जिद करो दुनिया बदलो का नारा देने वाले डीबी कार्प के देश भर के पत्रकारों और अन्य कर्मचारियों के फोन मेरे पास आ रहे हैं। सबका एक ही रोना है- टर्मिनेशन या ट्रांसफर। रात को 12 बजे तक जितने भी फोन आ रहे उनमें सबसे ज्यादा डीबी कोर्प के कर्मचारियो और पत्रकारों के फोन होते हैं। मैं खुद पत्रकारों को काल बैक करता हूँ ताकि मेरे साथियों का पैसा ना कटे। आप को बता दूं मालिक लोग अभी आपको और ज्यादा परेशान करेंगे। डरिये नहीं। कुछ साथियों ने बताया कि 21 मई 2016 का डेट डलवाकर आज साइन कराया गया है।
एक साथी ने तो आत्महत्या का भी प्रयास किया जो पूरी तरह गलत है। डीबी कोर्प लगभग अपने सभी यूनिट में इसी तरह की हरकत कर रहा है। ऐसे में अब आप भी यही नारा अपनाओ- जिद करो दुनिया बदलो। उनके पास भास्कर है तो हमारे साथ भड़ास है, कोर्ट है, ढेर सारे साथी हैं। आप त्यागपत्र बिलकुल मत दो। जो होगा देख लेंगे। आपको अकेले नहीं परेशान किया जा रहा है। डीबी कार्प अपने अखबारों दैनिक भास्कर, दिब्य मराठी आदि में देश भर में इसी तरह की हरकत कर रहा है। मजीठिया वेज बोर्ड मांगने पर ये हो रहा है। आप भी जिद करो और दुनिया बदलो। 19 जुलाई को माननीय सुप्रीमकोर्ट में इसी मामले में महत्वपूर्ण फैसला आने वाला है। ये मालिक इसी फैसले को लेकर डर रहे हैं। सभी लोग लेबर कमिश्नर के यहाँ एक अप्लीकेशन लगाएं और उसकी कॉपी संभालकर रखें।
अगर आपका ट्रान्सफर किया जा रहा है तो उसे एसेप्ट कीजिये तथा उस लेटर को पाने के बाद उसकी एक कॉपी श्रम आयुक्त के पास एक पत्र के साथ दीजिये कि हमें मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से वेतन-एरियर दिया जाए। 10 साल से ऊपर काम करने वाले साथी प्रमोशन की मांग के साथ एप्लीकेशन लगाएं। आपको साफ़ कर दूँ कि आपको ट्रांसफर लेटर मेल से भेजा जा रहा है डीबी कोर्प द्वारा इसलिए आपको ना कहने की गुंजाइश कम होगी। इस मामले में आज ही एडवोकेट बृजबिहारी सर से एक सुझाव माँगा था जो आपको भेज रहा हूँ। उन्होंने लिखा है–
”यदि टान्सफर आर्डर के बारे में नियुक्ति पत्र में भी लिख दिया है तो वह प्रभावी तब तक नहीं है जब तक स्टेन्डिग आडर्स एजेंसी नहीं बनाती। केन्द्रीय कानून 1946 के तहत हर एजेन्सी को अपने S.O. बनाकर श्रम विभाग से प्रमाणित कराने होते हैं।”
दोस्तों साफ़ कर दूँ, देर तो बहुत हो गयी है और इस बात का अंदेशा पहले ही भड़ास के जरिये सुप्रीमकोर्ट के एडवोकेट उमेश शर्मा जी जता चुके हैं। उमेश सर और यशवंत सर इसीलिए बार बार कह रहे थे कि सुप्रीम कोर्ट में क्लेम लगाइये। उस समय अपने कुछ बंधू सोच रहे थे कि ये सब करने से नौकरी चली जायेगी। आपको बता दूँ जिन्होंने केस किया उनकी नौकरो सेफ हो गयी और जो नौकरी जाने के डर से बैठ गए थे अब उनकी नौकरी जा रही है। खैर अब भी रास्ता बनेगा। कोई भी रिजाइन मत दें और ट्रांसफर होने दीजिये। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इन्तजार कीजिये।
शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट
मुंबई
9322411335