ग्रेनो सेक्स रैकेट : गुनहगार दो पत्रकारों का चेहरा बेनकाब करने की सीएम से सिफारिश

ग्रेटर नोएडा की कांशीराम कॉलोनी में 22 जुलाई 2015 को छापे के दौरान पकड़े गए सैक्स रैकेट मामले की उच्च स्तर पर लीपापोती की जा रही है। असली गुनहगारों और पकड़े गए दो पत्रकारों को इसलिए बचाया जा रहा है कि उसमें हाई-प्रोफाइल लोगों के गले फंसे हुए थे। इस संबंध में ‘भ्रष्टाचार मुक्त भारत’ नामक संगठन की ओर से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को प्रेषित एक लिखित फरियाद में कहा गया है कि यदि रैकेट के असली गुनहगारों का चेहरा पूरी सूची के साथ मीडिया के सामने बेनकाब नहीं किया गया तो वे समाज को गंदा करते रहेंगे। उस मामले को दबाया जा रहा है। उसकी उच्चस्तरीय कमेटी से जांच कराने के बाद दोषियों को दंडित किया जाना चाहिए। 

सेक्स रैकेट में पत्रकारों के लिप्त होने की जांच कराएंगे एसएसपी

रविवार को ग्रेटर नोएडा के चाई सेक्टर में चल रहे सेक्स रैकेट मामले में पुलिस और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कुछ पत्रकारों की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं। जिन दो इलेकट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों का नाम लिया जा रहा है, दलालों द्वारा दी गयी पूरी बाइट में कहीं भी उन पत्रकारों के रैकेट में शामिल होने की पुष्टि नहीं की गई है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई गाइड लाइंस के अनुसार पुलिस कभी भी किसी आरोपी की बाइट थाने में नहीं कराती, फिर भी पुलिस ने उनकी बाइट करायी, जिसमें पत्रकारों द्वारा बार-बार पूछे जाने पर भी दलालों ने पत्रकारों द्वारा संरक्षण की बात कहीं नहीं बोली। उसके बावजूद पुलिस ने दो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों के नाम फर्द में डाल दिये। जबकि पुलिस को पहले जांच करनी चाहिए थी। 

ग्रेनो सेक्स रैकेट में समाचार प्लस और इंडिया टीवी से जुड़े रहे पत्रकार भी शामिल, एफआईआर दर्ज

ग्रेटर नोएडा के चाई सेक्टर में धरे गए सेक्स रैकेट से दो पत्रकारों समेत अफसरों, बिल्डरों आदि के जुड़ने की खबर है. इस रैकेट से ग्रेनो अथॉरिटी का एक अफसर भी जुड़ा था. यह अफसर रैकेट में शामिल युवतियों को उच्च अधिकारियों के पास भेजता था. पुलिस जांच में एक बिल्डर के भाई का नाम भी सामने आया है जो एक बार अपनी छिछोरी हरकत के कारण पुलिस हिरासत में पहुंच गया था लेकिन दबाव बनाकर उसे छुड़ाया गया.