहलुओं पर 4पीएम के संपादक संजय शर्मा से विस्तार से बातचीत की। पेश हैं उसके अंश…
-आपको मुख्य सचिव के रूप में दो साल पूरे हो गए। क्या महसूस कर रहे हैं अपने कार्यकाल को लेकर?
-मुझे लगता है मैंने अपना काम ईमानदारी से और पूरी मेहनत के साथ पूरा किया है। बाकी तो आप लोग खुद बेहतर आकलन कर सकते हैं, यूपी के विकास के काम को देखकर।
-जितने विकास के काम आपने सोचे थे, क्या उतने पूरे हो पाए?
-बेशक! विकास की योजनाओं पर बहुत काम हुआ है और इतना तेज हुआ है कि मैं समझता हूं इससे ज्यादा काम पहले कभी नहीं हुआ। नयी-नयी परियोजनाएं जैसे-लखनऊ मेट्रो, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे, कैंसर अस्पताल, जेपी सेंटर, जनेश्वर मिश्र पार्क, ताजगंज परियोजना जैसी दर्जनों परियोजनाएं शुरू हुई। यह तमाम परियोजनाएं ऐसी हैं, जिनको समय से व सही तरीके से हम लोग पूरा कर रहे हैं। इसी प्रकार समाजवादी पेंशन योजना, लोहिया आवास योजना जैसी योजनाएं हमने बहुत बेहतर तरीके से लागू की है।
-विकास के जितने काम हुए हैं उन पर बिगड़ती हुई कानून व्यवस्था भारी पड़ जाती है। इसमें सुधार क्यों नहीं हो पा रहा?
मैं यह मानता हूं कि इस मामले पर कुछ जगह से शिकायतें जरूर आयीं। हमने डीएम और एसएसपी को कड़े निर्देश दिए कि किसी भी हालत में कानून व्यवस्था में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी नहीं होनी चाहिए।
-आपके निर्देशों के बाद भी स्थितियों में बहुत सुधार होता नजर नहीं आ रहा?
हम लोगों ने कानून व्यवस्था सुधारने के लिए कई गंभीर प्रयास शुरू किये। डायल 100 सेवा इसी का परिणाम है। हमारी कोशिश है कि किसी भी अपराध के दस मिनट के भीतर पुलिस वहां पहुंचे। महिलाओं के प्रति अपराधों पर लगाम लाने के लिए 1090 जैसी स्कीम शुरू की गयी। इसके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं।
-एक फ्रंट पर आपके काम की बहुत तारीफ हुई, वह है ऊर्जा विभाग। बिजली के मोर्चे पर हुए काम से आप संतुष्ट हैं?
बिलकुल! बिजली के मोर्चे पर बहुत काम किया गया है। आप देख रहे होंगे कि इस भीषण गर्मी में भी कहीं भी बिजली को लेकर हंगामा नहीं हुआ। इस समय जनरेशन में, ट्रासमिशन में डिस्ट्रीब्यूशन में सभी जगह इतनी बढ़ोत्तरी कर दी कि अब यह स्थित है कि अक्टूबर तक हम ग्रामीण क्षेत्रों में सोलह घंटे और शहरी क्षेत्रों में 24 घंटे बिजली देने में कामयाब हो जायेंगे। यह प्रदेश की तस्वीर बदलने के लिए काफी है।
-मगर, आपके इतने दावों के बावजूद अस्सी प्रतिशत किसान आज भी अपने संसाधनों से सिंचाई कर रहे हैं। आखिर यह स्थिति कब आएगी कि किसान सरकारी संसाधनों से ही सिंचाई करें?
-हां यह बात तो सही है कि किसान बड़ी संख्या में अपने निजी ट्यूबवेल आदि से सिंचाई कर रहे हैं। हमारी कोशिश भी यही है कि हम किसानों को इतनी बिजली दे सके कि वह अपने ट्यूबवेल आदि को बेहतर तरीके से चला सके। मेरे ख्याल से अगर किसान निजी ट्यूबवेल से अपने खेत की सिंचाई कर रहे हैं तो यह बुरा नहीं है।
-मतलब सरकार अपने संसाधनों से सिंचाई के साधनों में बढ़ोत्तरी नहीं करेगी?
-मैंने ऐसा नहीं कहा। हम अपने नहर प्रणाली को लगातार विकसित कर रहे हैं। हमारी नहर प्रणाली देश की सबसे बड़ी नहर प्रणाली है। हमने इसीलिए यह व्यवस्था बनायी कि अगर कोई अपने ट्यूबवेल लगाने के लिए बिजली कनेक्शन लेने आये तो उसे इंतजार न करना पड़े। हमने तय किया कि किसान जिस दिन बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन करे, उसे कनेक्शन उसी दिन मिल जाये। इसके अलावा नहरों से खेतों तक पानी पहुंचाने के काम में लगातार तेजी लायी
जा रही है।
-किसान लगातार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। उसे बैंक से ऋण तक नहीं मिलता?
-यह बात सही है कि अभी भी बहुत बड़ी आबादी ऐसी है जो बैंक प्रणाली से बाहर है। हम साठ से सत्तर फीसदी आबादी को तो बैंकिंग सिस्टम में ले आये हैं। हमारी कोशिश है कि सभी लोगों को बैंक प्रणाली में ले आयें।
-आपके इन तमाम दावों के बावजूद बुंदेलखंड में किसान बेहाल हैं। भूख और कर्ज से किसानों की आत्महत्या की खबरें आहत कर रही हैं?
-बुंदेलखंड में हमने अफसरों से साफ-साफ शब्दों में कह दिया है कि अगर भूख के कारण एक भी मौत हुई तो सीधे अफसर जिम्मेदार होंगे। मुख्यमंत्री जी और मैं स्वयं कई बार बुंदेलखंड का दौरा करके आया हूं। वहां बड़ी संख्या में राशन लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। हमारी पूरी कोशिश है कि बुंदेलखंड के लोगों को ज्यादा से ज्यादा संसाधन उपलब्ध कराये जाये।
-एक चीज जो आपके तमाम निर्देशों के बाद भी नहीं सुधर पा रही, वह है जिले में अफसरों का नाकारापन। आपके तमाम नोटिस के बावजूद जिले के कलेक्टर और एसपी जनता की शिकायत नहीं सुन रहे?
-अधिकारी बैठ रहे हैं और सुन भी रहे हैं। मगर कभी-कभी एक सकारात्मक तरीके से समस्याओं का निदान करना चाहिए, वह शायद कहीं-कहीं नहीं हो पा रहा । इसीलिए लोग शिकायतों को लेकर ऊपर तक आते हैं। मैं हर बैठक में, वीडियो काफ्रेंसिंग में और चिट्ठी के माध्यम से अफसरों से कहता रहता हूं कि जनता से रोज न सिर्फ मिलिये बल्कि उनकी हर समस्या का सकारात्मक हल भी सुनिश्चित कराइये।
-यह सब लापरवाही इसीलिए तो नहीं हो रही है कि सीएम भी पोलाइट हैं और आप भी?
-नहीं, पोलाइटनेस की कोई बात नहीं है। हमने अफसरों को साफ तौर पर बता दिया है कि आम आदमी की हर परेशानी का निदान ही हमारी प्राथमिकता है।
-आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे तो शानदार तरीके से बन गया। क्या लखनऊ-बलिया एक्सप्रेस-वे बन जाएगा?
-बिलकुल। इसके लिए भूमि अधिग्रहण शुरू हो रहा है। सबसे खुशी की बात है कि कहीं भी किसानों की जमीन को लेकर विवाद नहीं हुआ। हमने किसानों की हर बात मानी।
-ऐसा कौन सा काम रह गया जो अभी तक पूरा नहीं हो सका और आप उसे करना चाहते हैं?
-ऐसा तो कोई काम नहीं है। हां, मैं यह जरूर चाहता कि लोगों में संवेदनशीलता बढ़े। विकास के शानदार काम हुए हैं। अब कानून व्यवस्था पर और काम करने की जरूरत है।
-आखिरी सवाल, आपका ऐसा कौन सा सपना है जिसको लेकर आप सोचते हैं कि लोग आपको याद रखेंगे?
मैंने ऊर्जा सेक्टर के लिए मुख्य सचिव का चार्ज लेने के पहले ही दिन कहा था कि हमको ऊर्जा के सेक्टर में सुधार करना है। आज दो साल में जब बिजली उत्पादन तीन गुना हुआ और लोगों को बहुत बेहतर बिजली मिल रही है तो मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मैं अपना वादा पूरा कर सका।