ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने कभी महात्मा गांधी को धोती पहनने पर अर्धनग्न फकीर से संबोधित किया था. लेकिन गुजरात के गांधीनगर में जनवरी 2015 में आयोजित प्रवासी दिवस में गांधीजी की नग्न मूर्तियों के प्रदर्शन को लेकर जो विवाद उठा था अब उसकी जांच सात महीने के बाद प्रारंभ की जा रही है. गौरतलब है कि गांधीनगर के सेक्टर 7 में जांच के आदेश दिए गए हैं और यह जांच भी बार-बार एक सूचना कार्यकर्ता के फरियाद करने पर की जा रही है.
उल्लेखनीय है कि गांधीजी के 1915 में भारत वापस लौटने की शताब्दी पर गांधीनगर के महात्मा मंदिर में धूमधाम से प्रवासी दिवस के रुप में मनाया गया था जिसमें प्रधानमंत्री से लेकर कई मंत्री और विदेशी हस्तियां भी मौजूद थीं। यूके के एक कलाकार ने इस प्रवासी दिवस पर महात्मा गांधी की नग्न मूर्तियों का प्रदर्शन किया था. 1930 में गांधीजी ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ नमक सत्याग्रह किया और दांडी मार्च कूच किया था. इन कलाकृतियों में नग्न गांधीजी के प्रतीक को नमक के टुकड़ों के साथ दिखाया गया है.
गौरतलब है कि आयोजित प्रवासी दिवस में गांधीजी की इन कलाकृतियों को दिखाने का जमकर विरोध हुआ था और इस पर विवाद भी उठा था और बाद में इन कलाकृतियों को हटा लिया गया. लेकिन एक सूचना कार्यकर्ता ने इन मूर्तियों के प्रदर्शन पर गुजरात सरकार, मुख्यमंत्री, कलाकार और वायब्रेंट गुजरात आयोजक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की शिकायत दर्ज की थी और पिछले सात महीनों से वह लगातार शिकायत कर जांच की मांग कर रहा था.
उन्होंने केन्द्र में गृह मंत्रालय को भी सूचना दी थी. सूचना कार्यकर्ता रोशन शाह का कहना है कि गांधीजी को राष्ट्रपिता कहा जाता है और ऐसे में इस तरह की मूर्तियों का प्रदर्शन करना महात्मा गांधी का अपमान करने जैसा है, इसीलिए इस पर शीघ्र ही प्राथमिकी की जानी चाहिए. गांधीनगर के सेक्टर 7 में जहां यह मामला दर्ज किया गया है वहां के पुलिस इंस्पेक्टर मेहुल चौहान का कहना है कि अभी जांच चल रही है और अगर जरुरत हुई तो प्राथमिकी दर्ज की जाएगी. अब देखना यह होगा कि क्या इस पर प्राथमिकी दर्ज की जाएगी या नहीं?
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