हे बारहवीं पास करने वाले या बारहवीं में पढ़ने वाले बच्चों, अपना कॅरियर चुनते समय तुम्हे कन्फ्यूजन हो रही होगी, सब कुछ चुनना पत्रकारिता मत चुनना. खासकर हिंदी की तो बिलकुल नहीं. इसलिए नहीं कि स्कोप नहीं है. बल्कि इसलिए कि यहाँ तुम्हारी कोइ कद्र नहीं है. ग्लैमर की दुनिया तुम्हें अपनी ओर खींचेगी…लेकिन बाहर से ये दुनिया जितनी खूबसूरत है, अन्दर से उतनी मैली. तुम्हें सोशल मीडिया से लेकर गली मोहल्लों में दलाल कहा जाएगा.
भले ही तुम मोहल्ले के पानी बिजली और सीवर के लिए नेता से सवाल पूछ रहे हो, मगर उस टीवी में बैठे कुछ गिने चुने नमूनों की वजह से तुझे दलाल कहा जाएगा… बिकाऊ कहेंगे भले ही तुम 2000 रुपये किराए के एक कमरे के मकान में दो दोस्तों के साथ शेयरिंग में रह रहे हो. भले ही 40 रूपया डाईट वाला खाना खा रहे हो, दिल्ली जल बोर्ड का पानी पीकर बीमार पड़ रहे हो. लेकिन तुम बिकाऊ हो क्योंकि तुम पत्रकार हो…
तुम्हें नेताओं के हाथ की कठपुतली कहा जाएगा भले ही नेता तुम्हें देखते ही दूर भागता हो…. तुम्हे बिकाऊ मीडिया कहकर संबोधित किया जाएगा, जबकि तुम्हारी कुल सैलरी तुम्हारे काल सेंटर वाले दोस्त की सैलरी के गाड़ी के पेट्रोल के बराबर होगी… तुम सोचोगे इज्जत के लिए पत्रकारिता चुनूंगा, लेकिन तुम्हारी इज्जत रोज सरे आम नीलाम होगी… तुम कहोगे विचारधारा के लिए पत्रकारिता चुनूंगा लेकिन विचारधारा का बलात्कार कर दिया जायेगा.
अगर तुम ये सोचेगे की बुद्धीजीवियों के साथ रहोगे तो कुछ सीखोगे, लेकिन वो पढ़े लिखे लोग खुद नौकरी बचाओ समिति के सदस्यों की तरह जंग लड़ते नजर आएंगे… तब तुम्हें एहसास होगा कि सेल्समेन बन जाते तो ज्यादा इज्जत होती… अगर तुम लड़के हो वो भी टेलेंटिड तो लिपस्टिक लगे होठों के आगे तुम्हारा हुनर दम घोटता नजर आयेगा… हां, यहां आगे जाने के लिए या तो तुम्हें दलाल बनना पड़ेगा या फिर चापलूस…
तो हे बारहवीं वालों, यहाँ आओगे तो ये ध्यान रखना, यहाँ एथिक्स नहीं, कारपरेट जगत काम कर रहा है… और हे इन बच्चों के मां-बाप, तुम भी सुन लो, पत्रकारिता के जरिए इनके सुनहरे भविष्य का सपना संजोए जिंदगी की गाड़ी को आगे बढाने की कामना छोड़ दो क्योंकि पत्रकारिता का भविष्य खुद अंधकारमय हो चुका है।
राजेश कुमार
एंकर
चैनल वन न्यूज
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