ग्रेटर नोएडा की कांशीराम कॉलोनी में 22 जुलाई 2015 को छापे के दौरान पकड़े गए सैक्स रैकेट मामले की उच्च स्तर पर लीपापोती की जा रही है। असली गुनहगारों और पकड़े गए दो पत्रकारों को इसलिए बचाया जा रहा है कि उसमें हाई-प्रोफाइल लोगों के गले फंसे हुए थे। इस संबंध में ‘भ्रष्टाचार मुक्त भारत’ नामक संगठन की ओर से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को प्रेषित एक लिखित फरियाद में कहा गया है कि यदि रैकेट के असली गुनहगारों का चेहरा पूरी सूची के साथ मीडिया के सामने बेनकाब नहीं किया गया तो वे समाज को गंदा करते रहेंगे। उस मामले को दबाया जा रहा है। उसकी उच्चस्तरीय कमेटी से जांच कराने के बाद दोषियों को दंडित किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री को बताया गया है कि उस दिन छापे में कुल 800 महिलाओं और उससे बहुत अधिक व्यभिचारियों का पता चला था। यह भी पता चला था कि वह पूरा रैकेट एक ऐसी महिला चला रही है, जिसके हाईप्रोफाइल लोगों से निकट के रिश्ते हैं। जिस फ्लैट में वह महिला व्यभिचार का अड्डा चला रही थी, उसके मालिक के संज्ञान में वह सब कुछ हो रहा था। उस महिला और मकान मालिक का चेहरा समाज के सामने ले आया जाना चाहिए।
संगठन की ओर से बताया गया है कि इस पूरे मामले में जो सबसे बड़ी बात सामने आयी है, वह ये है कि इस घिनौने कांड में दो जर्नलिस्ट भी शामिल थे, जो कि फ्लैट जाकर ग्राहकों को ये विश्वास दिलाते थे कि यह जगह सुरक्षित है और कभी भी यहां पुलिस नहीं पहुंच सकती है। उन दोनो पत्रकारों का चेहरा भी सामने ले आया जाना चाहिए।
यदि इस प्रकरण में जितने भी संबंधित अधिकारी, व्यवसायी शामिल हैं, उन सभी के नामों की सूची, पद सहित उजागर नहीं की गई और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई सुनिश्चित न हुई तो वे किसी और तरीके से अपनी गंदगी से समाज को नुकसान पहुंचाते रहेंगे। मुख्यमंत्री से मांग की गई है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच उच्चस्तरीय कमेटी गठित कर कराई जाए ताकि दोषी किसी भी कीमत पर बच न निकलें। मुख्यमंत्री से कार्रवाई की इस सिफारिश के पत्र की प्रतिलिपि जिलाधिकारी और एसएसपी गौतमबुद्ध नगर के अलावा यूपी के डीजीपी और मीडिया मालिकों को भी दी गई है।