विवेक उमराव-
फैटी-लिवर बीमारी अमूमन लक्षण नहीं देती है, अचानक मृत्यु नहीं होती है। इसलिए फैटी लिवर को हल्के में लिया जाता है। फैटी लिवर ट्राईग्लिसराइड की मात्रा बढ़ाता है, क्योंकि फैटी लिवर फ्रक्टोज व ग्लूकोज की प्रासेसिंग कम कर पाता है इसलिए ट्राइग्लिसराइड के रूप में जमा करता रहता है, इसी जमावट के कारण फैटी लिवर होता है। हाई ट्राईग्लिसराइड अनेक प्रकार की खतरनाक बीमारियों का कारक होता है या प्रमुख भूमिका निभाता है। भले ही अमूमन फैटी लिवर से अचानक मृत्यु नहीं होती है, लेकिन फैटी लिवर कई प्रकार के कैंसर का कारक होता है, फैटी लिवर के कारण हाई-ट्राईग्लिसराइड स्ट्रोक जैसी कई खतरनाक बीमारियों का कारक होता है।
अपने भारतीय समाज में कुल जनसंख्या का आधे से अधिक लोगों को फैटी-लिवर की समस्या है। यदि आपको समय रहते फैटी-लिवर का पता चल गया है तो आप सौभाग्यशाली हैं। इसको ठीक कर लेना ठीक है।
फैटी लिवर को ठीक करने (रिवर्ट करने) के लिए निम्न चार बातें मूल हैं:—
पहली प्राथमिकता, फ्रक्टोज का सेवन तुरंत बंद करना (जिन फलों व सब्जियों में फ्रक्टोज अधिक होता है, उनका सेवन भी तुरंत बंद करना)।
दूसरी प्राथमिकता, ग्लूकोज का सेवन बंद करना (जिनमें फ्रक्टोज कम लेकिन ग्लूकोज अधिक होता है उन फल व सब्जियों को बंद करने की जरूरत नहीं, सेवन कम किया जा सकता है, यदि फैटी लिवर ऊपरी स्तर का है तो बंद कर देना चाहिए)।
तीसरी प्राथमिकता, शरीर को फैट-बर्निंग मोड में पहुंचाना ताकि लिवर का फैट बर्न हो।
चौथी प्राथमिकता, पाचनतंत्र व लिवर को खूब आराम देना तथा पर्याप्त पौष्टिक तत्वों की आपूर्ति ताकि यह अपनी टूटफूट को ठीक करने की ओर बढ़ सके।
फ्रक्टोज का सेवन बंद (शक्कर, गुड़, खांड, राब, शहद, फलों के जूस इत्यादि बंद)। ग्लूकोज का सेवन बहुत कम।
दिन में आहार लेने की संख्या अधिकतम दो। आहार मतलब सादे पानी के अलावा कुछ भी कितनी भी कम मात्रा में खाना या पीना। दिन का अंतिम आहार व अगले दिन का पहला आहार के बीच लगभग 18 घंटे का अंतर। प्रत्येक आहार के बाद लगभग एक घंटा चहलकदमी करें।
सुबह कम से कम दो घंटे बिना मुंह खोलकर सांस लिए हुए जितना तेज पैदल चल सकें (दौड़ना नहीं है), उतना तेज चलें या साइकिल चलाएं।
जिस स्तर का फैटी लिवर होगा, उस आधार पर समय लगेगा, लेकिन फैटी लिवर रिवर्स होने की ओर बढ़ने लगेगा। शुरुआती चरणों का फ्राइब्रोसिस भी रिवर्ट किया जा सकता है।
कोई भी पैदाइशी डाक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक इत्यादि नहीं होता। अध्ययन करने से बना जाता है। यदि आप व्यापक व गंभीर अध्ययन करने के लिए स्वयं को समर्पित करते है, तो आप डिग्रीधारी डाक्टरों, इंजीनियरों, वैज्ञानिकों से बेहतर समझ विकसित करने की अवस्था को प्राप्त कर सकते हैं। इन लोगों ने डिग्री पाने के लिए जिस स्तर का अध्ययन किया होता है, आप उससे बेहतर अध्ययन कर सकते हैं। इनमें से अधिकतर लोगों ने तो रटकर डिग्री पाई होती है, जीवन भर रूटीन वाली ही डाक्टरी करते रहते हैं।
इन लोगों ने यदि सौ किताबें पढ़कर डिग्री पाई होती है तो आप एक हजार किताबें पढ़ सकते हैं, बेहतर गुणवत्ता स्तर का अध्ययन कर सकते हैं। किसी ने हाथ नहीं पकड़ रखा है। ज्ञान डिग्रियों के ऊपर निर्भर नहीं करता, नौकरी पर निर्भर नहीं करता।
मूल बात होती है अध्ययन की गंभीरता, व्यापकता, वैज्ञानिक-दृष्टिकोण व ऑब्जेक्टिविटी।
समय ऊर्जा व प्रतिबद्धता के साथ व्यापक व गंभीर अध्ययन कीजिए, आधुनिक तथ्यात्मक वैज्ञानिक शोधों का अध्ययन कीजिए। मिथकों, अवैज्ञानिक-तथ्यों, तथा धार्मिक कथा कहानियों प्रपंचों इत्यादि से अपने आपको मुक्त रखिए। आप शरीर क्रिया विज्ञान की बहुत बेहतर समझ विकसित कर सकते हैं।