{jcomments off}हिन्दुस्तान समाचार पत्र में इनक्रीमेंट लेटर मिलते ही अंदरूनी कलह शुरू हो गई है। एक तरफ जहां फीचर सेक्शन में वैसे लोगों को तरक्की मिली हैं, जिन्हें कल तक नाकारा समझा जाता था, वहीं कुछ विभागों में एडिटर की नजदीकियों की बल्ले-बल्ले रही।
मार्च महीने में फीचर सप्लीमेंट रियल इस्टेट में खबर रिपीट होने के विवादों में शामिल रहने वाले विजय मिश्र और राजीव रंजन के कारण पेपर की काफी किरकिरी हुई थी. भड़ास में खबर छपने के बाद कुछ लोगों पर कार्रवाई भी हुई लेकिन राजीव रंजन का नाम होते हुए भी उनका कुछ ना हुआ और अब उन्हें प्रमोशन देकर चीफ सब एडिटर बना दिया गया और उनसे कई वरिष्ठ व वर्षों से काम करने वाले पाक साफ लोग यूं ही प्रमोशन के इंतजार में मुंह ताकते रह गए।
समझ नहीं आता कल तक फीचर प्रमुख की नजरों में नाकाबिल राजीव आज इतने काबिल कैसे हो गए। फीचर के एक गुट का दावा रहता है कि वह अपनी तगड़ी लॉबिइंग के बल पर प्रमोशन और सैलरी बढ़वा सकता है और कुछ भी कर सकता है। फीचर सेक्शन के लोगों में काफी रोष है क्योंकि बाकी लोगों का ना प्रमोशन हुआ, न ही ज्यादा सैलरी बढ़ी। फीचर डेस्क इंचार्ज के रवैये से भी लोगों में रोष है।
हिन्दुस्तान युवा डेस्क पर एक बार फिर उसी लड़की को प्रमोशन मिला है, जो महज चार साल में तीन प्रमोशन पा चुकी है। हकीकत ये है कि काम में जीरो है।बात अगर डिजाइनिंग की करें तो यहां भी तलवे चाटने वालों की ही मौज है, जो डिजाइनिंग हेड राजेश जेटली की बटरिंग करे उसकी जय जय…वरना काम कितना भी बेहतर कर लो ना पैसे बढ़ेंगे न पद। डिजाइनिंग टीम में कुछ काबिल लोग सालों से उसी पद व पैसे पर हैं वही तलवे चाटने वाले नित नई ऊंचाइयों की ओर…वाह रे हिन्दुस्तान…..अगर आपको भी हिन्दुस्तान में तरक्की चाहिए तो या तो लड़की बन कर बॉस से नजदीकी बढ़ाएं या लड़का हैं तो बॉस का लोटा उठाइए।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित
Comments on “हिंदुस्तान में तलवे चाटने वाले चमचे प्रमोट, काम वाले हाशिये पर”
हा हा हा हा
ना समझोगे तो मिट जाओगे हिंदुस्तान वालो
तुम्हारी दास्ताँ तक ना होगी दास्तानों में
lota nahi to boss ka gota uthaiye.
apani jindgi k bayhtrin din hindustan ko do or jindgi ko enjoy karo
Muzaffarpur me bhi yahi hua hai. khair 2months wait kariye malkin ko pata chal gayega.
हिन्दुस्तान की यही रीत है….यहां बटरिंग ही बेटर है….आप लोग बटरिंग करने वाले को चम्मच बोलते होंगो लेकिन यहां तो चम्मच नहीं कलछुन बन जाते हैं लोग….
स्मार्ट वर्क करो तो तो बॉस बोलेगा इत्ती जल्दी काम कैसे हो गया…बेहतर काम को लिए समय देना होता है….हार्ड वर्क करो
हार्ड वर्क करो तो बोलेगा….काम करने नहीं आता दिन भर एक ही काम में लगे हो…ये बात अधिकांश उन डेस्क की है जहां के बॉॉस खुद नाराबिल हैं और उन्हें स्मार्ट.वर्क समझ नहीं आता….
लड़कियों की तो हमेशा बल्ले रही है…नीलम के अलावा जो भी सुधांशु श्रीवास्तव की करीबी हो उसकी तो निकल पड़ती है…कई सालों से बिना काम किए अपराजिता श्रीवास्तव तरक्की पर तरक्की पा रही है तो वहीं..मीना त्रिवेदी और सेंट्रल की हिटलर रावी को ना जाने क्यूं तरकक्की मिल जाती है….