उत्तराखंड के एनडीटीवी पत्रकार दिनेश मानसेरा के मीडिया में पच्चीस साल पूरे होने के मौके पर मीडिया से जुड़े दिग्गज उनके गृह नगर हल्द्वानी (नैनीताल) में जुटे. इस मौके पर पर उनकी पुस्तक ‘दाज्यू बोले’ और लघु फ़िल्म ‘मैं गौला हूँ’ का लांच हुआ. इस समारोह में एनडीटीवी इंडिया के रवीश कुमार ने अपने शानदार अंदाज़ में कहा हरे भरे खेतों में उम्मीदवारों के नाम उग आए हैं, न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करो चुनाव आए हैं। गन्ने की तरह लोगों को काटने लोग आए हैं, पोस्टरों पर मुस्कुराने वाले नेता महान आए हैं। ट्विटर ने हमे लफंगा बना दिया, फेसबुक ने साहित्यिक। लोग पहले नेताओ को ज्ञापन देते थे अब पत्रकारो को ज्ञापन देने लगे हैं। उम्मीदों का कितना बड़ा पहाड़ है। दाज्यू बोले किताब पढ़ कर मैं रास्ते भर हँसता रहा।
‘दाज्यू बोले’ विमोचन अवसर पर कैबिनेट मंत्री इंदिरा ह्रदयेश ने कहा नेताओ में व्यंग आलोचना सुनने का धैर्य होना चाहिए। लेखिका और पत्रकार, गीता श्री ने कहा रवीश कुमार को गवाह बना कर कहती हूँ ‘दाज्यू बोले’ को हम लवक यानि लघु व्यंग कहानी कहेंगे। प्रोफेसर गोविन्द सिंह ने कहा ‘दाज्यू बोले’ एक नयी परम्परा की शुरआत है जो सोशल मीडिया से आयी और किताब बन गयी। ‘दाज्यू बोले’ के साथ परिचर्चा ‘दरकता पहाड़’ विषय पर भी हुई।
सुशील बहुगुणा ने कहा हमारे नेता, हमारे अधिकारी, खनन माफियाओ से मिलकर पहाड़ की बर्बादी कर रहे हैं। पर्यावरणविद् सच्चिदानंद भारती ने कहा पहाड़ को पेड़ लगाओ आंदोलन से जोड़ना होगा, गंगा माँ है तो गंगा की भी कोई माँ है, पहले उसके बारे में सोचिये। प्रोफेसर अजय रावत ने बोला कि पर्यावरण को लेकर किसी भी सरकार ने कोई एजेंडा तय नहीं किया, कोई नियम नहीं बनाये। इंदिरा ह्रदयेश ने कहा कि सरकार एनजीटी बनने के बाद पर्यावरण के प्रति सचेत हुई है।
रवीश कुमार ने कहा कि लोग प्रकृति से कट गए है, अब हम इस विनाश लीला को अपने बच्चों की सेहत से समझे। मेजबान दिनेश मानसेरा ने परिचर्चा में कहा कि पहाड़ों पर बढ़ते वाहनों से कार्बन बढ़ रहा है। पॉवर प्रोजेक्ट की सुरँगों से पहाड़ के गांव टूट रहे हैं। एनडीटीवी के रिपोर्टर ह्रदयेश जोशी ने संचालन करते हुए कहा कि केदारनाथ त्रासदी से हमने कोई सबक नहीं लिया, हिमालय के ग्लेशियर पिघल रहे है।
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