सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने लैकफेड घोटाले के कई अभियुक्तों के बरी होने और कोर्ट द्वारा लचर विवेचना साबित होने के सम्बन्ध में तत्कालीन एडीजी एसआईबी को-ऑपरेटिव सुब्रत त्रिपाठी की भूमिका की जांच की मांग की है. उन्होंने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्र लिख कर कहा है कि यह सर्वविदित है कि इस घोटाले की विवेचना पूरी तरह से श्री त्रिपाठी के सीधे नियंत्रण में थी जैसा उस समय के समाचारपत्रों में प्रकाशित खबरों से भी प्रमाणित होता है.
श्री त्रिपाठी ने तत्कालीन डीएसपी आदित्य प्रकाश गंगवार को अपने स्तर से कार्यवाहक एसपी बना दिया था. साथ ही प्राप्त जानकारी के अनुसार इस मामले की फ़ाइल सीधे श्री गंगवार और श्री त्रिपाठी के बीच चलती थी क्योंकि उस समय को-ऑपरेटिव सेल में तैनात आईजी आनंद स्वरुप को इस विवेचना से पूरी तरह अलग रखा गया था. यह बात भी चर्चा में थी कि इस विवेचना के दौरान गलत फीडबैक दे कर श्री स्वरुप को मानवाधिकार प्रकोष्ठ में ट्रान्सफर करा दिया गया था.
डॉ ठाकुर ने कहा है कि श्री त्रिपाठी के एक भांजे द्वारा इस विवेचना के भारी दखलअंदाजी करने और कई बड़े लोगों को सम्मन भेज कर उनसे वसूली करने की बातें भी काफी चर्चा में रही थीं और यह भी कहा गया था कि इन शिकायतों के बाद ही श्री त्रिपाठी को वहां से हटाया गया था. इन तथ्यों के आधार पर डॉ ठाकुर ने लैकफेड घोटाले की लचर विवेचना और अभियुक्तों को लाभ पहुँचने के सम्बन्ध में विवेचक और श्री गंगवार के अलावा श्री त्रिपाठी की भूमिका की भी जांच कराने का अनुरोध किया है.