जे. कुमार-
जयपुर : अलवर जिले से ताल्लुक रखने वाले एक फर्जी पत्रकार, जो स्वयं को एक प्राईवेट चैनल का मालिक और डायरेक्टर बताते नहीं थकते हैं, से जुड़ा एक शर्मनाक वाकया अब लोगों की जबान पर चढ़ रहा है|
वाकया वर्ष 2008 का है जब सूबे में विधानसभा के चुनाव होने को थे। उस समय इन डायरेक्टर साहब को भी इनके चूजे-चमचों ने चुनाव लड़ने के लिए झाड़ पर चढ़ा दिया और यह साहब भी लग गए टिकट की रेस में|
लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी उनके हाथ कुछ खास नहीं लगा। बहन जी की पार्टी का टिकट पाने के लिए उन्होंने हरियाणा की एक पार्टी से 50 लाख रुपए में डील तय कर ली| लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। इन डाइरेक्टर महोदय के पास 50 लाख इक्क्ठे ना हो पाये और डर के मारे इन महाशय ने हरियाणा की पार्टी का फोन उठाना बंद कर दिया|
इससे आजिज़ आकर हरियाणा की पार्टी के लोग कुछ गुंडे लेकर डायरेक्टर महोदय के घर पहुँच गए| लेकिन पार्टी के आने की खबर लगते ही ये महाशय घर से नौ-दो ग्यारह हो गए| डायरेक्टर महोदय के घर पर नहीं मिलने पर हरियाणा की पार्टी के लोग इन महाशय की धर्मपत्नी को उठा कर शहर से बाहर एक होटल में ले गए| जब डायरेक्टर महोदय को इस घटना की खबर लगी तो वह अपने शुभचिंतको के साथ होटल पहुंचे और हरियाणा की पार्टी से अपनी पत्नी को छुड़ाने की मान मनुवल्ल की और हाथ-पैर जोड़े। इसके चलते हरियाणा की पार्टी ने तरस खाकर इनकी धर्मपत्नी को छोड़ दिया|
अपने पति की इस बचकाना हरकत से पत्नी महोदया का पारा सातवें आसमान पर पहुँच गया और तलाक की धमकी देते हुए मायके पहुँच गयी| पत्नी की इस धमकी से डायरेक्टर महोदय के साथ “आसमान से गिरे और खजूर पर अटके” वाली कहावत चरितार्थ हो गयी| बड़ी मुश्किल से पत्नी के हाथ-पैर जोड़कर, अपना घर उजड़ने से बचाया|
डायरेक्टर महोदय के धुर विरोधी और उनसे जलने वाले लोग अलवर के चौराहों पर खड़े होकर मजे से, इस पुराने किस्से के चटकारे ले रहे हैं|
हालांकि इस घटना का आज किसी के पास कोई डोक्यूमेंटरी प्रमाण नहीं है, लेकिन अलवर के राजनैतिक एवं मीडिया गलियारों मे इसकी चर्चा खूब हुई। यदि डायरेक्टर महोदय को यह घटना केवल बदनाम करने वाली कहानी लगती है तो उन्हें जनता के बीच आकर इस मामले में सफाई देनी चाहिए|
जयपुर से जे. कुमार.