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भारत के इस सोशल एक्टिविस्ट को मिला 70 लाख रुपये वाला अमेरिकी ‘ग्रिनेल अवॉर्ड 2019’

सोशल जस्टिस के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं के कार्यों को सहयोग और प्रोत्साहन देने के लिए प्रदान किया जाने वाला अमेरिका का प्रतिष्ठित पुरस्कार ‘ग्रिनेल अवॉर्ड’ 2019 की घोषणा कर दी गई है. अपने देशवासियों की लिए खुशी बात है कि पहली बार ये पुरस्कार किसी भारतीय को दिया जाने वाला है. मानव तस्करी जैसे सामाजिक कलंक के खिलाफ लंबे समय से संघर्षरत सोशल एक्टिविस्ट शफीक उर रहमान खान को उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिए ये अवॉर्ड प्रदान किए जाने की घोषणा की गई है.

शफीक उर रहमान खान और उनका संगठन ‘इंपावर पीपुल’ का नाम सोशल जस्टिस के लिए काम करने वालों के बीच एक बेहद जाना पहचाना नाम है. जो बिहार, झारखंड, पक्षिणम बंगाल जैसे पिछड़े इलाकों से तस्करी और दलालों के माध्यम से बदला फुसलाकर लाकर हरियाणा, दिल्ली जैसी लैंगिंक असंतुलन वाले प्रदेशों में ‘दुल्हन’ या ‘पारो’ के नाम से बेच दी गई लड़कियों को उस दलदल से निकालकर उनका पुनर्वास कराकर नई ज़िंदगी देने का काम करता है.

विश्व भर में इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को अमेरिकी शैक्षणिक संस्थान ‘ग्रिनेल कॉलेज इनोवेटर फॉर सोशल जस्टिस प्राइज’ द्वारा प्रदान किया जाता है. संस्थान पूरे विश्वभर से ऐसे लोगों को पुरष्कृत करने के लिए चुनती है, जिन्होंने अलग-अलग सामाजिक मुद्दों पर नए विचारों के साथ उतर कर सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन के सपने को साकार किया हो.

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पुरस्कार की घोषणा होने पर शफ़ीक़ ने इस पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि, ‘मैं बेहद खुश हूं. खासकर तब जब किसी शैक्षणिक संस्थान ने आपको उस पुरस्कार के लिए सम्मानित करने के लिए सलेक्ट किया हो जिसे दुनिया भर में सामाजिक परिवर्तन को अंजाम देने वाले लोग सम्मानित होते रहे हों. साथ ही ये सम्मान मेरी सोच को, मेरे कार्यों को सही होने का नैतिक साहस देने के साथ ही उन्हें आगे जारी रखने के लिए जब आर्थिक सहयोग देने जा रही हो तो किसको अच्छा नहीं लगेगा… हम और हमारे सभी सहयोगी इसे सुनकर बेहद खुश हैं. उम्मीद है अपनों के द्वारा ही बेच दी गई इन लड़कियों की लड़ाई को ये पुरस्कार कुछ आसान बनाएगा’.

ह्यूमन ट्रैफकिंग के खिलाफ लोगों को जागरूक करने और प्रशासनिक अधिकारियों को ट्रेनिंग देने के लिए साल 2018 में देश के दस राज्यों में इंपावर पीपुल द्वारा आयोजित एक जागरूकता अभियान को शफ़ीक़ जी ने लीड किया. यही नहीं इसी साल के फरवरी मंथ में आदिवासियों के अधिकारों को लेकर तक़रीबन दस हजार लोगों को लेकर झारखंड में उन्होंने हजारीबाग से लेकर रांची तक लगभग 110 किलोमीटर पैदल मार्च को भी उन्होंने आयोजित किया. जिसके जरिए झारखंड के जंगलों में काफी अंदर रहने वाले लोगों ने सड़क पर आकर अपनी परेशानियां सरकार के समक्ष रखा. तकरीबन 20 सालों से शफीक उर रहमान खान समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. ग्रिनेल अवॉर्ड की घोषणा के साथ ही उम्मीद है कि अब उनके संघर्ष और कार्यों को दुनिया भर में जाना जाएगा.

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